सीबीआई को केंद्र सरकार से लालू यादव के विरुद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति क्यों लेनी पड़ी?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जमीन के बदले रेलवे में नौकरी घोटाले में सीबीआइ ने राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत को बताया कि भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अपेक्षित मंजूरी प्राप्त कर ली गई है।
अनुमति पत्र दाखिल करते हुए जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि मामले में करीब 30 अन्य आरोपित भी हैं, जिनके लिए अभियोजन मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है। इसके लिए 15 दिन का समय और दिया जाए।विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत ने सीबीआइ को अन्य आरोपितों पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को तय की गई।
जमानत पर हैं लालू-तेजस्वी
गौरतलब है कि अदालत ने अधिकारियों से पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव सहित 32 लोकसेवकों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी पर निर्णय लेने को कहा था। इसी वर्ष सात जून को सीबीआइ ने लालू और 77 अन्य आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। आरोपितों में 38 उम्मीदवार भी हैं।
चार अक्टूबर, 2023 को अदालत ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव व अन्य को नए आरोपपत्र के संबंध में जमानत दे दी थी। दूसरे आरोपपत्र में 17 आरोपित शामिल हैं, जिनमें लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पश्चिम मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक, दो मुख्य कार्मिक अधिकारी व अन्य शामिल हैं।
लालू के खिलाफ केस चलाने के लिए क्यों लेनी पड़ी इजाजत?
बता दें कि किसी भी सरकारी अधिकारी या संसद के सदस्यों को ऐसे ही गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं। लालू यादव उस वक्त रेल मंत्री थे। इसलिए केंद्र सरकार की परमिशन पर ही किसी सांसद या मंत्री की गिरफ्तारी की जा सकती है। अगर कोई सरकारी पद पर रहते हुए सरकारी कार्य में गड़बड़ी करता है तो कानूनी कार्रवाई करने से पहले उसके संबंधित विभाग से परमिशन लेनी होती है। तभी उस संबंधित अधिकारी या सांसद के खिलाफ मुकदमा आगे चलाया जा सकता है।
जमीन के बदले नौकरी मामले में अब केंद्र ने लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है और 15 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के लिए समय मांगा है।
ये है पूरा मामला
सीबीआई ने 18 मई, 2022 को तत्कालीन रेल मंत्री, उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि वर्ष 2004 से 2009 के दौरान रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद ने विभिन्न रेलवे जोन में ग्रुप-डी पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति के बदले में परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि हस्तांतरण के माध्यम से लाभ प्राप्त किया था। पटना निवासी उम्मीदवार या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी जमीन मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके नियंत्रण वाली निजी कंपनी को बेच दी या उपहार में दे दी। ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था।
ग्रुप डी में दी गई थी नौकरी
नियुक्त किए गए पटना के लोग मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर सहित विभिन्न रेलवे जोन में ग्रुप-डी पदों पर रखे गए थे। आरोपितों ने सहयोगियों के माध्यम से उम्मीदवारों से आवेदन व दस्तावेज एकत्र किए और उन्हें पश्चिम मध्य रेलवे को भेज दिया। पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधकों ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी। इसके लिए अप्रत्यक्ष तरीका अपनाया। उम्मीदवारों को शुरू में वैकल्पिक तौर पर रखा और बाद में नियमित कर दिया।