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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चर्चा में क्यों है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana-Accelerated Irrigation Benefit Programme- PMKSY-AIBP) के तहत उत्तराखंड की जमरानी बाँध बहुउद्देशीय परियोजना को शामिल करने की मंज़ूरी दे दी है।

  • इस परियोजना में राम गंगा नदी की सहायक नदी गोला नदी पर जमरानी गाँव के निकट एक बाँध का निर्माण कार्य शामिल है। यह बाँध मौजूदा गोला नदी बैराज के लिये जल के स्रोत के रूप में कार्य करेगा और इससे 14 मेगावाट जलविद्युत उत्पादित होने की संभावना है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY):

  • परिचय:
    • इस योजना को वर्ष 2015 में खेती के लिये पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने, सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करने, जल उपयोग दक्षता में सुधार करने तथा सतत् जल संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था।
    • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसमें केंद्र-राज्यों के बीच हिस्सेदारी का अनुपात 75:25 होगा।
      • पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा पहाड़ी राज्यों के मामले में यह हिस्सेदारी 90:10 के अनुपात में होगी।
    • वर्ष 2020 में जल शक्ति मंत्रालय ने PMKSY के तहत परियोजनाओं के घटकों की जियो-टैगिंग के लिये एक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया।

  • उद्देश्य:
    • क्षेत्रीय स्तर पर सिंचाई में निवेशों में एकरूपता प्राप्त करना (ज़िला स्तर पर और यदि आवश्यक हो तो, उप ज़िला स्तर पर जल उपयोग योजनाएँ तैयार करना)।
    • खेतों में जल की पहुँच में वृद्धि और सिंचाई (हर खेत के लिये जल) सुनिश्चित करने के प्रयास के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना।
    • आवश्यक प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं के माध्यम से जल के सर्वोत्तम उपयोग के लिये जल स्रोत, वितरण एवं इसके कुशल उपयोग का एकीकरण
    • जल की बर्बादी को कम करने और समयबद्ध तरीके तथा आवश्यकता अनुरूप उपलब्धता बढ़ाने के लिये खेतों में जल उपयोग दक्षता में सुधार करना।
    • परिशुद्ध कृषि जैसी जल-बचत प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।
    • जलभृतों के पुनर्भरण को बढ़ाना तथा धारणीय जल संरक्षण प्रथाओं को लागू करना।
    • मृदा व जल संरक्षण, भू-जल पुनर्प्राप्ति, अपवाह पर नियंत्रण, आजीविका के विकल्प प्रदान करने और अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन गतिविधियों के लिये वाटरशेड दृष्टिकोण के उपयोग से वर्षा सिंचित क्षेत्रों का एकीकृत विकास सुनिश्चित करना
    • किसानों और क्षेत्रीय कार्यकर्त्ताओं के लिये जल संचयन, जल प्रबंधन एवं फसल संरेखण से संबंधित विस्तार गतिविधियों को बढ़ावा देना।
    • उप नगरीय कृषि के लिये उपचारित नगरपालिका अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग की व्यवहार्यता की जाँच करना।
  • घटक:
    • त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (Accelerated Irrigation Benefit Programme- AIBP): इसे वर्ष 1996 में राज्यों की संसाधन क्षमताओं से बढ़कर सिंचाई परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
      • वर्तमान में PMKSY-AIBP के तहत 53 परियोजनाएँ पूरी की जा चुकी हैं, जिनसे 25.14 लाख हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है।
    • हर खेत को पानी (HKKP): इसका उद्देश्य लघु सिंचाई के माध्यम से नए जल स्रोत का निर्माण करना है। इसके अंतर्गत जल निकायों की देखभाल, पुनर्स्थापना तथा नवीकरण, पारंपरिक जल स्रोतों की वहन क्षमता को बेहतर बनाना, वर्षाजल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण करना आदि शामिल हैं।
      • इसके उप घटक इस प्रकार हैं: कमांड एरिया डेवलपमेंट (CAD), सतही लघु सिंचाई (SMI), जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण एवं पुनरूद्धार (Repair, Renovation and Restoration- RRR), भू-जल विकास।
    • वाटरशेड विकास: इसमें मृदा और नमी संरक्षण की बेहतर तकनीकें शामिल हैं जैसे कि रिज़ क्षेत्रों तथा जल निकासी लाइन 5 की मरम्मत करना, वर्षाजल एकत्रित करना, यथास्थान नमी का संरक्षण करना और वाटरशेड के आधार पर अन्य संबंधित कार्य करना। इसमें जल अपवाह तंत्र का कुशल प्रबंधन भी शामिल है।
  • निरूपण: इसे निम्नलिखित योजनाओं को मिलाकर तैयार किया गया था:
    • त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP)- जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय)।
    • एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (Integrated Watershed Management Programme- IWMP)- भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय।
    • ऑन-फार्म जल प्रबंधन (OFWM)- कृषि और सहकारिता विभाग (DAC)।
  • कार्यान्वयन: 
    • राज्य सिंचाई योजना एवं ज़िला सिंचाई योजना के माध्यम से विकेन्द्रीकृत कार्यान्वयन।

कृषि से संबंधित अन्य पहलें:

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