भारत के लिये भूटान क्यों महत्त्वपूर्ण है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये अंतरिम बजट प्रस्तुत किया गया जिसमें विदेश मंत्रालय (MEA) ने रणनीतिक भागीदारों तथा पड़ोसी देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी विकास सहायता योजनाओं की रूपरेखा तैयार की।
- विदेश मंत्रालय की विकास सहायता विदेश नीति के लक्ष्यों के अनुरूप भारत के वैश्विक प्रभाव तथा हितों के विस्तार एवं सुरक्षा पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य रणनीतिक विकास सहायता के माध्यम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, सहयोग एवं स्थिरता को बढ़ावा देना है।
देशों के बीच विकास सहायता का आवंटन किस प्रकार किया गया?
- मंत्रालय ने अंतरिम बजट में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये कुल 22,154 करोड़ रुपए आवंटित किये जबकि वित्त वर्ष का परिव्यय 18,050 करोड़ रुपए था।
- भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के अनुरूप भूटान को विकास सहायता का सबसे बड़ा अंश 2,400 करोड़ रुपए आवंटित किया गया। वर्ष 2023-24 में भूटान को आवंटित राशि 2,068 करोड़ रुपए थी।
- भूटान विकास सहायता का एक बड़ा अंश प्राप्त करते हुए अन्य देशों की सूची में अग्रणी बनकर उभरा है।
- बजट दस्तावेज़ों के अनुसार मालदीव को 770 करोड़ रुपए की विकास सहायता आवंटित की गई जो विगत वर्ष 600 करोड़ रुपए थी।
- अफगानिस्तान के निवासियों के साथ भारत के विशेष संबंधों को जारी रखते हुए देश के लिये 200 करोड़ रुपए की बजटीय सहायता प्रदान की गई।
- बांग्लादेश को विकास सहायता के तहत 120 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की जाएगी जबकि नेपाल को 700 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
- श्रीलंका, मॉरीशस तथा म्याँमार को क्रमशः 75 करोड़, 370 करोड़ एवं 250 करोड़ रुपए की विकास सहायता प्रदान की जाएगी।
- अफ्रीकी देशों के लिये 200 करोड़ रुपए राशि का आवंटन किया गया।
- विभिन्न देशों और क्षेत्रों जैसे लैटिन अमेरिका तथा यूरेशिया को कुल 4,883 करोड़ रुपए विकास सहायता प्रदान की जाएगी।
- ईरान के साथ कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भारत के फोकस को रेखांकित करते हुए चाबहार बंदरगाह के विकास के लिये 100 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई।
- भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के अनुरूप भूटान को विकास सहायता का सबसे बड़ा अंश 2,400 करोड़ रुपए आवंटित किया गया। वर्ष 2023-24 में भूटान को आवंटित राशि 2,068 करोड़ रुपए थी।
विदेश मंत्रालय की अन्य विकास साझेदारियाँ क्या हैं?
- मानवीय सहायता:
- विदेश मंत्रालय प्राकृतिक आपदाओं, आपात स्थितियों तथा महामारी के समय में भागीदार देशों को मानवीय सहायता प्रदान करता है।
- भारत ने कई देशों को राहत सामग्री, चिकित्सा दल और वित्तीय सहायता प्रदान की है तथा कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये 150 से अधिक देशों को दवाएँ, टीके एवं चिकित्सा उपकरण भी प्रदान किये हैं।
- विदेश मंत्रालय प्राकृतिक आपदाओं, आपात स्थितियों तथा महामारी के समय में भागीदार देशों को मानवीय सहायता प्रदान करता है।
- सांस्कृतिक और विरासत सहयोग:
- विदेश मंत्रालय साझेदार देशों के साथ सांस्कृतिक और विरासत सहयोग को बढ़ावा देता है। भारत के सहायता कार्यक्रम से 50 से अधिक सांस्कृतिक तथा विरासत परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं, जिसमें आनंद मंदिर, श्वेदागोन पैगोडा (म्याँमार), सेक्रेड टूथ रेलिक टेम्पल, कैंडी (श्रीलंका) में भारतीय गैलरी, बालातिरिपुरासुंदरी मंदिर का नवीनीकरण, धर्मशाला-पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल) का निर्माण शामिल है।
- वर्तमान में विभिन्न देशों में लगभग 25 सांस्कृतिक और विरासत परियोजनाएँ कार्यान्वित की जा रही हैं।
- क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता:
- भारत की विकास साझेदारी क्षमता निर्माण, नागरिक और सैन्य प्रशिक्षण, ऑन-साइट कार्यक्रम तथा मित्र देशों में विशेषज्ञ प्रतिनियुक्ति की पेशकश को प्राथमिकता देती है।
- भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम वर्ष 1964 में शुरू किया गया था यह 160 भागीदार देशों तक फैला हुआ है, जो विभिन्न विषयों में अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसमें वर्ष 2019-20 तक 4,000 से 14,000 स्थान (Slot) तक महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
- पाठ्यक्रम इंजीनियरिंग, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और महिला सशक्तीकरण जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं, जो विश्व स्तर पर समग्र कौशल वृद्धि में योगदान करते हैं।
- भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम वर्ष 1964 में शुरू किया गया था यह 160 भागीदार देशों तक फैला हुआ है, जो विभिन्न विषयों में अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसमें वर्ष 2019-20 तक 4,000 से 14,000 स्थान (Slot) तक महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
