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भारत में ऑनलाइन गेमिंग बाज़ार क्यों चर्चा में है? - श्रीनारद मीडिया

भारत में ऑनलाइन गेमिंग बाज़ार क्यों चर्चा में है?

भारत में ऑनलाइन गेमिंग बाज़ार क्यों चर्चा में है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महाराष्ट्र के पुणे में एक पुलिस उप-निरीक्षक (Police Sub-Inspector- PSI) के निलंबन का हालिया मामला सामने आया है जो ऑनलाइन गेमिंग तथा एक कानून प्रवर्तन अधिकारी के उत्तरदायित्वों से संबंधित जटिल नैतिक चिंताओं को उजागर करता है।

ऑनलाइन गेमिंग में अधिकारी की भागीदारी से संबंधित नैतिक निहितार्थ क्या हैं?

  • ऑनलाइन गेमिंग में अधिकारी की भागीदारी के पक्ष में तर्क:
    • व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकार: अधिकारी को किसी भी अन्य नागरिक की तरह मिलने वाले व्यक्तिगत समय के दौरान कानूनी मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने का अधिकार है।
      • ऑनलाइन गेमिंग सहित कानूनी मनोरंजक गतिविधियों के लिये अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत निधि का उपयोग उनके विवेकाधीन व्यय एवं वित्तीय स्वायत्तता के अंतर्गत आता है।
    • कानूनी मानदंडों का पालन: यदि ऑनलाइन गेमिंग गतिविधि कानूनी रूप से स्वीकार्य है तथा वह अधिकारी कानून का अनुपालन करता है, तो उनकी भागीदारी कानूनी मानदंडों के ढाँचे के भीतर है और व्यक्तिगत स्वायत्तता के भाग के रूप में इसका सम्मान किया जाना चाहिये।
    • तनाव का शमन: ऑनलाइन गेमिंग किसी भी अवकाश गतिविधि की तरह तनाव से राहत देने वाले उपकरण के रूप में कार्य कर सकती है, जो नौकरी के दबाव से उत्पन्न मानसिक तनाव से  मुक्ति प्रदान करता है।
  • शामिल नैतिक मुद्दे:
    • संगठनात्मक मानकों का उल्लंघन:
      • आचार संहिता का उल्लंघन: यूनिट कमांडर की अनुमति के बिना ऑनलाइन गेमिंग में संलग्न होना महाराष्ट्र राज्य पुलिस के भीतर स्थापित आचार संहिता का उल्लंघन है, जो संस्थागत नियमों की उपेक्षा का संकेत देता है।
      • व्यावसायिक मानदंडों के साथ संघर्ष: नैतिक रूप से ड्यूटी के दौरान ऑनलाइन गेमिंग में अधिकारी की भागीदारी कानून प्रवर्तन के लिये आवश्यक अपेक्षित व्यावसायिकता और नैतिक मानकों के साथ संघर्ष करती है।
    • नकारात्मक लोक छवि और विश्वास के निहितार्थ:
      • लोक धारणा और विश्वास का क्षरण: वर्दी में व्यक्तिगत जीत पर चर्चा वाला मीडिया साक्षात्कार अधिकारी की पेशेवर ईमानदारी और कानून प्रवर्तन की व्यापक छवि में जनता के विश्वास को कमज़ोर कर सकता है, जिससे जनता का पुलिस बल में विश्वास कम हो जाता है।
      • संगठनात्मक विश्वसनीयता पर प्रभाव: नैतिक रूप से ऐसे आचरण से पूरे पुलिस बल की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है, क्योंकि अधिकारी के कार्य संस्था को प्रतिबिंबित करते हैं, जिससे इसकी समग्र छवि और सार्वजनिक विश्वास पर प्रभाव  पड़ता है।
    • रोल मॉडल अपेक्षाएँ और नैतिक ज़िम्मेदारियाँ:
      • एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में भूमिका: नैतिक रूप से एक कानून प्रवर्तन अधिकारी के रूप में अधिकारी एक सार्वजनिक व्यक्ति होता है और उससे नैतिक व्यवहार तथा ज़िम्मेदार आचरण का उदाहरण स्थापित करते हुए एक रोल मॉडल के रूप में कार्य करने की उम्मीद की जाती है।

ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े व्यापक नैतिक मुद्दे क्या हैं?

