Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
क्‍यों जरूरी है,भारत के लिए ईरान का चाबहार पोर्ट? - श्रीनारद मीडिया

क्‍यों जरूरी है,भारत के लिए ईरान का चाबहार पोर्ट?

क्‍यों जरूरी है,भारत के लिए ईरान का चाबहार पोर्ट?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ईरान का चाबहार बंदरगाह एक बार फ‍िर सुर्खियों में है। दरअसल, अफगानिस्‍तान में तालिबान के शासन के बाद चाबहार बंदरगाह की सक्रियता पर असर पड़ा था। तालिबान के आश्वासन देने के बाद यहां ट्रैफिक में फिर से बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। तालिबान ने कहा है कि वह भारत के साथ अच्छे राजनयिक और व्यापारिक संबंध चाहता है, इसलिए क्षेत्रीय और वैश्विक व्यापार को सुगम बनाने के लिए पोर्ट का समर्थन करेगा। इस पोर्ट को भारत ने तैयार किया है। आखिर इस बंदरगाह का क्‍या महत्‍व है ? भारत के लिए यह कितना उपयोगी है ? चाबहार और इसका चीन फैक्‍टर क्‍या है ?

भारत के लिए बेहद उपयोगी चाबहार बंदरगाह

1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि चाबहार बंदरगाह सामरिक लिहाज से भी भारत के बेहद उपयोगी है। इसे ग्वादर की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जाता है। ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन ने बनाया है। ग्‍वादर पोर्ट की दूरी चाबहार से सड़क मार्ग से महज 400 किमी दूर है, जबकि समुद्र से यह दूरी मात्र 100 किमी है। भारत की सुरक्षा के लिहाज से ग्‍वादर पोर्ट में चीन की मौजूदगी भारत के लिए बड़ी समस्‍या उत्‍पन्‍न कर सकता है। इसलिए ईरान के चाबहार बंदरगाह भारत के आर्थिक और रणनीतिक लिहाज से बेहद उपयोगी है। दूसरे, अरब सागर में चीन को चुनौती देने के लिहाज से यह बंदरगाह भारत के लिए अहम है।

2- उन्‍होंने कहा कि भारत की यह चिंता तब और बढ़ जाती है जब ईरान पर चीन की पैनी नजर है। अमेरिका और ईरान से तनाव के बीच चीन तेहरान के काफी निकट भी आया है। अमेरिका ईरान में भारी निवेश कर रहा है। इसे देखते हुए भारत को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। भारत को ड्रैगन की चाल से निपटने के लिए सजग रहना होगा। चाबहार बंदरगाह इस लिहाज से भारत के लिए काफी अहम बन गया है।

3- प्रो पंत ने कहा कि यह आर्थिक लिहाज से भी भारत के लिए बेहद उपयोगी है। इसके जरिए भारत को अफगानिस्‍तान में पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारत पाकिस्‍तान से गुजरे बिना सीधे चाबहार बंदरगाह के जरिए अफगानिस्‍तान पहुंच पाएगा। इससे अफगानिस्‍तान में चल रहे भारतीय कामों के लिए पाकिस्‍तान पर निर्भरता कम होगी। तालिबान शासन से पूर्व भारत अफगानिस्‍तान को गेहूं और दूसरी सामग्री को चाबहार बंदरगाह के जरिए ही भेज रहा है। अफगानिस्‍तान से होने वाला निर्यात भी इसी मार्ग से होता है।

4- उन्‍होंने कहा कि जो बाइडन के राष्‍ट्रपति बनने के बाद यह माना जा रहा था कि ईरान और अमेरिका के संबंध मधुर होंगे। भारत को उम्‍मीद थी कि वह ईरान के रास्‍ते सेंट्रल एशिया तक पहुंच बना सकता है। ट्रंप शासन के दौरान भारत को चाबहर बंदरगाह के जरिए अफगानिस्‍तान माल भेजने की छूट दी गई थी। ईरान इस जुगत में लगा है कि उसके ऊपर लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए जाएं। इसी वजह से भारत ने चाबहार बंदरगाह पर अपना ध्‍यान केंद्रित किया है।

5- बंदरगाह विकसित करने के अतिरिक्‍त भारत चाबहार से अफगानिस्‍तान तक पहुंचने के लिए एक रेल लिंक को भी विकसित करने का इच्‍छुक है। इस प्रोजेक्‍ट पर ईरान और भारत ने 2016 में दस्‍तखत किए थे। हालांकि, रेल योजना का काम अधर में ही लटका है। ईरान अब खुद अफगानिस्‍तान तक रेल लिंक बनाना चाहता है। यह भारत के हित में होगा। यही वजह है कि भारत चाबहार पोर्ट में अपनी दिलचस्पी दिखा रहा है।

प्रधानमंत्री के ईरान दौरे का मकसद

मई 2016 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान दौरा किया था। 15 साल में किसी भारतीय पीएम की यह पहली ईरान की यात्रा थी। इस दौरे में मोदी ने भारत, ईरान और अफगानिस्‍तान के बीच एक त्रिपक्षीय संबंध के लिए ईरान में चाबहार पोर्ट को विकसित और आपरेट करने के लिए 55 करोड़ डालर लगाने का ऐलान किया था। ईरान की पहले से यह इच्‍छा थी कि भारत इस योजना को विकसित करे। प्रो पंत ने कहा कि बीच में यह निर्णय लेने में भारत ने थोड़ी हिचक दिखाई थी इस वजह से इस प्रोजेक्ट में भी विलंब हुआ। हालांकि, अब केंद्र सरकार को लग रहा है कि कहीं यह प्रोजेक्‍ट हमारे हाथ से निकल न जाए। चीन की ईरान में बढ़ती दिलचस्‍पी को देखते हुए भारत अब सक्रिय हो गया है।

भारत-ईरान ने 2018 में समझौता किया था

ईरान-भारत ने वर्ष 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का करार किया था। यह पोर्ट सीधा ओमान की खाड़ी से जुड़ता है। यह बंदरगाह भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता मुहैया कराता है। अमेरिका ने भारत को इस बंदरगाह के लिए हुए समझौतों को लेकर कुछ खास प्रतिबंधों में छूट दी है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!