अहम बैठक से क्‍यों नदारद रहे चीन, रूस और तुर्की?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

इटली की राजधानी रोम में हुए जी-20 सम्‍मेलन और ग्‍लासगो में हुए जलवायु परिवर्तन के महासम्‍मेलन में चीन, रूस और तुर्की नदारद रहे। इसको लेकर अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति में अटकलों का बाजार गरम है। कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इन नेताओं में सबसे ज्‍यादा चर्चा चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग की अनुपस्थित को लेकर है। जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन में कार्बन उत्‍सर्जन को कम करने के लक्ष्‍य में चीन की बड़ी भूमिका और अमेरिका से तनाव के बीच चीनी राष्‍ट्रपति की अनुप‍स्थित इस चर्चा को अहम बना देती है। आइए जानते हैं कि चीनी राष्‍ट्रपति इस महासम्‍मेलन में क्‍यों नदारद रहे।

चीन के राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग को क्‍या सता रहा है भय

1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि तीनों नेताओं की जी-20 सम्‍मेलन और ग्‍लासगो में हुए जलवायु परिवर्तन के सम्‍मेलन में गैरमौजूदगी के अलग-अलग कारण है। जहां तक प्रश्‍न चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग का है तो वैश्विक मंचों पर उनकी अनुपस्थिति के कई निहितार्थ हैं। उन्‍होंने कहा कि चिनफ‍िंग के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं। प्रो. पंत का कहना है कि ऐसा लगता है कि चिनफ‍िंग देश की आंतरिक राजनीति पर ज्‍यादा फोकस कर रहे हैं।

वह देश के अंदरूनी मामलों पर अधिक ध्‍यान दे रहे हैं। दरअसल, अगले वर्ष कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की एक बड़ी बैठक है। इस बैठक में चिनफ‍िंग को अलगे पांच वर्षों के लिए देश का नेता चुना जा सकता है। प्रो. पंत ने कहा कि चिनफ‍िंग की नजर इस बैठक पर टिकी है। वह अपनी कूर्सी को बचाने में जुटे हैं। उनकी पूरी रणनीति इस बैठक पर हो सकती है। यही कारण है कि वैश्विक मंचों पर उनकी सक्रियता उस तरह की नहीं है।

2- उन्‍होंने कहा कि चीन का अमेरिका और उसके सहयोगी राष्‍ट्रों के साथ संबंध काफी तल्‍ख हैं। अमेरिका ने चीन के दबदबे को नियंत्रित करने के लिए क्‍वाड और आकस जैसे समूह बनाए हैं। इन संगठनों को चीन अपनी आपत्ति दर्ज कराता रहा है। उन्‍होंने कहा कि ऐसे में चीन के राष्‍ट्रपति अमेरिका और उसके सहयोगी देशों से बहुत ज्‍यादा सहयोग करने को इच्‍छुक नहीं दिखते हैं। हालांकि, उन्‍होंने कहा कि यह कारण बहुत प्राथमिक नहीं है। प्रो. पंत ने कहा कि चिनफ‍िंग का वैश्विक मंचों से अनुपस्थिति उनकी वैश्विक नेता के तौर पर अमेरिका का विकल्‍प बनने के प्रयास को भी नुकसान पहुंचाती है।

3- उन्‍होंने कहा कि चिनफ‍िंग के इस रवैये से शीर्ष नेताओं से मुलाकात के मौके कम हो जाएंगे। उन्‍होंने कहा कूटनीतिक लिहाज से भी यह ठीक नहीं है। व्यक्तिगत तौर पर हुई बैठकें और मुलाकात अक्सर किसी समझौते में आ रही दिक्‍कतों या रिश्तों में तनाव को कम करने में कारगर साबित होती हैं। उन्‍होंने कहा कि रोम और ग्लासगो में चीन के राष्‍ट्रपति के नहीं होने से कोरोना महामारी की तैयारियों और जलवायु परिवर्तन से लड़ाई जैसे मुद्दों पर होने वाली प्रगति भी प्रभावित होगी।

