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मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनाई जाती है? - श्रीनारद मीडिया

मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनाई जाती है?

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मकर संक्रांति को नई ऊर्जा, नई फसल, और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा कई धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारणों से जुड़ी हुई है। खिचड़ी को सूर्य और शनि गृह से जुड़ा हुआ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन खिचड़ी खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। खिचड़ी दाल, चावल और सब्जियों से मिलकर बनती है, जो संतुलित और पौष्टिक आहार है। सर्दियों में शरीर को गर्म और ऊर्जा देने वाला भोजन माना जाता है। खिचड़ी के साथ तिल-गुड़ का सेवन किया जाता है, जो पाचन और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान करना बहुत शुभ माना जाता है। गंगा स्नान और खिचड़ी दान का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी है।

मकर संक्रांति में प्रयागराज एवं गंगा में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यतः सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। इस पर्व का पौराणिक मान्यताओं में बहुत महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर गए थे। चूँकि, शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने के दिन स्वेच्छा से शरीर त्यागा था।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को “संक्रांति” कहा जाता है.इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है, यानी उसकी दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर हो जाती है.उत्तरायण को शुभ समय माना गया है, जब सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है. यह समय देवताओं की कृपा पाने के लिए विशेष माना जाता है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • सूर्य के उत्तरायण होने से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं.
  • सर्दियों के अंत और गर्मी के आगमन का यह संकेत पर्यावरण और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है.
  • सूर्य की बढ़ती ऊर्जा से शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
  • मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा के पीछे धार्मिक, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक कारण छिपे हैं.
  • खिचड़ी को सूर्य और शनि ग्रह से जोड़ा गया है. खिचड़ी का सेवन और दान करने से ग्रह दोष शांत होते हैं और घर में सुख-शांति आती है.
  • खिचड़ी में दाल, चावल, और सब्जियों का संतुलित मिश्रण होता है, जो ठंड के मौसम में शरीर को गर्म और ऊर्जावान बनाए रखता है. तिल और गुड़ के साथ इसका सेवन पाचन और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है.
  • खिचड़ी एक ऐसा भोजन है, जिसे आसानी से बनाया और साझा किया जा सकता है. इसे दान करने की परंपरा समाज में समानता और भाईचारे को बढ़ावा देती है.
  • दान-पुण्य मकर संक्रांति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दिन गंगा स्नान और दान को शास्त्रों में अत्यधिक शुभ बताया गया है.

मकर संक्रांति को लेकर धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएं

भगवान सूर्यदेव इस दिन अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर गए थे, जिससे पिता-पुत्र के संबंध का महत्व दर्शाया गया.
महाभारत के भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने के समय शरीर त्यागा, क्योंकि यह समय मोक्ष के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.

  • गंगा नदी इसी दिन सागर में समाहित हुई थीं, जिससे गंगा स्नान का महत्व बढ़ गया.
  • मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है.
  • उत्तर भारत: गंगा स्नान, खिचड़ी दान और पतंगबाजी.
  • महाराष्ट्र: तिल-गुड़ बांटने और मीठे बोलने की परंपरा.
  • पश्चिम बंगाल: गंगा सागर मेला का आयोजन.
  • तमिलनाडु: पोंगल उत्सव, जो चार दिनों तक चलता है.

मकर संक्रांति सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह धर्म, विज्ञान और समाज का संगम है. खिचड़ी और दान की परंपराएं न केवल हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को संतुलित करती हैं, बल्कि समाज में सद्भाव और भाईचारे का संदेश भी देती हैं.

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