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सीबीआई की राज्य में प्रवेश पर रोक,क्यों लगाई गई है? - श्रीनारद मीडिया

सीबीआई की राज्य में प्रवेश पर रोक,क्यों लगाई गई है?

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कोर्ट के आदेश पर जांच से रोक नहीं सकतीं राज्य सरकारें

क्या चुनावों पर एजेंसियों की जांच का हो सकता है असर

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने बीते दिन सीबीआई की राज्य में एंट्री पर रोक लगा दी है। अब राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए सीबीआई को तमिलनाडु सरकार से इजाजत लेनी होगी। स्टालिन सरकार ने सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले ली है।

हाल ही में कई दूसरे राज्यों ने भी सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले ली थी। इसमें पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल, मिजोरम और तेलंगाना आदि शामिल है। सीबीआई से सामान्य सहमति वापस लेना अब विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों का एक शक्तिशाली राजनीतिक उपकरण बनता दिख रहा है।

 सीबीआई सामान्य सहमति क्या है?

  • CBI दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 के नियमों के तहत काम करती है।
  • इस अधिनियम की धारा 6 के तहत सीबीआई को राज्य में किसी अपराध की जांच शुरू करने से पहले अनिवार्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की सामान्य सहमति प्राप्त करनी होती है।
  • आमतौर पर ज्यादातर राज्य सरकारों ने पहले से ही सामान्य सहमति दे रखी है। इसके मिलने से एजेंसी बिना रोकटोक के राज्य में कहीं भी जांच कर सकती है।
  • अगर राज्य सरकार ये सामान्य सहमति वापस ले लेती है, तो सीबीआई राज्य सरकार से पूछे बिना किसी भी मामले में जांच नहीं कर सकती है। मामूली केस में भी एजेंसी को राज्य से मंजूरी लेनी होती है।
  • चाहे भ्रष्टाचार या कोई भी मामला सामने आ जाए सीबीआई बिना राज्य सरकार की अनुमति के जांच नहीं कर पाती है।

क्या सामान्य सहमति के बिना CBI की एंट्री नहीं होगी?

  • सामान्य सहमति वापस लेने से सीबीआई एक राज्य में जाने के लिए शक्तिहीन हो जाती है।
  • जिन राज्यों ने सामान्य सहमति वापस ले रखी है, वहां सीबीआई बिना इजाजत जांच के लिए नहीं जा सकती है।
  • हालांकि, अगर सीबीआई को किसी मामले में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जांच का आदेश देता है, तो उसे राज्य सरकार की इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती है।

किन राज्यों में सीबीआई पर बैन?

पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, मिजोरम, झारखंड, मेघालय, छत्तीसगढ़, पंजाब और तेलंगाना ने सीबीआई के लिए किसी भी मामले में जांच शुरू करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य किया हुआ है।

अब तमिलनाडु 10वां राज्य बन गया है, जिसने सीबीआई की एंट्री बैन कर दी है।

किन-किन राज्यों में है बैन

पश्चिम बंगाल, झारखंड, पंजाब, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, केरल, मिजोरम, मेघालय और राजस्थान के बाद अब तमिलनाडु भी केंद्रीय जांच एजेंसियों पर बैन लगाने वाले राज्यों में शुमार हैं। इन राज्यों में सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां किसी शिकायत पर बिना राज्य सरकार की सहमति प्राप्त किए कोई कार्रवाई नहीं कर सकतीं। हां, इसमें एक छूट जरूर शामिल है। अगर जांच किसी न्यायालयी आदेश या राज्य सरकार की संस्तुति पर हो रही हो, तो इस पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। हकीकत यह है कि जब भी किसी मामले में केंद्रीय एजेंसियों से जांच की जरूरत महसूस होती है तो लोग हाईकोर्ट की शरण में जाते हैं। कोर्ट अगर इजाजत देता है तो जांच होती है।

एजेंसियों की जांच का चुनाव पर कितना असर?

केंद्रीय जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। उन्हें जांच के लिए कोर्ट या राज्य सरकारों ने ही कहा है। आम आदमी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जांच के लपेटे में उनके पसंदीदा नेता रहे हैं या विरोधी। सामान्य भाव यही है कि चोर या भ्रष्टाचारी पकड़ा जाना चाहिए। लालू यादव के परिवार की बात करें तो उनके मामले में भी स्वजातीय को छोड़ कर किसी को इसकी परवाह नहीं है कि जांच एजेंसियां उनके परिवार के खिलाफ जांच कर रही हैं।

हां, थोड़ा-बहुत संदेह तब तक बरकरार रहता है, जब तक दोष न सिद्ध हो जाए। सुखद पहलू यह है कि ईडी ने जितने मामलों की अब तक जांच की है, उनमें अधिकतर के खिलाफ दोष सिद्ध हुए हैं और सजा भी हुई हैं। सामाजिक न्याय के मसीहा, समाज के वंचित लोगों को स्वर्ग नहीं, स्वर देने का दावा करने वाले लालू प्रसाद के बारे में भी जब चारा घोटाले में सीबीआई जांच शुरू हुई थी तो यही कहा जाता था कि उन्हें फंसाया गया है। दोष सिद्ध होने और सजा के बाद सबकी बोलती बंद हो गई थी।

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