4- उन्‍होंने कहा कि चीनी राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग 21 महीनों से किसी विदेशी दौरे पर नहीं गए हैं। बात केवल जी-20 सम्मेलन और कोप-26 तक सीमित नहीं है। चिनफ‍िंग की विदेशी यात्रा पहले के मुकाबले बहुत कम रही है। चीन के राष्‍ट्रपति पिछले 21 महीनों से चीन से बाहर निकले ही नहीं हैं। शुरू में इसको कोरोना महामारी से जोड़कर देखा जा रहा था, लेकिन ऐसा नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि इस साल सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में चीन के राष्‍ट्रपति नदारद रहे। उन्‍होंने इस बैठक को वर्चुअल संबोधित किया था। एसएसीओ की बैठक में भी च‍िनफ‍िंग दुशांबे नहीं गए थे। ऐसा करने वाले केवल चीन के राष्‍ट्रपति के अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी थे। इन नेताओं ने इन बैठकों में हिस्‍सा नहीं लिए।

कोरोना से पहले च‍िनफ‍िंग ने सालाना 14 देशों की यात्रा की

कोरोना महामारी से पहले चीन के राष्‍ट्रपति सलाना 14 देशों की यात्रा की और विदेशों में औसतन 34 दिन ब‍िताए। इस मामले में वह अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्‍ड ट्रंप को पीछे छोड़ दिए हैं। ओबामा का बाहर रहने का औसत 25 दिन और ट्रंप का करीब 23 दिन है। वुहान में लाकडाउन से पहले जनवरी 2020 में चीन के राष्‍ट्रपति ने म्‍यांमार की यात्रा की थी। अब यह सवाल दिलचस्‍प है कि आने वाले समय में चीन के राष्‍ट्रपति अपनी विदेश यात्राओं को कितना महत्‍व देते हैं। इसके साथ वैश्विक स्‍तर पर उनकी क्‍या भूमिका होती है।

जलवायु शिखर सम्‍मेलन में नहीं पहुंचे पुतिन

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जलवायु शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। यह चर्चा भी जोरों पर है। इसमें शामिल नहीं होने के फैसले का कोई कारण नहीं बताया गया है, लेकिन क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा कि जलवायु परिवर्तन रूस के लिए एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा, दुर्भाग्य से, पुतिन ग्लासगो के लिए उड़ान नहीं भरेंगे। पुतिन ने आधिकारिक घोषणा पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन 13 अक्टूबर को मास्को में एक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मंच पर बोलते हुए रूसी नेता ने यात्रा करने के अपने निर्णय में एक कारक के रूप में कोरोना वायरस महामारी का हवाला दिया था।

उन्होंने कहा कि मुझे अभी तक यकीन नहीं है कि मैं व्यक्तिगत रूप से काप 26 में भाग लूंगा, लेकिन मैं निश्चित रूप से इसमें भाग लूंगा। प्रो. पंत का कहना है कि पुतिन भी देश के आंतरिक कारणों से जलवायु सम्‍मेलन में हिस्‍सा नहीं ले सके। रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के आलोचक एलेक्सी नवलनी को उग्रवादी और आतंकी घोषित किए जाने के बाद वहां की सियासत गरम है।

जलवायु सम्मेलन में नदारद रहे तुर्की के राष्‍ट्रपति

जलवायु सम्मेलन काप 26 में एक ओर जहां पूरी दुनिया के देशों के नेता जमा हुए थे और वो जलवायु परिवर्तन से निपटने में अपने देश का खाका पेश कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। तुर्की के राष्ट्रपति ने इसकी वजह सुरक्षा कारणों को बताया है। तुर्की के मीडिया के हवाले से जानकारी दी है कि सोमवार को ग्लासगो में जारी सम्मेलन में भाग लेने से इनकार करते हुए तुर्की ने कहा है कि ब्रिटेन उनकी सुरक्षा मांगों को पूरा करने में असफल रहा है।

इससे भी दिलचस्प बात यह है कि बीते सप्ताह शनिवार और रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन जी-20 सम्मेलन में रोम में ही थे। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की और फिर उनका वहां से स्काटलैंड के ग्लासगो में जारी काप 26 सम्मेलन में पहुंचने का कार्यक्रम था।

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