जी-20 की सफलता पर विपक्ष ने प्रश्नचिह्न क्यों लगाया?

जी-20 की सफलता पर विपक्ष ने प्रश्नचिह्न क्यों लगाया?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सशक्त विपक्ष लोकतंत्र के लिए शुभ होता है। उसकी जरूरत प्रश्न पूछने, पड़ताल और आलोचना करने और आवश्यकता होने पर सरकार का जमकर विरोध करने के लिए होती है। लेकिन साथ ही उसे मुद्दों का चयन सावधानीपूर्वक करने की भी आवश्यकता है। उसे बिना सोचे-विचारे सरकार की हर बात की आलोचना नहीं कर बैठना चाहिए।

यह खुद विपक्ष की विश्वसनीयता के लिए भी जरूरी है। जब विपक्ष सरकार पर नाहक ही हमला बोलता है और लोकतांत्रिक सौजन्य का परिचय नहीं देता तो उसके द्वारा की जाने वाली जायज आलोचनाएं भी स्वत: ही अपने मायने गंवा बैठती हैं।

मैं यह बात नई दिल्ली में हाल ही में सम्पन्न हुई जी-20 समिट के परिप्रेक्ष्य में कह रहा हूं। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह अब तक की सर्वाधिक सफल समिट थी। इसके लिए सधी हुई प्लानिंग की गई थी, भव्य आर्किटेक्चर निर्मित किया गया था और पूरे देश के 200 भिन्न-भिन्न हिस्सों में बैठकें आयोजित हुई थीं।

इस सब के सार के रूप में नई दिल्ली घोषणा-पत्र सामने आया- जिसमें सदस्य-देशों के मतभेदों के बावजूद पूर्ण सर्वसम्मति निर्मित हुई। इसके लिए भारत देश, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन, शेरपा अमिताभ कांत, मुख्य समन्वयक हर्ष शृंगला और विदेश मंत्रालय की बेहतरीन बैकअप टीम अभिवादन के पात्र हैं। जी-20 की समिट न केवल संगठनात्मक श्रेष्ठता का उदाहरण थी, बल्कि अनेक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक कारणों के चलते भी यह बड़ी सफलता साबित हुई।

आज भारत एक यूनीक स्थिति में है, जिसमें उसके दुनिया के लगभग हर महत्वपूर्ण ब्लॉक से अच्छे सम्बंध हैं। कोविड के बाद भारत की वैक्सीन-मैत्री ने अनेक विकासशील देशों के साथ उसके रिश्तों को प्रगाढ़ किया। समिट का पहला ही निर्णय (अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्य के रूप में सम्मिलित करना) एक बेहतरीन मास्टर स्ट्रोक था। अफ्रीका पर अपना प्रभाव स्थापित करने के लिए आज चीन भी कमर कसे हुए है। ऐसे में उससे अपने सम्बंधों को मजबूत करना एक बहुत ही चतुराईपूर्ण युक्ति थी।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर हमने जिस तरह का नपा-तुला रवैया अपनाया है, उससे हम रूस के साथ अपने मैत्रीपूर्ण सम्बंधों को अमेरिका और पश्चिमी ताकतों को अपने से अलग-थलग किए बिना कायम रख पाए हैं। वहीं क्वाड- एक ऐसा समूह जिसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान सम्मिलित हैं- को पुन: मजबूती देकर चीन को भी एक सशक्त संदेश दिया गया है कि वह भारत के प्रति आक्रामकता और समूचे भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपने वर्चस्व की कोशिशों से बाज आए।

आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने ऐसी स्थिति निर्मित कर दी है कि दुनिया के देश अपने निजी स्वार्थों के लिए ही सही, पर भारत से बेहतर सम्बंध बनाने की कोशिश करते हैं। हम एक बड़े खरीदार हैं- विशेषकर कटिंग-एज टेक्नोलॉजी के, और हमारा विशाल आकार हमें एक महत्वपूर्ण बाजार बनाता है।

जी-20 समिट में जिस भारत-मध्यपूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा की गई है, वह हमारी इकोनॉमी की ग्लोबल-ताकत को और बढ़ाएगा। वास्तव में जी-20 से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गैरमौजूदगी भी हमारे लिए अच्छी बात ही रही।

अगर वे आते तो भारत को मिलने वाली लाइमलाइट को थोड़ा कम कर देते। यह तो खैर अपेक्षित ही था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नहीं आएंगे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट ने उनके विरुद्ध गिरफ्तारी-वारंट जारी किया हुआ है। लेकिन उनके विदेश मंत्री सेर्गेई लव्रोव आए, जो कि भारत के पुराने दोस्त हैं। जी-20 के बाद दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा नई ऊंचाई पर चली गई है।

ऐसे में जी-20 की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगाकर विपक्ष ने अपना भला नहीं किया। प्रियंका गांधी वाड्रा ने दुर्भाग्यपूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा- इनका जी-20, उनका समिट। कुछ ऐसे इवेंट होते हैं, जो किसी पार्टी के नहीं पूरे देश के होते हैं।

मैं इस बात से सहमत हूं कि समारोहों के लिए और अधिक संख्या में विपक्षी सांसदों को निमंत्रित किया जा सकता था, खासतौर पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को। लेकिन विपक्ष को अपने स्वयं के नैरेटिव पर फोकस करने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि देश में मुद्दों की कमी है और न ही वे विदेशी नेताओं की नजरों से छुपे हैं।

इसके बावजूद आज भारत को निवेश के एक स्थायी और फलदायी डेस्टिनेशन के रूप में ही देखा जा रहा है।

यह बात सच है कि समारोहों के लिए और अधिक संख्या में विपक्षी सांसदों को निमंत्रित किया जा सकता था, लेकिन विपक्ष को अपने स्वयं के नैरेटिव पर फोकस करने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि देश में जरूरी मुद्दों की कमी है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!