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क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज गुरु पूर्णिमा है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्हीं की जन्मतिथि के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है और उनकी पूजा की जाती है। आज हम रांची शहर के ऐसे शिक्षाविदों की भी बात करेंगे जिन्होंने अपने गुरुजनों की बात मानी और आज सफलता के शिखर पर हैं। बताया कि किस तरह गुरुजनों के बताए रास्ते पर चलकर सफलता मिली। आज यदि गुरु शिष्य परंपरा में कमी आई है तो इसके लिए वर्तमान माहौल को दोषी बताया है। गुरु शिष्य परंपरा को याद करते हुए न सिर्फ गुरुजनों को नमन किया बल्कि उनकी बातों को याद कर उत्साहित भी हुए।

आज आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि है और इस दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। हिंदू धर्म में गुरु का स्थान भगवान से भी पहले रखा गया है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पहले गुरु का दर्जा प्राप्त महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। इस विशेष पूर्णिमा तिथि पर गुरु की पूजा-आराधना की जाती है। गुरु के माध्यम से ही हम ज्ञान को प्राप्त करते हैं। गुरु हमे अंधेरे से उजाले की तरफ बढ़ने का रास्ता दिखाते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्व,सम्मान और सच्ची निष्ठा और समर्पण का भाव हमेशा रहता आया है। वेदों की रचना और शिक्षा देने वाले महर्षि वेदव्यास को हिंदू धर्म में प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है। इसी कारण से हर वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा तिथि पर व्यास पूर्णिमा भी मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा 2022 पर बना शुभ योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर बहुत सुंदर और फलदायी राजयोग बन रहा है। इस दिन यानी 13 जुलाई को रुचक,भद्र और हंस योग का शुभ संयोग बन रहा है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु,मंगल,बुध और शनि ग्रह का शुभ संयोग भी एक साथ देखने को मिल रहा है।

गुरु पूर्णिमा पूजन विधि ( Guru Purnima 2022 Pujan Vidhi)
– सबसे पहले गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नानादि करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
– पूजा घर के सामने अपने इष्टदेव और गुरु की प्रतिमा को रखें और प्रणाम कर पूजा का संकल्प लें।
– फिर इसके बाद पूजा करने के स्थान पर सफेद या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर अपने इष्टदेव, गुरु और वेदव्यास की प्रतिमा को स्थापित करें।
– इसके बाद गणेश का स्मरण और वंदना करते हुए सभी देवी-देवताओं और गुरुओं को रोली, चंदन, फल-फूल और मिठाई को अर्पित करें।
-इसके बाद गुरु का आह्रान करें और गुरुपरंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये’ मंत्र का जाप करें।
– पूजा के बाद अपने से बड़े लोगों का आशीर्वाद प्राप्त करें।

गुरु पूर्णिमा के दिन इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।
1: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:।
2: ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
3: ॐ गुं गुरवे नम:।

गुरु पूर्णिमा के दिन ज्योतिषीय उपाय
– जातक की कुंडली में अगर किसी तरह का कोई दोष है तो इस दिन ऊँ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करें।
– भाग्य में वृद्धि के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जरूर जलाएं।
– अगर किसी जातक के वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी चल रही हो तो इस पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य देते हुए मन में आशीर्वाद प्राप्त करें।
– गुरु पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ अवश्य करें।

गुरु को समर्पित प्रचलित दोहे,मंत्र और श्लोक

1- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय.
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय..

2- गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः

3- गुरु की महिमा न्यारी है,
अज्ञानता को दूर करके.
ज्ञान की ज्योत जलाई है,
गुरु की महिमा न्यारी है…

4- गुरु को पारस जानिए, करे लौह को स्वर्ण
शिष्य और गुरु, जगत में दो ही हैं वर्ण

5- माटी से मूरत गढ़े,सद्गुरु फूंके प्राण।
कर अपूर्ण को पूर्ण गुरु,भव से देता त्राण।।

6- विनयफलं शुश्रूषा गुरुशुश्रूषाफलं श्रुतं ज्ञानम्।
ज्ञानस्य फलं विरतिः विरतिफलं चाश्रवनिरोधः।।

 

 

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