Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
देश में अवैध नागरिकों की पहचान क्यों जरूरी है? - श्रीनारद मीडिया

देश में अवैध नागरिकों की पहचान क्यों जरूरी है?

देश में अवैध नागरिकों की पहचान क्यों जरूरी है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पिछले दिनों स्वीडन के कई शहर भीषण हिंसा की चपेट में रहे। अत्याधुनिक सूचना तंत्र और हथियारों के साथ तैनात वहां की पुलिस हालात को नियंत्रित करने में असफल रही। अलग-अलग शहरों में हमलावर भीड़ ने पुलिस की कई गाड़ियों को जला दिया, जिसमें 12 पुलिस कर्मियों को गंभीर चोट भी आई। इंटरनेट मीडिया पर तोड़फोड़ के वीडियो में पुलिस कार तोड़ने वाला अल्ला हू अकबर का नारा लगाता दिखा। दरअसल स्वीडन की दक्षिणपंथी पार्टी के लोग शरणार्थी के रूप में वहां आए लोगों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। तभी कुछ ऐसा हुआ कि देखते ही देखते स्वीडन के कई शहर दंगे की चपेट में आ गए।

कहा जा रहा कि यूरोप के अलग-अलग देशों में शरणार्थी के तौर पर गए लोग वहां की कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। जिस इस्लामिक कट्टरता की वजह से उन्हें अपनी जमीन, अपना मुल्क छोड़ना पड़ा, वे भी उसी कट्टरता की राह पर चलने लगे हैं। जिससे कि अब वे यूरोप के तमाम देशों, वहां के नागरिकों की सुरक्षा के लिए चुनौती खड़ी कर रहे हैं। जाहिर है उन देशों में न तो हिंदू नववर्ष मनाया जाता है, न रामनवमी पर या हनुमान जन्मोत्सव पर शोभायात्रएं निकली जाती हैं। भारत की तरह विश्व हिंदू परिषद या बजरंग दल या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी वहां नहीं हैं। फिर भी पिछले दिनों वहां एक खास समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हुईं और दंगे हो गए या दंगे जैसे हालात बन गए।

jagran

हिंदू शोभायात्राओं पर हमले: गत दिनों देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे राज्यों में भी उसी प्रकार से दंगे हुए या दंगे जैसी स्थितियां बन गईं। इसकी शुरुआत राजस्थान के करौली से हुई। जहां हिंदू नववर्ष के दिन निकली शोभायात्र पर दूसरे समुदाय के कुछ लोगों द्वारा पत्थरबाजी की गई। उसके बाद हालात बिगड़े और हिंसा, आगजनी की वजह से करौली में कफ्यरू लगाना पड़ा। मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी की शोभायात्र पर भी जमकर पत्थरबाजी हुई। पेट्रोल बम और धारदार हथियारों से हमला हुआ। खरगोन में पुलिस अधीक्षक और एक इंस्पेक्टर घायल हुआ। दंगों में घायल 16 वर्षीय शिवम जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा है। हनुमान जन्मोत्सव के बाद निकली शोभायात्रओं पर भी देश के कई हिस्सों में इसी तरह हमले हुए।

कर्नाटक के हुबली में तो अराजकता का ऐसा मामला सामने आया, जिसे देख-सुनकर भी विश्वास नहीं होता। हुबली में करीब एक हजार लोगों ने ओल्ड हुबली पुलिस थाने पर हमला कर दिया। उस हमले में 12 पुलिसवाले घायल हुए। हिंसा के लिए जिम्मेदार करीब 50 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। आंध्र प्रदेश के कुरनूल के होलागुंडा से भी ऐसा ही मिलता जुलता मामला सामने आया है। होलागुंडा में हनुमान जन्मोत्सव पर जुलूस निकल रहा था।

