‘शिकारी ड्रोन’ आखिर भारत को क्यों चाहिए?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बताया कि अलकायदा का नेता एमान अल जवाहिरी मारा गया है। हमला ड्रोन से किया गया था। अफगानिस्तान के काबुल में ड्रोन हमले के जरिये अल जावहिरी को मार गिराया गया। जवाहिरी वही शख्स था जिसने ओसामा बिन लादेन को अमेरिका पर 9/11 के हमलों की साजिश रचने में मदद की थी। अमेरिका ने बिना अपने सैनिकों को अफगानिस्तान भेजे इस बड़ी घटना को अंजाम दिया और ये एमक्यू9 रिपर ड्रोन की मदद से संभव हो सका।
लेकिन अब अलकायदा के सरगना जवाहिरी को मार गिराने वाला ड्रोन जल्द भारत आने वाला है। भारत के रक्षा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले एमक्यू-9बी सी गार्जियन प्रीडेटर ड्रोन सौदे को मंजूरी दे दी। अब सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी इसे मंजूरी देगी। इस ड्रोन की खासियत यही है कि उसके आने-जाने की खबर तक नहीं मिलती, जब तक वो हमला नहीं कर देता।
एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन क्या है और इसे हंटर किलर ड्रोन क्यों कहते हैं?
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अमेरिकी कंपनी जेनरल एटोमिक्स से 30 ड्रोन खरीदेगा। इनमें से 14 ड्रोन नौसेना को मिलेंगे तो वहीं 8-8 ड्रोन वायुसेना और थलसेना को मिलेंगे। चीन के बढ़ते दबाव के बीच अमेरिका से यह डील भारत के लिए काफी अहम है। नौसेना ने सितंबर 2020 से लीज पर दो एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन लिए थे। एमक्यू 9बी गार्जियन ड्रोन जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इसे समंदर को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इसके अमेरिका की जनरल एटोमिक्स ने बनाया है। ये ड्रोन हर प्रकार के मौसम में 30 घंटे से अधिक वक्त तक सैटेलाइट के सहारे उड़ान ङर सकता है।
आखिर क्यों भारत को चाहिए प्रीडेटर ड्रोन
भारत के पास जो ड्रोन हैं वो रिकॉनिसेंस और सर्विलेंस मिशन के लिए हैं। अभी तक हमारे पास एक भी ऐसा ड्रोन नहीं है जो हथियार या बम गिरा सकता है। जिसे अनमैन्ड एरियल व्हीकल बोलते हैं या हंटर किलर ड्रोन। लेकिन हमारे पास कुछ प्रोग्राम्स हैं, जिसमें से कुछ ऐसे कॉब्बैट एयर व्हीकल्स पर काम हो रहा है।
हमारे पास इजरायल के बने सर्चर, मार्क-2 और हेरन ड्रोन का इस्तेमाल 2004 से अभी तक हो रहा है। चीन के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र में सीमा की निगरानी के लिए भारत को हथियारों से लैस इन ड्रोन की जरूरत है। 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से LAC पर स्थिति सामान्य नहीं हुई है। अमेरिका से नए ड्रोन मिलेंगे तो भारत की ताकत इस हिमालयी क्षेत्र में और बढ़ जाएगी। समय रहते बड़े ऑपरेशन को भी अंजाम दिया जा सकता है।
इसी से जवाहिरी-सुलेमानी को निपटाया
MQ-9B ड्रोन MQ-9 ‘रीपर’ का दूसरा वर्जन है। इसका इस्तेमाल काबुल में हेलफायर मिसाइल के एक मोडिफाइड वर्जन को दागने के लिए किया गया था। ईरानी सेना के कमांडर रहे कासिम सुलेमानी, अल कायदा प्रमुख अयमान ए जवाहिरी और सीरियाई अल कायदा प्रमुख सलीम अबू अहमद पिछले दो दशकों में शिकारी ड्रोन के शिकार हुए हैं।
समुंद्री इलाकों पर अब पैनी होगी नजर
चीन ने हिंद महासागर के साथ-साथ कई समुद्री इलाकों में अपनी मौजूदगी को बढ़ाया है। वह अपने जासूसी जहाजों के साथ- साथ सैटलाइट, रॉकेटों और बैलिस्टिक मिसाइलों को तैनात करने में भी सक्षम है। ऐसे में भारत रीपर ड्रोन से चीन की बढ़ती चाल पर लगाम लगा सकेगा। क्वाड बनने के बाद से अमेरिका-भारत की समुद्र में बढ़ती दोस्ती चीन पर काबू पा सकती.
क्या है इस ड्रोन की खासियत
1900 किमी तक निगरानी कर सकता है।
2223 किलो वजन है।
किन हथियारों से लैस
लेजर गाइडेड मिसाइल
एन्टी टैंक मिसाइल
एन्टी शिप मिसाइल
4 मिसाइलें इससे एक साथ दाग सकते हैं।
2177 किलो पेलोड साथ ले जा सकते हैं।
35 घंटे तक बिना रुके हवा में रह सकता है।
50000 फिट की ऊंचाई तक उड़ सकता है।
एक दर्जन से ज्यादा देश कर रहे इस्तेमाल
क्वाड समेत एक दर्जन से ज्यादा देश इस एमक्यू 9 प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। 2020 में भारतीय नौसेना को समुद्री सीमा की निगरानी के लिए अमेरिका से दो एमक्यू 9बी सी गार्जियन ड्रोन एक साल के लिए लीज पर मिले थे। बाद में लीज टाइम बढ़ा दिया गया। इसके साथ ही फ्रांस, बेल्जियम, डोमिनिकन गणराज्य, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, स्पेन, यूके, यूएई, ताइवान, मोरक्को जैसे देश इसका इस्तेमाल करते हैं।
2001 में एमक्यू ड्रोन ने भरी थी उड़ान
अमेरिकी कंपनी जनरल एटोमिक एयरोनॉटिकल के अनुसार 2001 में एमक्यू 9ए ड्रोन ने पहली बार उड़ान भरी थी। इस ड्रोन का अपडेटेड वर्जन ही एमक्यू 9बी है। 2000 के बाद अमेरिकी सेना को चालक रहित एक ऐसे एयरक्राफ्ट की जरूरत हुई, जिसे रिमोट से कंट्रोल किया जा सके। इसी के परिणामस्वरूप एमक्यू 9ए बना।
चीन का सीएच 5 ड्रोन
चीन के इस ड्रोन को एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नॉलजी कॉरपोरेशन ने तैयार किया है. इसकी क्षमता एमक्यू 9b के बराबर ही आंकी जाती है। चीन का सीएच-4 और सीएच-5 ड्रोन अमेरिकी एमक्यू-9 ड्रोन की कॉपी है। ये ड्रोन 1200 किलो पेलोड के साथ 60 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन काफी अधिक ऊंचाई पर उड़ने के कारण सामान्य रडार से बचने में भी सक्षम है।
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