- भारत की विकास साझेदारी क्षमता निर्माण, नागरिक और सैन्य प्रशिक्षण, ऑन-साइट कार्यक्रम तथा मित्र देशों में विशेषज्ञ प्रतिनियुक्ति की पेशकश को प्राथमिकता देती है।
- विकास परियोजनाओं के लिये ऋण शृंखलाएँ:
- भारत द्वारा भारतीय एक्ज़िम बैंक के माध्यम से भारतीय विकास और आर्थिक सहायता योजना (IDEAS) के तहत रियायती ऋण शृंखला ( Lines of Credit- LOC) के रूप में विकास सहायता (Development Assistance) प्रदान की जाती है।
- कुल मिलाकर 30.59 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की 306 LOC 65 देशों तक विस्तारित की गई हैं। LOC के तहत परियोजनाएँ परिवहन, विद्युत उत्पादन जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों को कवर करती है; कृषि, विनिर्माण उद्योग, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और क्षमता निर्माण।
- भारत द्वारा भारतीय एक्ज़िम बैंक के माध्यम से भारतीय विकास और आर्थिक सहायता योजना (IDEAS) के तहत रियायती ऋण शृंखला ( Lines of Credit- LOC) के रूप में विकास सहायता (Development Assistance) प्रदान की जाती है।
भारत के लिये भूटान क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- जटिल संबंधों वाले दो एशियाई दिग्गज भारत और चीन के बीच भूटान एक बफर राज्य के रूप में कार्य करता है। भूटान की रणनीतिक स्थिति भारत को उत्तर से संभावित खतरों के खिलाफ सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करती है।
- वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान, भूटान ने चीनी घुसपैठ का विरोध करने के लिये भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये भारत का पूर्ण समर्थन सीमा पार कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और व्यापार, बुनियादी ढाँचे तथा ऊर्जा में संबंधों का विस्तार करने की प्राथमिकताओं पर आधारित है।
- भारत सरकार ने भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना (2018-2023) के लिये 45 अरब रुपए देने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें प्रोजेक्ट टाईड असिस्टेंस (PTA) हेतु 28 अरब रुपए शामिल हैं।
- PTA कार्यक्रम में स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति, पशुधन विकास और बुनियादी ढाँचे सहित विभिन्न क्षेत्रों की परियोजनाएँ शामिल हैं।
- भूटान में सतही विकास के लिये भारत उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं (High Impact Community Development Projects -HICDPs)/लघु विकास परियोजनाओं (Small Development Projects – SDPs) के लिये प्रतिबद्ध हैं।
- ये खेतों तक सड़क पहुँच, पशुधन केंद्र, जल आपूर्ति और सिंचाई प्रणाली तथा स्थानीय स्तर पर क्षमता विकास जैसे अवसंरचनात्मक निर्माण के लिये भूटान के दूरदराज़ के हिस्सों में स्थित छोटी अवधि की लघु परियोजनाएँ हैं।
- भूटान के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद जल-विद्युत सहयोग द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख स्तंभ है। भूटान के लिये, जल-विद्युत विकास सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण उत्प्रेरक बना हुआ है।
- जलविद्युत क्षेत्र में भारत और भूटान के बीच चल रहा सहयोग वर्ष 2006 के द्विपक्षीय सहयोग समझौते और वर्ष 2009 में हस्ताक्षरित इसके प्रोटोकॉल के तहत शामिल है।
- भूटान में कुल 2136 मेगावाट की चार जलविद्युत परियोजनाएँ (hydroelectric projects- HEPs) पहले से ही चालू हैं और भारत को बिजली की आपूर्ति कर रही हैं।
- 720 मेगावाट की मंगदेछु (Mangdechhu) जलविद्युत परियोजना को अगस्त 2019 में चालू किया गया था और दिसंबर 2022 में भूटान को सौंप दिया गया था।
- दोनों देश 1200 मेगावाट की पुनात्सांगछू-I (Punatsangchhu-I) एवं 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II (Punatsangchhu-II) सहित अन्य परियोजनाओं का कार्यान्वयन विभिन्न चरणों में हैं।
- दोनों देशों ने पहली बार संयुक्त उद्यम परियोजना 600 मेगावाट खोलोंगछू जलविद्युत परियोजना शुरू की। इस परियोजना का उद्देश्य भूटान के लिये अधिशेष जलविद्युत पैदा करना है जिसे भारत को निर्यात किया जाएगा, जिससे भूटान के राजस्व के साथ-साथ रोज़गार सृजन में भी मदद मिलेगी।
- भारत आयात स्रोत और निर्यात गंतव्य दोनों के रूप में भूटान का शीर्ष व्यापार भागीदार है।
- दोनों पड़ोसियों के बीच सदियों पुराना घनिष्ठ सभ्यतागत, सांस्कृतिक संबंध है। भूटान भारत को ग्यागर अर्थात पवित्र भूमि मानता है, क्योंकि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई थी, जो कि बहुसंख्यक भूटानी लोगों द्वारा अपनाया जाने वाला धर्म है।
भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति (India’s Neighbourhood First Policy):
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