मुस्लिमों की एक भीड़ ने शोभायात्र में बज रहे गाने पर एतराज जताया और फिर विवाद बढ़ गया। पत्थरबाजी शुरू हो गई। उत्तराखंड में भी हरिद्वार जिले के भगवानपुर के एक गांव में निकल रही शोभायात्रा पर पथराव हुआ। इसके अलावा गुजरात के आणंद और हिम्मतनगर में रामनवमी की शोभायात्रा पर हमला हुआ। बंगाल के बांकुड़ा में रामनवमी की शोभायात्रा पर पथराव हुआ। रामनवमी के दिन जेएनयू में भी मारपीट हुई।

jagran

साफ है स्वीडन के शहरों से लेकर भारत की राजधानी दिल्ली और दूसरे राज्यों में हर जगह कुछ मुसलमानों की भावनाएं आहत हुईं और उन्होंने पत्थरबाजी, हिंसा, आगजनी शुरू कर दी। एक बार शुरुआत होने के बाद कौन कितना गलत और कौन कितना सही, इस पर सिर्फ अंतहीन बहस ही की जा सकती है। और इस समय देश में यही हो रहा है। दिल्ली के जहांगीरपुरी में भी स्पष्ट तौर पर सामने आ रहा है कि सी-ब्लाक में जब हनुमान जन्मोत्सव जुलूस पहुंचा तो वहां लोगों ने उसका विरोध करना शुरू कर दिया। फिर दोनों पक्षों में बहस होने लगी।

देखते ही देखते शोभायात्रा पर पत्थर आदि से हमला होने लगा। इस मामले में पुलिस दो दर्जन से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। कौन दोषी है या कितना दोषी है या निदरेष है, इसका निर्णय न्यायालय को ही करना है। निदरेष पुलिस की गिरफ्त में आया होगा तो न्यायालय से उसे अवश्य न्याय मिलेगा। पकड़े गए लोगों में अंसार, असलम, सलीम, यूनुस जैसे कुछ आरोपी भी शामिल हैं, जो पहले से ही चोरी, लूट से लेकर सट्टेबाजी और हत्या के प्रयास तक के अपराध में कई बार जेल जा चुके हैं। पहले से अपराधों में शामिल रहने की वजह से ही पुलिस पर भी गोलियां चलाने में उनको संकोच नहीं हुआ।

jagran

मूल समस्या की अनदेखी: जहांगीरपुरी में पत्थरबाजी मस्जिद पर भगवा झंडा लहराने की प्रतिक्रिया में हुई, यह बात भी दिल्ली पुलिस की जांच में पूरी तरह से झूठी निकली है। फिर भी सेक्युलरिज्म का हवाला देकर कुछ नेताओं के साथ देश के कथित बुद्धिजीवियों और पत्रकारों का एक वर्ग जिस तरह से झूठी खबरें फैलाने में लगा हुआ है, वह देश और मुसलमानों के लिए भी बेहद खतरनाक है। इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और कृषि सुधार कानून विरोधी प्रदर्शनों में भी देश विरोधी तत्वों के शामिल होने की बातों को ये लोग लगातार नकारते रहे। उनकी बातों का फायदा उठाकर राष्ट्र विरोधी तत्व उन आंदोलनों बने रहे।

परिणामस्वरूप दिल्ली दो बार भीषण हिंसा की चपेट में आई। उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से लेकर लाल किले पर मचा उत्पात भला कौन भूल सकता है। उसमें दिल्ली पुलिस के सैकड़ों जवानों के घायल होने पर भी गंभीर चर्चा नहीं होने दी गई। दरअसल नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने में नाकामयाब विरोधी दल इन आंदोलनों में राष्ट्र विरोधी तत्वों की उपस्थिति को लगातार देखते, जानते भी आग को हवा देते रहे।

दिल्ली में आप के तत्कालीन पार्षद मुहम्मद ताहिर हुसैन को उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों का मुख्य साजिशकर्ता पाया गया। ताहिर हुसैन और उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे फैलाने वाले अन्य आरोपी अभी जेल में बंद हैं। पहले ताहिर हुसैन और अब जहांगीरपुरी में अंसार, करौली में कांग्रेस समर्थित पार्षद मतलूब अहमद। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि धार्मिक भावनाएं भड़काने के साथ दंगे भड़काने में कुछ राजनीतिक दलों के लोग सीधे तौर पर शामिल हैं।

