मणिपुर में क्यों भड़की है हिंसा?
बहुसंख्यक मेइती समुदाय को एसटी का दर्जा देने के विरोध में कुकी और नागा
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह मेइती समुदाय से हैं।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राजधानी इम्फाल से दक्षिण में 63 किलोमीटर पर स्थित चुराचंदपुर जिला हिंसा का केंद्र बना हुआ है। केंद्र सरकार लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है। बड़ी तादाद में आर्मी और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है। इस बीचगृह मंत्री राज्य की स्थिति का आकलन करने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आगे के कदमों की योजना बनाने के लिए कई दौर की सुरक्षा बैठकें करेंगे।
जातीय हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट, हत्या…हालात भयावह हैं। इंटरनेट बंद है। पूर्वोत्तर के इस राज्य में तीन प्रमुख समुदाय हैं- बहुसंख्यक मेइती और दो आदिवासी समुदाय- कुकी और नागा।राज्य की 40 प्रतिशत आबादी कुकी और नागा की है। मेइती सूबे के मैदानी इलाकों, इम्फाल घाटी में हैं।
कुकी और नागा आदिवासी इम्फाल घाटी से सटे पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। ये इलाके लंबे समय से उग्रवादी गतिविधियों के केंद्र रहे हैं। एक वक्त तो ऐसा भी था कि तकरीबन 60 हथियारबंद उग्रवादी समूह इस इलाके में सक्रिय थे।मेइती आर्थिक और राजनीतिक तौर पर सबसे प्रभावशाली और ताकतवर हैं। राज्य में किसी भी पार्टी की सरकार हो लेकिन दबदबा मेइती का ही होता है।कुकी और नागा समुदाय सरकार पर खुद के साथ सौतेला व्यवहार अपनाने का आरोप लगाते हैं।
ताजा हिंसा के प्रमुख कारण
- बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का फैसला जिसका कुकी और नागा समुदाय विरोध कर रहे हैं। कुकी और नागा समुदाय को आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा मिला हुआ है।
- गवर्नमेंट लैंड सर्वे। बीजेपी की अगुआई वाली राज्य सरकार ने रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन क्षेत्र को आदिवासी ग्रामीणों से खाली कराने का अभियान चला रही है। कुकी समुदाय इसके विरोध में है.
- मेइती को एसटी का दर्जा देने का मसला क्या है?
बहुसंख्यक मेइती समुदाय से जुड़े कुछ संगठन लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। समुदाय से आने वाले कई विधायक भी खुलेआम इस मांग का समर्थन करते रहे हैं। मेइती समुदाय का कहना है कि बड़े पैमाने पर अवैध घुसपैठियों के आने की वजह से उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। - कुकी और नागा मेइती को एसटी का दर्जा दिए जाने का कड़ा विरोध कर रहे हैं।मेइती बहुसंख्यक हैं इसके बावजूद उनके अंदर असुरक्षा की भावना है। उनका कहना है कि बड़े पैमाने पर म्यांमार और बांग्लादेश से आने वाले अवैध प्रवासी वहां बस रहे हैं जिससे ये डर सता रहा है कि उनकी सांस्कृतिक पहचान खतरे में है। नॉर्थ ईस्ट इंडिया की 1643 किलोमीटर सीमा म्यांमार से लगती है।
- लैंड सर्वे से कुकी समुदाय में क्यों नाराजगी?
कुकी समुदाय राज्य सरकार की तरफ से कराए जा रहे लैंड सर्वे से नाराज है। ये सर्वे चुराचंदपुर-खोउपुम प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट इलाके में किया गया था। प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट रीजन करीब 490 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है और ये चुराचंदपुर, बिष्णुपुर और नोनी जिलों में फैला हुआ है। कुकी समुदाय लैंड सर्वे का विरोध कर रहा है और उसकी मांग है कि सरकार 1966 के उस आदेश को रद्द करे जिसमें आदिवासी इलाकों को प्रोटेक्टेड/रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन घोषित किया गया है। उनका कहना है कि इसके जरिए उनसे उनका जंगल छीना जा रहा है।
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