रामानुजन को ‘गणितज्ञों का गणितज्ञ’ क्यों कहा जाता है?

रामानुजन को ‘गणितज्ञों का गणितज्ञ’ क्यों कहा जाता है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रामानुजन द्वारा गणित में की गयी अद्‌भुत खोजें ही आज के आधुनिक गणित और विज्ञान की आधारशिला बनीं. संख्या सिद्धांत पर रामानुजन के अद्भुत कार्य के लिए उन्हें ‘संख्याओं का जादूगर’ माना जाता है. रामानुजन को ‘गणितज्ञों का गणितज्ञ’ भी कहा जाता है. गणित में अपने योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार से कई सम्मान प्राप्त हुए और वे गणित से जुड़ी सोसायटी में भी अहम पद पर रहे.

इतना ही नहीं, उन्होंने कई नये गणितीय सूत्र भी लिखे. टीबी के कारण महज 32 वर्ष की उम्र में 26 अप्रैल, 1920 को उनका निधन हो गया. रामानुजन मानते थे कि गणित से ही ईश्वर का सही स्वरूप जाना जा सकता है. गणित और अध्यात्म दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. अध्यात्म सैद्धांतिक पक्ष है, तो विज्ञान उसका व्यावहारिक पक्ष. शून्य सभी का आधार है.

बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार, ‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं.’

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने श्रीनिवास रामानुजन अयंगर की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष और उनके जन्मदिन 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस घोषित किया था. राष्ट्रीय गणित दिवस पहली बार 2012 में ही मनाया गया. यह दिवस देश के महान गणितज्ञ को न केवल श्रद्धांजलि है, बल्कि भावी पीढ़ी को गणित के महत्व और उसके प्रयोगों से जुड़ने के लिए प्रेरित करने का भी दिन है.
दुनिया में जहां भी संख्याओं पर आधारित खोज एवं विकास की बात होती है, भारत की गणितीय परंपरा को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया जाता है. भारत में हुई शून्य एवं दशमलव जैसी बुनियादी गणितीय खोजें इसका महत्वपूर्ण कारण मानी जाती हैं. गणितीय सिद्धांतों के बिना आकाश में उड़ान भरने, समुद्र की गहराई नापने और भौगोलिक पैमाइश की कल्पना करना भी मुश्किल था.
विज्ञान के जिन सिद्धांतों के आधार पर खड़े होकर हम तरक्की का दंभ भरते हैं, वह गणित के बिना बिल्कुल संभव नहीं था. गणित के क्षेत्र में भारत की गौरवशाली परंपरा रही है जिसे प्रोत्साहित करने की जरूरत है. उस परंपरा के प्रति स्वाभिमान जागृत करने और नयी पीढ़ी को उससे परिचित कराने की आवश्यकता है.
आज जीवन के हर क्षेत्र में रच-बस चुके गणित को उन गणित साधकों की भावना के अनुरूप ज्यादा व्यावहारिक बनाने का संकल्प लेते हुए हमें इस अभियान को जारी रखने का प्रण लेना चाहिए. महान गणितज्ञ का यह कथन आज भी प्रासंगिक बना हुआ है कि हमारे जीवन की कोई भी ऐसी धारा नहीं है, जिसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गणित का योगदान न हो. इस महान गणितज्ञ को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब हम उनके दिखाये रास्ते पर चलकर भावी पीढ़ी को गणित में सशक्त बना देश को अग्रणी बनाने में अपना योगदान दे सकें.

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!