  • लत और मानसिक स्वास्थ्य: कुछ ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों की लत लगने की प्रकृति से चिंताएँ उत्पन्न होती हैं, जो संभावित रूप से बाध्यकारी व्यवहार, ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
  • वित्तीय जोखिम और भेद्यता: व्यक्तियों, विशेष रूप से कमज़ोर जनसांख्यिकी, को वित्तीय जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे गेमिंग पर अत्यधिक खर्च के कारण कर्ज़ या आर्थिक कठिनाई जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं तथा ज़िम्मेदार उपभोक्ता जुड़ाव और देखभाल के कॉर्पोरेट कर्त्तव्य के बारे में नैतिक सवाल उठ सकते हैं।
  • कमज़ोर उपयोगकर्त्ताओं का शोषण: संवेदनशील उपयोगकर्त्ताओं के संभावित शोषण के बारे में नैतिक चिंताएँ सामने आती हैं, जिन्हें सुरक्षात्मक उपायों एवं कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, उनके संसाधनों से अधिक व्यय करने का लालच दिया जा सकता है।
  • नियामक अस्पष्टता एवं कानूनी परिभाषाएँ: कौशल-आधारित गेमिंग तथा जुए के बीच अंतर में स्पष्ट परिभाषाओं का अभाव है, जिससे इन गेमिंग गतिविधियों की प्रकृति के बारे में नियामक अस्पष्टता, नैतिक बहस के साथ-साथ इसकी विभिन्न व्याख्याएँ की जाती हैं।
  • कॉर्पोरेट उत्तरदायित्व एवं उपयोगकर्त्ता कल्याण: गेमिंग कंपनियों की नैतिक ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि उनके प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं का शोषण न करें तथा नशे अथवा लत वाले व्यवहार को बढ़ावा न दें और लाभ के उद्देश्यों से अधिक उपयोगकर्त्ता के कल्याण को प्राथमिकता दें।
    • नैतिक विचार ज़िम्मेदार गेमिंग प्रथाओं को बढ़ावा देने, उपयोगकर्त्ताओं को सुरक्षित रखने एवं इसकी लत की रोकथाम तथा समर्थन के लिये संसाधनों के प्रस्तुतिकरण से आपस में संबद्द हैं।
  • सामाजिक मानदंडों पर प्रभाव: जब अत्यधिक गेमिंग व्यवहार समाज में आम हो जाता है, तब नैतिक उलझनें उत्पन्न होती हैं जो सामाजिक मानदंडों के साथ ही व्यवहारों को भी परिवर्तित कर सकती हैं, विशेषरूप से युवा जनसंख्या में।

नोट: हाल ही में भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा ऑनलाइन मनी गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ पर 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) की घोषणा की गई।

आगे की राह:

  • पेशेवरों के आचरण के संबंध में:
    • स्पष्ट संगठनात्मक नीतियाँ: ऑफ-ड्यूटी आचरण के संबंध में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अंर्तगत स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित करना, विशेष रूप से ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित अनुमेय एवं गैर-अनुमेय गतिविधियों आदि को निर्दिष्ट करना।
    • नैतिक प्रशिक्षण एवं शिक्षा: कानून प्रवर्तन कर्मियों को नैतिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करके  आश्वस्त करना कि जनता उन्हें उनके कार्यों के लिये उत्तरदायी मानती है जो ऑन-ड्यूटी तथा ऑफ-ड्यूटी दोनों जगह नैतिक व्यवहार बनाए रखने के मूल्य पर ज़ोर देती है।
    • मज़बूत आचार संहिता: आधुनिक समय की चुनौतियों से निपटने के लिये मौजूदा आचार संहिता की समीक्षा कर उसे अधिक मज़बूत किया जाना चाहिये, जिसमें मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने, पेशेवर छवि बनाए रखने एवं वर्दी में सोशल मीडिया के उपयोग के लिये दिशानिर्देश शामिल हैं।
    • सहायता और परामर्श सेवाएँ: अधिकारियों के लिये सहायता सेवाएँ एवं परामर्श प्रदान करना, उनके तनाव को दूर करना तथा उनके पेशे की चुनौतीपूर्ण प्रकृति को ध्यान में रखते हुए तनाव को कम करने के लिये सकारात्मक प्रतिरोधी तंत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • ऑनलाइन गेमिंग के संबंध में:

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