संसद में गतिरोध क्यों बना हुआ है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। संसद के बाहर विपक्ष का जोरदार हंगामा भी देखने को मिला। विपक्ष लगाकार अडानी और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा करने की मांग कर रहा है। लेकिन इस बीच विपक्ष खेमे में दरारें एक बार फिर खुलकर सामने आ गई हैं।

समाजवादी और TMC ने किया प्रदर्शन से किनारा

ताजा जानकारी के अनुसार, जब कांग्रेस पार्टी के साथ अन्य विपक्षी पार्टियां संसद के बाहर अपने मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रही थी तब कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां समाजवादी और TMC ने विरोध प्रदर्शन से किनारा कर लिया।

वो लायक हैं तो चलाएंगे सदन- रेणुका चौधरी

वहीं, कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने भाजपा सरकार पर सदन नहीं चलाने का आरोप लगाया है। चौधरी ने कहा, हम सदन चलाने के लिए अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास करते हैं क्योंकि जनता हमसे उम्मीद करती है कि हम यहां उनकी आवाज मजबूती से उठाएंगे।

उन्होंने आगे कहा, अगर सरकार सदन चलाना चाहती है तो वह चलेगी। अगर वे ऐसा नहीं चाहते हैं तो फिर साजिश क्या है, यह सबको पता है। सदन चलाना हमारी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि जो लोग कुर्सी पर बैठे हैं और पदों पर हैं, वे इसके लिए जिम्मेदार हैं। अगर वो लायक हैं तो चलाएंगे और नालायक हैं तो नहीं चलाएंगे।

संभल हिंसा को लेकर पूरे विपक्ष ने किया वॉकआउट

उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित लगभग पूरे विपक्ष ने सदन से संक्षिप्त वाकआउट किया।

जैसे ही सदन में प्रश्नकाल शुरु हुआ, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव अपनी सीट से उठे और इस मुद्दे को उठाते हुए अध्यक्ष ओम बिरला से संभल हिंसा पर बोलने की अनुमति मांगी।यादव को यह कहते हुए सुना गया, यह बहुत गंभीर मामला है। पांच लोगों की जान चली गई है। 

जैसे ही अध्यक्ष ने कहा कि सदस्य इस मुद्दे को शून्यकाल में उठा सकते हैं, यादव और उनकी पार्टी के साथी विरोध में सदन से बाहर चले गए। इस बीच, कुछ सपा सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए।जब सपा सदस्य सदन के आसन के समीप आकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब डीएमके सदस्य ए राजा को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी सदस्यों से अपनी सीटों से उठकर सपा के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह करते देखा गया।

एनसीपी और शिवसेना-यूबीटी ने किया सपा का समर्थन

समाजवादी पार्टी के सांसदों के समर्थन में एनसीपी और शिवसेना-यूबीटी के सदस्य खड़े हो गए।कांग्रेस के कुछ सदस्य भी खड़े हो गए और सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी विरोध के समर्थन में सदन में आ गए। जब विरोध प्रदर्शन चल रहा था, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए यादव से संपर्क किया। कुछ देर बाद यादव को अपनी पार्टी के सांसदों को जाने का इशारा करते हुए देखा गया और गांधी समेत विपक्षी सदस्यों ने वॉकआउट कर दिया। इसके बाद सांसद चल ​​रहे प्रश्नकाल में भाग लेने के लिए वापस आ गए।

राम गोपाल यादव ने लगाए गंभीर आरोप

राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने सदन में संभल हिंसा को लेकर अपना पक्ष रखा। इस दौरान यादव ने कहा कि 24 दिसंबर को सुबह 6 बजे पूरे संभल में पुलिस तैनात कर दी गई। संभल के लोगों को पता ही नहीं था कि पुलिस क्यों तैनात की जा रही है।

पुलिस ने गोलियां चलाईं, 5 लोग मारे गए, 20 लोग घायल हुए, सैकड़ों लोगों पर केस दर्ज किए गए और कई लोग जेल में हैं, जो पकड़े गए उन्हें बुरी तरह पीटा गया। मैं और कई अन्य लोग मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में पहले जो चुनाव हुए थे, उसमें पड़ोसी जिलों की पुलिस ने किसी को वोट नहीं डालने दिया और जबरन चुनाव पर कब्जा कर लिया। यह सब एक तरह से उससे ध्यान हटाने के लिए हुआ।

टीएमसी ने अपनाया अलग रुख

दरअसल, जहां कांग्रेस उद्योगपति गौतम अदाणी पर अमेरिका में कथित रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामले में आरोप लगाए जाने का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है, वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल को केंद्रीय निधि से वंचित किए जाने और मणिपुर की स्थिति जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी।

कांग्रेस को टीएमसी की खरी-खरी

टीएमसी ने कहा कि वो ‘जनता के मुद्दों’ पर ध्यान केंद्रित करेगी और वह नहीं चाहती कि ‘एक मुद्दे’ पर कार्यवाही बाधित हो। लोकसभा में पार्टी की उपनेता काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि टीएमसी संसद में उठाने के लिए ‘जनता के मुद्दों’ पर तेजी से ध्यान केंद्रित करेगी।

यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अदाणी का मुद्दा दूसरे दिन भी दोनों सदनों में उठाया गया और दोनों सदनों को ज्यादा कामकाज किए बिना स्थगित कर दिया गया।
हम नहीं चाहते संसद बाधित होः टीएमसी
दस्तीदार ने कहा कि टीएमसी चाहती है कि संसद चले, हम नहीं चाहते कि एक मुद्दे के कारण संसद बाधित हो। हमें इस सरकार को उसकी कई विफलताओं के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में संसद के शीतकालीन सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की गई। जहां राज्य के लिए मनरेगा और अन्य केंद्रीय निधियों को रोका जाना मुख्य मुद्दा है, जिसे पार्टी उठाने पर विचार कर रही है, वहीं मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी और उर्वरक की कमी जैसे मुद्दे भी सूची में हैं।
पूर्वोत्तर की स्थिति और मणिपुर में जारी हिंसा भी सूची में है, साथ ही अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक को मंजूरी मिलने में देरी भी है। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि सोमवार को टीएमसी की कार्यसमिति की बैठक में इन मुद्दों को उठाने पर निर्णय लिया गया, क्योंकि यह जनता से जुड़े मुद्दे हैं।

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