शाही लीची को क्यों मिल रही है चुनौती?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
शाही लीची को जीआइ (भौगोलिक संकेत) टैग भले ही मिल गया है, लेकिन इसकी बिक्री और किसानों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस समय इसे बंगाल और उत्तराखंड की लीची से चुनौती मिल रही है। लीची दिल्ली व मुंबई भेजने में जितना किराया जिले के किसानों को देना पड़ रहा, उसके आधे में बंगाल के किसान पहुंचा रहे हैं। परिवहन की बेहतर सुविधा का लाभ वहां के किसानों को मिल रहा है। वहीं, अपने यहां ढुलाई की उचित व्यवस्था नहीं हो सकी है। रेलवे की ओर से प्रतिदिन केवल 24 टन भेजने की ही सुविधा है। वह भी सिर्फ मुंबई के लिए। किसान अपने स्तर से ट्रक से लीची भेज रहे हैं।
लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि कोलकाता में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होने के कारण कार्गो विमान सेवा आसानी से मिल रही है। शाम की लीची सुबह दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु पहुंच जा रही है। वहीं, मुजफ्फरपुर से दिल्ली या मुंबई लीची पहुंचाने में क्रमश: 24 घंटे व तीन दिन लग जाते हैं। हवाई जहाज से लीची भेजने में 45 से 56 रुपये प्रति किलो खर्च आ रहा है। वहीं बंगाल से खर्च 22 से 26 रुपये प्रति किलो। मुंबई पहुंचकर जिले की लीची 1500 रुपये प्रति पेटी (15 किलो), जबकि बंगाल की 2200 रुपये तक बिक रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि बंगाल की लीची ताजा पहुंच रही है।
दिल्ली के पास होने का उत्तराखंड को फायदा
दूसरी ओर, उत्तराखंड दिल्ली से नजदीक है। वहां से भी ढुलाई की अच्छी सुविधा है। कम खर्च में लीची देश की राजधानी में पहुंच रही है। बच्चा प्रसाद सिंह का कहना है कि दरभंगा एयरपोर्ट से लीची जा रही, लेकिन असुविधा हो रही है। एक माह के लिए अलग से कार्गो विमान की व्यवस्था होनी चाहिए। अभी प्रतिदिन 15-20 ट्रक जयपुर व लखनऊ और 50 ट्रक दिल्ली लीची जा रही है। एक ट्रक पर 10-12 टन लीची लोड होती है।
एक माह के लिए चले स्पेशल ट्रेन
बोचहां के प्रगतिशील लीची उत्पादक किसान विजय कुमार सिन्हा ‘चुन्नू बाबू’ ने बताया कि यहां से केवल मुंबई जाने वाली एक ट्रेन में पार्सल बोगी लगाई गई है। उसकी क्षमता केवल 24 टन है, जबकि जिले से प्रतिदिन करीब 400 से 500 टन लीची निकल रही है। उन्होंने बताया कि उनके बाग से ही प्रतिदिन 300-400 पेटी लीची निकल रही है। इसे ट्रक से व्यापारी के माध्यम से दिल्ली भेज रहे हैं। ट्रेन व ट्रक से 12 रुपये प्रति किलो तक खर्च आ रहा है। उद्यान रत्न किसान भोलानाथ झा का कहना है कि एक माह के लिए सरकार को दिल्ली व मुंबई के लिए स्पेशल ट्रेन चलानी चाहिए। नारायणपुर, ढोली व मोतीपुर से ट्रेन में लीची लादने की सुविधा मिलनी चाहिए।
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