स्टालिन परिसीमन के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में क्यों जुटे है?
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स्टालिन ने परिसीमन के लिए 1971 की जनगणना का प्रस्ताव दिया
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन को लेकर मोर्चा खोला हुआ है। उन्होंने इसे संघीय ढांचे पर हमला करार देते हुए कहा है कि इससे जनसंख्या नियंत्रण करने वाले दक्षिण भारतीय राज्यों का अधिकार छिन जाएगा। अब स्टालिन ने 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को केंद्र द्वारा प्रस्तावित परिसीमन एक्सरसाइज के खिलाफ राजनीतिक दलों की जॉइंट एक्शन कमेटी में शामिल होने का आह्वान किया है।
22 मार्च को चेन्नई में मीटिंग
स्टालिन ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, पंजाब के सीएम भगवंत मान, भाजपा शासित ओडिशा के सीएम मोहन चंद्र माझी, केरल के पिनराई विजयन, कर्नाटक के सिद्दरमैया, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू को निमंत्रण भेजा है। इतना ही नहीं, इस सभी राज्यों की नॉन रूलिंग पार्टियों के साथ-साथ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी 22 मार्च को चेन्नई में होने वाली मीटिंग के लिए बुलाया गया है।
स्टालिन ने खोला हुआ है मोर्चा
बता दें कि एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के खिलाफ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और परिसीमन को लेकर मोर्चा खोल रखा है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार दक्षिण भारतीय राज्यों पर हिंदी थोपना चाहती है। हालांकि केंद्र ने दोनों की आरोपों को खारिज कर दिया है।
एमके स्टालिन पर परिसीमन का भी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर केंद्र सरकार परिसीमन करना ही चाहती है, तो यह 1971 की जनसंख्या के आधार पर किया जाए। उन्होंने इसे अगले 30 साल के लिए स्थगित करने की भी अपील की है।
अमित शाह ने दिया था आश्वासन
स्टालिन के विरोध के बाद अमित शाह ने ये आश्वासन भी दिया था कि दक्षिण भारतीय राज्यों की एक भी लोकसभा सीट कम नहीं होगी। हालांकि स्टालिन ने इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि शाह ने यह भी नहीं कहा है कि उत्तरी राज्यों या किसी अन्य को अधिक सीटें नहीं मिलेंगी।
दरअसल तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में स्टालिन मुद्दों को भुनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहते। वहीं भाजपा इन मुद्दों की वजह से किसी भी तरह का राजनीतिक नुकसान उठाने से परहेज कर रही है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन के मुद्दे पर केंद्र पर दबाव बढ़ाया है। उन्होंने बुधवार को प्रस्ताव दिया कि 1971 की जनगणना को 2026 से अगले 30 वर्षों के लिए संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का आधार बनाया जाए। उन्होंने इसी के साथ सभी दक्षिणी राज्यों को शामिल करते हुए एक संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) का गठन रखने का प्रस्ताव किया।
स्टालिन ने परिसीमन पर यहां एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसमें मुख्य विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) सहित अन्य पार्टियों ने हिस्सा लिया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने एक प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि संसद में सीटों की संख्या में वृद्धि की स्थिति में, 1971 की जनगणना को इसका आधार बनाया जाना चाहिए। इसके लिए उचित संविधान संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 1971 की जनगणना के आंकड़ों को 2026 से अगले 30 वर्षों के लिए लोकसभा सीटों के परिसीमन का आधार बनाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संसद में इसका आश्वासन देना चाहिए।
बैठक में कहा गया कि तमिलनाडु संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के खिलाफ नहीं है। हालांकि, प्रस्तावित प्रक्रिया को पिछले 50 वर्षों के दौरान सामाजिक-आर्थिक कल्याण उपायों को अच्छी तरह से लागू करने की सजा नहीं साबित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र ने उस राज्य की आवाज सुनने से इनकार कर दिया, जिसके 39 लोकसभा सदस्य हैं। इसमें कहा गया कि अगर यह संख्या कम कर दी गई, तो राज्य के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा।
AIADMK, कांग्रेस, वामपंथी दल और अभिनेता से नेता बने विजय की तमिलगा वेट्री कषगम (टीवीके) सहित अन्य पार्टियों ने बैठक में हिस्सा लिया। जबकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), नाम तमिलर काची (एनटीके) और पूर्व केंद्रीय मंत्री जीके वासन की तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार) ने बैठक का बहिष्कार किया। सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) परिसीमन की कवायद का कड़ा विरोध कर रही है। पार्टी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री स्टालिन का दावा है कि इससे तमिलनाडु में लोकसभा की सीट कम हो जाएंगी। उन्होंने सवाल किया है है कि क्या राज्य को पिछले कुछ साल में जनसंख्या नियंत्रण उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दंडित किया जा रहा है।