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भारत को जम्बूद्वीप क्यों कहा जाता हैं? - श्रीनारद मीडिया

भारत को जम्बूद्वीप क्यों कहा जाता हैं?

भारत को जम्बूद्वीप क्यों कहा जाता हैं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत को जम्बूद्वीप के नाम से भी जाना जाता हैं लेकिन कई लोगों को अब तक यह जानकारी नहीं हैं कि आखिर “भारत को जम्बूद्वीप क्यों कहा जाता हैं”। संस्कृत भाषा में जम्बूद्वीप का मतलब है जहां “जंबू के पेड़” उगते हैं। प्राचीन समय में भारत में रहने वाले लोगों को जम्बूद्वीपवासी कहा जाता था।

जम्बूद्वीप शब्द का प्रयोग चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी किया था, जिसका प्रमाण इतिहास में मिलता हैं. यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारत को जम्बूद्वीप क्यों कहा जाता हैं।

जम्बूद्वीप का मतलब:

एक ऐसा द्वीप जो क्षेत्रफल में बहुत बड़ा होने के साथ-साथ, इस क्षेत्र में पाए जाने वाले जम्बू के वृक्ष और फलों की वजह से विश्वविख्यात था।

जम्बूद्वीप प्राचीन समय में वही स्थान था जहाँ पर अभी भारत हैं. अतः भारत को जम्बूद्वीप कहा जाता हैं. भारत वर्ष, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, तिब्बत, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका, मालद्वीप। कुछ शोधों के अनुसार जम्बूद्वीप एक पौराणिक महाद्वीप है। इस महाद्वीप में अनेक देश हैं। भारतवर्ष इसी महाद्वीप का एक देश है।

जम्बूद्वीप हर तरह से सम्पन्नता का प्रतिक हैं। देवी- देवताओं से लेकर ऋषि मुनियों तक ने इस भूमि को चुना था क्योंकि यहाँ पर नदियाँ, पर्वत और जंगल हर तरह का वातावरण एक ही देश में देखने को मिलता था‌।

हमारा देश एक कर्मप्रधान देश है और यहाँ जो जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है, सदियों से भारत के लोग इस व्यवस्था को मानते रहे हैं। जम्बूद्वीप एक ऐसा विस्तृत भूभाग हैं जिसमें आर्यावर्त, भारतवर्ष और भारतखंडे आदि शामिल हैं।

जम्बुद्वीप के सम्बन्ध में मुख्य बातें:

[1] जम्बूद्वीप को “सुदर्शन द्वीप” के रूप में भी जाना जाता है।

[2] प्राचीन समय में यहाँ पर जामुन के पेड़ बहुतायात में पाए जाते थे, इसलिए यह भूभाग जम्बूद्वीप के नाम से जाना जाने लगा।

[3] विष्णुपुराण में लिखा हैं कि जम्बू के पेड़ पर लगने वाले फल हाथियों को बड़े प्रिय होते थे ,जब भी वह पहाड़ों से गिरते तो उनके रस की नदी बहने लगती थी। इस नदी को जम्बू नदी से भी जाना जाता था। इस नदी का पानी पीने वाले जम्बूद्वीपवासी थे।

[4] मार्कण्डेय पुराण के अनुसार जम्बूद्वीप उत्तर और दक्षिण में कम और मध्य भाग में ज्यादा था जिसे इलावर्त या मेरुवर्ष से जाना जाता था।

[5] जम्बूद्वीप की तरफ से बहने वाली नदी को जम्बू नदी के नाम से जाना जाता है।

[6] जब भी घर में पूजा-पाठ होता हैं तब मंत्र के साथ जम्बूद्वीपे, आर्याव्रते, भारतखंडे, देशांतर्गते,अमुकनगरे या अमुकस्थाने फिर उसके बाद नक्षत्र और गोत्र का नाम आता है।

[7] रामायण में भी जम्बूद्वीप का वर्णन मिलता हैं।

[8] जम्बू (जामुन) नामक वृक्ष की इस द्वीप पर अधिकता के कारण इस द्वीप का नाम जम्बू द्वीप रखा गया था।

[9] जम्बूद्वीप के नौ खंड थे जिनमें इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय आदि शामिल हैं।

[10] जम्बूद्वीप में 6 पर्वत थे जिनमें हिमवान, हेमकूट, निषध, नील, श्वेत और श्रृंगवान आदि।

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