बुलेट ट्रेन परियोजना में क्यों हो रही देरी?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत के सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (MAHSR) कॉरिडोर परियोजना, जिसे आम तौर पर बुलेट ट्रेन परियोजना (Bullet Train project) के नाम से भी जाना जाता है, इसमें और देरी होने की संभावना है। इस परियोजना के बारे में ताजा अपडेट देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि भूमि अधिग्रहण में आ रही चुनौतियों के कारण परियोजना में देरी हो रही है।

भूमि अधिग्रहण बनी हुई है चुनौतिपूर्ण

उन्होंने कहा कि इस परियोजना में भूमि अधिग्रहण की चुनौतियों के बाद भी इसके निर्माण चरण में वृद्धी दर्ज की गई है। साल 2015 की संयुक्त व्यवहार्यता अध्ययन रिपोर्ट (Feasibility Study report) के अनुसार, इस परियोजना की अनुमानित लागत 1,08,000 करोड़ रुपये थी और इसको आठ वर्ष में पूरा किया जाना था। रिपोर्ट के मुताबिक इस परियोजना में महत्वपूर्ण देरी हुई है।

अब तक कितने हेक्टेयर भूमि का हुआ अधिग्रहण?

मालूम हो कि इस परियोजना के लिए जरूरी करीब 1389.5 हेक्टेयर भूमि में से अब तक लगभग 1381.9 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। भूमि अधिग्रहण करने में सबसे अधिक मुश्किल महाराष्ट्र में आ रही है, जिससे परियोजना पर बड़ा असर देखने को मिल रहा है। MAHSR परियोजना के लिए सभी सिविल अनुबंध प्रदान किए जा चुके हैं और परियोजना को 28 अनुबंध पैकेजों में विभाजित किया गया है, जिनमें से 23 पैकेज पहले ही प्रदान किए जा चुके हैं।

कब तक पूरा होगा बुलेट ट्रेन परियोजना

उन्होंने आगे कहा कि यह परियोजना कब तक पूरा होगा और इसपर कितना लागत आएगा यह सिर्फ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने और सभी अनुबंधों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही लगाया जा सकता है। रेल मंत्री ने कहा कि भूमि अधिग्रहण में देरी एक बड़ी बाधा रही है और इन मुद्दों को हल करना परियोजना में शामिल अधिकारियों के लिए प्राथमिकता बनी हुई है।

  • मुंबई – अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (Mumbai to Ahmedabad High Speed Rail – MAHSR) को दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • अधिकतम 320-350 किमी प्रति घंटे की एक रफ्तार वाली इस ट्रेन से इन दोनों शहरों के बीच की दूरी को 7-8 घंटों की बजाय महज़ 2-3 घंटों में तय कर लिया जाएगा।
  • प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक, सालाना लगभग 1.6 करोड़ लोगों के बुलेट ट्रेन से यात्रा करने की उम्मीद हैं। वहीं 2050 तक, दैनिक आधार पर तकरीबन 1.6 लाख यात्रियों के हाई-स्पीड ट्रेन से यात्रा करने की संभावना है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत 1,10,000 करोड़ रुपए की इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना में निवेश करने के लिये जापान से 88,000 करोड़ रुपए का ऋण लेगा।
  • जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (Japan International Cooperation Agency – JICA) द्वारा 0.1% प्रति वर्ष की न्यूनतम ब्याज दर के आधार पर यह निधि प्रदान की जाएगी। 15 साल की अनुग्रह अवधि के साथ इस ऋण को 50 वर्षों में चुकता किया जाएगा।

बुलेट ट्रेन से जुड़े कुछ खास बिंदु

  • यह ट्रेन गुजरात के मुख्य शहर अहमदाबाद को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ेगी।
  • इसके मार्ग में कुल 12 स्टेशन आयेंगे।
  • इसका ज़्यादातर रास्ता ज़मीन से ऊपर गुजरेगा यानि एलिवेटेड होगा।
  • इस यात्रा में तकरीबन 7 किलोमीटर का हिस्सा समंदर के नीचे बनी सुरंग से होकर जाएगा।
  • बुलेट ट्रेन में 750 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होगी।

यह परियोजना भारत के विकास में कैसे मदद करेगी?

  • एम.ए.एच.एस.आर. के साथ-साथ नए उत्पादन अड्डों और टाउनशिप को भी विस्तारित किया जाएगा।
  • इसके लिये आवश्यक सस्ते आवासों, लॉजि़स्टिक्स केंद्रों और औद्योगिक इकाइयों के खुलने से छोटे कस्बों और शहरों को भी लाभ होगा।
  • महाराष्ट्र के पालघर और गुजरात के वलसाड ज़िले के साथ-साथ संघ राज्य क्षेत्र दमन में भी निवेश के नए अवसर निर्मित होंगे।
  • बुलेट ट्रेन की निर्माण संबंधी गतिविधियों से इस्पात, सीमेंट एवं विनिर्माण जैसे संबद्ध उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • इससे अतिरिक्त इससे रसद एवं वस्तुओं की भंडारण संबंधी मांग में भी बढ़ावा होगा। इससे निकट अवधि में देश की आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।
  • इससे देश में बहुत सी नई अस्थायी एवं स्थायी नौकरियाँ सृजित होंगी। अकेले निर्माण चरण में लगभग 20,000 लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा होने की संभावना है।
  • परियोजना के संचालन के बाद, ट्रेन की लाइनों के संचालन और रखरखाव के लिये कम से कम 4,000 नौकरियों का सृजन किया जाएगा।
  • इसके अलावा, तकरीबन 16,000 अप्रत्यक्ष रोज़गार के भी अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है।
  • इस जटिल और उच्च पैमाने की परियोजना का प्रबंधन करना भारतीय एजेंसियों के लिये भी एक बेहतर अनुभव साबित होगा, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में अधिक से अधिक कौशल विकास होने की संभावना है।
  • हालाँकि, इसके लिये पहले से ही वडोदरा में एच.एस.आर. प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने की योजना बनाई जा चुकी है।

पृष्ठभूमि

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