होयसल मंदिर भारत का 42वाँ विश्व धरोहर स्थल क्यों चर्चा में है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

होयसल के पवित्र समूह, कर्नाटक के बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुर के प्रसिद्ध होयसल मंदिरों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की विश्व विरासत सूची में जोड़ा गया है। यह समावेशन भारत में 42वें UNESCO  विश्व धरोहर स्थल का प्रतीक है

  • हाल ही में शांतिनिकेतन, जो पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले में स्थित है, को UNESCO की विश्व विरासत सूची में भी शामिल किया गया था।

नोट:

  • ‘होयसल के पवित्र समूह’ 15 अप्रैल, 2014 से UNESCO की अस्थायी सूची में हैं। कर्नाटक के अन्य विरासत स्थल जो UNESCO की सूची में शामिल किये गए, वे हैं हम्पी (1986) और पट्टाडकल (1987)।

होयसल मंदिरों के बारे में मुख्य तथ्य:

  • बेलूर में चेन्नाकेशव मंदिर:
    • इसका निर्माण होयसल राजा विष्णुवर्धन ने 1116 ई. में चोलों पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में करवाया था।
      • बेलुरु (जिसे पुराने समय में वेलपुरी, वेलूर और बेलापुर के नाम से भी जाना जाता था) यागाची नदी के तट पर स्थित है एवं होयसल साम्राज्य की राजधानियों में से एक था।
    • यह एक तारे के आकार का मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है और बेलूर में मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर है।

  • हलेबिड में होयसलेश्वर मंदिर (Hoysaleswara Temple):
    • दो-मंदिरों वाला यह मंदिर संभवतः होयसल द्वारा निर्मित सबसे बड़ा शिव मंदिर है।
    • यहाँ मूर्तियाँ शिव के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ रामायण, महाभारत और भागवत पुराण के दृश्यों को दर्शाती हैं।
    • हलेबिड में एक दीवार वाला परिसर है जिसमें होयसल काल के तीन जैन बसदी (मंदिर) और साथ ही एक सीढ़ीदार कुआँ भी है।

  • सोमनाथपुर का केशव मंदिर:
    • यह एक सुंदर त्रिकुटा मंदिर है जो भगवान कृष्ण के तीन रूपों- जनार्दन, केशव और वेणुगोपाल को समर्पित है।
      • मुख्य केशव की मूर्ति गायब है और जनार्दन तथा वेणुगोपाल की मूर्तियाँ क्षतिग्रस्त हैं।

होयसल वास्तुकला के विषय में मुख्य तथ्य:

  • परिचय: 
    • होयसल मंदिर 12वीं और 13वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान बनाए गए थे, जो होयसल साम्राज्य की अद्वितीय वास्तुकला और कलात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं।
      • ये तीनों होयसल मंदिर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) के संरक्षित स्मारक हैं।
  • महत्त्वपूर्ण तत्त्व:
    • मंडप (Mantapa)
    • विमान
    • मूर्ति
  • विशेषताएँ:
    • ये मंदिर न केवल वास्तुशिल्प के चमत्कार हैं, बल्कि होयसल राजवंश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के भंडार भी हैं।
    • होयसल मंदिरों को कभी-कभी हाइब्रिड या वेसर भी कहा जाता है क्योंकि उनकी अनूठी शैली न तो पूरी तरह से द्रविड़ और न ही नागर, बल्कि कहीं बीच की दिखती है। इन्हें अन्य मध्यकालीन मंदिरों में आसानी से पहचाना जा सकता है।
      • होयसल वास्तुकला मध्य भारत में प्रचलित भूमिजा शैली, उत्तरी एवं पश्चिमी भारत की नागर परंपराओं और कल्याणी चालुक्यों द्वारा समर्थित कर्नाटक द्रविड़ शैलियों के विशिष्ट मिश्रण के लिये जानी जाती है।
    • इसमें कई मंदिर हैं जो एक केंद्रीय स्तंभ वाले हॉल के चारों ओर समूह में हैं और एक जटिल डिज़ाइन वाले तारे के आकार में बनाए गए हैं।
    •  ये सोपस्टोन से बने हैं जो अपेक्षाकृत नरम पत्थर है, कलाकार मूर्तियों को बारीकी से तराशने में निपुण थे। इसे विशेष रूप से देवताओं के आभूषणों में देखा जा सकता है जो उनके मंदिर की दीवारों को सुशोभित करते हैं।

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होयसल राजवंश:

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