राम के देश में राम का अपमान: लोकतांत्रिक, बहुसंख्यक भारत में इन दिनों यह सवाल खड़ा किया जा रहा है कि मस्जिद के सामने से हनुमान जन्मोत्सव, रामनवमी या फिर हिंदू नववर्ष की शोभायात्रएं निकालकर दूसरे समुदाय के लोगों की भावनाएं क्यों भड़काई जा रही हैं? हाल में जहांगीरपुरी की एक महिला बेहद गुस्से में बोलती दिखी कि तुम हमारी मस्जिद के सामने से तेज-तेज डीजे बजाओगे, जय श्रीराम का नारा लगाओगे तो कोई बर्दाश्त नहीं करेगा और किसी ने बर्दाश्त नहीं किया। सवाल है कि आखिर राम की भूमि, देश में राम का नाम भी बर्दाश्त क्यों नहीं हो रहा है। वैसे देश में यह कोई नई बात नहीं है।

वर्षो न्यायालयों में लड़ने के बाद भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर बन पा रहा है। तो क्या माना जाए कि श्रीराम और हनुमान का नाम सिर्फ जहांगीरपुरी में ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में भी अब कुछ लोगों के बर्दाश्त के बाहर चल गया है। लिहाजा वे हिंदू उत्सव से जुड़ी शोभायात्रओं पर हमला कर रहे हैं। वैसे भी सेक्युलरिज्म के नाम पर देश में लंबे समय से यही होता रहा है।

कुल मिलाकर हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने वाले जेएनयू के कम्युनिस्टों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सेक्युलरिज्म की दुहाई देकर बढ़ावा देने वालों और तुष्टीकरण के नाम पर बड़े से बड़े अपराध को छिपाने का पाप करने वालों की पहचान और उन्हें दंडित किए बिना भारत में सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्द अब संभव नहीं है। इसके लिए आवश्यक है कि देश के नागरिकों की पहचान करके अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर करने का रास्ता तलाशा जाए। और तब तक उन्हें भारतीय लोकतंत्र में मिले अधिकारों का दुरुपयोग करने की स्वीकृति न मिले। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए वे बहुत बड़ा खतरा बन गए हैं।

अवैध नागरिकों की पहचान जरूरी : दिल्ली के जहांगीरपुरी के जिस सी-ब्लाक की मस्जिद के सामने से हनुमान जन्मोत्सव की शोभायात्रा पर पत्थरबाजी शुरू हुई, उसी स्थान पर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में भी प्रदर्शन हुए थे। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट कहती है कि शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए नियमित तौर पर वहां से कई बसों में करीब 300-400 लोग भरकर जाते थे। कबाड़ का बड़ा कारोबार भी वहां से होता है। जहांगीरपुरी जैसे इलाके देश के लगभग हर शहर में हैं। लगभग हर घर में वहां अवैध हथियार होने की बात कही जाती है। पिछले दिनों एक राष्ट्रीय टीवी चैनल के स्टिंग आपरेशन में जहांगीरपुरी के एक निवासी ने बताया कि हथियार तो वहां हर घर में है। इसी वजह से अंसार, असलम, सलीम और यूनुस जैसे लोगों के लिए दंगे भड़काना बेहद आसान हो जाता है।

सूचना प्रसारण मंत्रलय में वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता का कहना है कि हाल में मैंने जहांगीरपुरी हिंसा के वीडियो देखे। एक वीडियो को मैंने ईयरफोन लगाकर सुना तो समझ में आया कि उसमें दिख रहे लोग बंगाली बोल रहे हैं। वैसे भी उस पूरे इलाके में अवैध रूप से बसे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों के होने की बात बार-बार सामने आ रही है। यही लोग नागरिकता संशोधन कानून का सबसे ज्यादा विरोध करते रहे हैं।

अब तो दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता भी कह रहे हैं कि अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों की बस्तियों में दिल्ली सरकार मुफ्त में बिजली-पानी दे रही है, लेकिन आदेश गुप्ता यह भूल जाते हैं कि केंद्र में भाजपा की सरकार है। और दिल्ली की पुलिस और कानून-व्यवस्था का जिम्मा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ही पास है।

बहरहाल देश में हिंदू धर्म की शोभायात्राओं पर हमले की घटनाओं ने बता दिया है कि देश में नागरिकता संशोधन कानून को लागू करना कितना जरूरी हो गया है। देश में तुरंत प्रभाव से नागरिकों की पहचान करके उनका एक रजिस्टर बनाना आवश्यक हो गया है। अवैध घुसपैठिए दुनिया भर में समस्या बन गए हैं। और भारत में एक बड़ी समस्या यह भी हो गई है कि भारत के एक समुदाय के कुछ लोग अरब और तुर्की से सबक ले रहे हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!