मौनी अमावस्या के दिन क्यों रखा जाता है मौन व्रत?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के कार्य पुण्य फलदायी माने जाते हैं। वैसे तो सनातन धर्म में हर माह में आने वाली अमावस्या तिथि महत्वपूर्ण होती है। इस दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है, लेकिन मौनी अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने का उत्तम दिन माना जाता है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन पितरों के पिंडदान और तर्पण से उन्हें बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ साधु-संत और अन्य लोग मौन व्रत भी रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन व्रत-उपवास रखने से आत्मसंयम, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए विस्तार से जानते हैं मौनी अमावस्या की सही तिथि और इस दिन मौन व्रत का महत्व?
द्रिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 28 जनवरी 2025 को रात 07 बजकर 35 मिनट पर होगा और अगले दिन 29 जनवरी 2025 को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या मनाया जाएगा।
मौनी अमावस्या पर मौन व्रत का महत्व
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत किया जाता है। यह व्रत साधु-संतों और अन्य व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, मौन व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति का आध्यात्मिक कार्यों में मन लगता है। इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मौन व्रत के दौरान व्यक्ति अपने विचारों और वाणी पर संयम रखता है।
इससे ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है और व्यक्ति आध्यात्मिक विकास की ओर आगे बढ़ता है। यहीं नहीं, मौन व्रत रखने से वाणी शुद्ध होती है। साधक को मानसिक शांति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है और वाणी में मधुरता आती है। हालांकि, मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद ही पूरे दिन मौन व्रत किया जाता है और दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं। अमावस्या तिथि समाप्त होने के बाद मौन व्रत पूर्ण होता है।
सनातन धर्म में प्रत्येक माह में आने वाली अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है। इस दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य महत्वपूर्ण माने जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार,जनवरी महीने में 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या मनाया जाएगा। माघ महीने में पड़ने के कारण इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है। प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है।
45 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन दूसरा अमृत स्नान किया जाएगा। मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के कार्य पुण्य फलदायी माने गए हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक के सभी पाप नष्ट होते हैं और पितृ दोष के कारण जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से छुटकारा भी मिलता है। माघी अमावस्या के दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए कई उपाय भी किए जाते हैं। मान्यता है कि इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। आइए जानते हैं मौनी अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने वाले अचूक उपाय…
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
मौनी अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन देवी-देवता और पितर गंगा नदी में स्नान करने आते हैं। ऐसा में इस शुभ दिन पवित्र नदी या पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
माघ अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान के साथ दान-पुण्य के कार्य उत्तम माने गए हैं। इस दिन गुड़, तिल, घी, गर्म कपड़े और अपने क्षमतानुसार धन दान कर सकते हैं। मान्यता है कि इन चीजों के दान से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है।मौनी अमावस्या के दिन पितरों के आत्मशांति के लिए पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्धकर्म किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को धन, सुख-समृद्धि और खुशहाली का वरदान देते हैं।
माघी अमावस्या के दिन सूर्य देव, विष्णुजी और भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना और उनके मंत्रों का जाप करना शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और गृह-क्लेश, पितृ दोष और धन की तंगी से छुटकारा मिलता है।मौनी अमावस्या के दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए पितृ कवच, पितृ सूक्तम या पितृ स्तोत्रम का पाठ किया जा सकता है। मान्यता है कि इससे घर में खुशियों का माहौल रहता है।