क्यों पड़ी है मॉडल टाइम-टेबल की जरूरत ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

माध्यमिक शिक्षा निदेशक के स्तर से निर्गत नए टाइम टेबल को लोग शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक कारगर कदम मान रहे है. हालांकि कुछ शिक्षकों ने इसे अव्यवहारिक बताया है और पुराने टाइम टेबल को ही उचित करार दिया है. बहरहाल, शिक्षकों को अब एक दिसंबर से एक घंटा पहले यानी सुबह नौ बजे स्कूल पहुंच जाना पड़ेगा. माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने जारी पत्र में क्लियर कर दिया है कि आखिर मॉडल टाइम-टेबल जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी है.

उन्होंने कहा है कि प्रतिदिन 40 हजार स्कूलों का अनुश्रवण किया जा रहा है. इससे पता चला है कि प्रारंभिक और माध्यमिक स्कूलों के खुलने और बंद होने के समय में भिन्नता है. कक्षा की अवधि में भी अंतर है. इतना ही नही, एमडीएम की घंटी में भी एकरूपता नही है. उन्होंने कहा है, इन्हीं कारणों से प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए मॉडल टाइम-टेबल महसूस की गई है.

प्रधान नही करेंगे टाइम टेबल में बदलाव

उक्त स्कूलों के प्रधान शिक्षक और शिक्षकों को एक दिसंबर 23 से लागू होने वाले मॉडल टाइम टेबल पर ही स्कूल को खोलने और बंद करने का आदेश दिया गया है. सभी प्रधान को हिदायत की गई है कि वे खुद के स्तर इस टाइम टेबल में कोई बदलाव नहीं करेंगे, अन्यथा उनके खिलाफ विभाग कड़ी कार्रवाई करेगी. कहा गया है कि अगर किसी कक्षा की बोर्ड/सेंटअप परीक्षा चल रही हो, तो अन्य कक्षाएं बाधित नहीं होनी चाहिए. यानी प्रधान शिक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि अन्य कक्षाओं का संचालन सुचारू चलता रहे. शनिवार को पूरे दिन गतिविधि चलेगी. भोजनावकाश के बाद अभिभावकों के साथ बैठक और बाल संसद का आयोजन किया जायेगा. उक्त टाइम टेबल संस्कृत और मदरसा में भी लागू होगा.

क्या है नया मॉडल टाइम-टेबल

मॉडल टाइम-टेबल के अनुसार, सुबह नौ बजे स्कूल खोल देना है. 9:00 से 9:30 बजे तक प्रार्थना, ड्रील, व्यायाम और योगाभ्यास, 9:30 से 10:10 तक पहली घंटी, 10:10 से 10:50 तक दूसरी घंटी, 10:50 से 11:30 तक तीसरी घंटी, 11:30 से 12:10 तक चौथी घंटी, 12:10 से 12:50 तक एमडीएम और मध्यांतर, 12:50 से 01:30 तक पांचवीं घंटी, 01:30 से 02:10 तक छठी घंटी, 02:10 से 02:50 तक सातवीं घंटी, 2:50 से 3:30 तक आठवीं घंटी, 3:30 बजे बच्चों की छुट्टी, 3:30 से 4:15 तक मिशन दक्ष के तहत विशेष कक्षा, 4:15 से 5:00 बजे तक कक्षा एक और दो के बच्चों को छोड़कर शेष वर्ग के बच्चों के होमवर्क को चेक करना, पाठ टीका तैयार करना समेत अन्य कार्य और 5 बजे शिक्षकों की छुट्टी.

प्रधान शिक्षकों की बढ़ेगी मुश्किलें

जिन स्कूलों में 50 फीसदी से कम उपस्थिति है, उन स्कूलों के प्रधान शिक्षक की मुश्किलें बढ़ने वाली है. 27 नवंबर को ही अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बच्चों की कम उपस्थिति को काफी गंभीरता पूर्वक लिया था और ऐसे प्रधान शिक्षकों से स्पष्टीकरण पूछने का निर्देश दिया था. उनके निर्देश के आलोक में अपर सचिव कुमार ने सभी डीईओ को पत्र भेज 50 फीसदी से कम उपस्थिति वाले स्कूलों के प्रधान शिक्षक को कार्यालय में तलब कर स्पष्टीकरण पूछने का निर्देश दिया है. फिर भी उपस्थिति में सुधार नही होता है, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की हरी झंडी दी है.

एक दिसंबर से लागू होगा स्कूलों में मॉडल टाइम टेबल

शिक्षकों को विभाग के आदेशों/निर्देशों को पढ़ने तक की फुरसत नहीं मिल पा रही है. एक निर्देश को पढ़कर शिक्षक उसपर अमल की कोशिश करते है कि दूसरा निर्देश आ जाता है. यानी दोपहर तक जिस विभागीय निर्देश पर चर्चा करते है कि इसे धरातल पर कैसे उतारा जाए, तभी शाम में एक नए निर्देश का पत्र आ जा रहा है. विभाग का ताजा पत्र स्कूलों में “मॉडल टाइम-टेबल” को लेकर है. इसमें स्कूल के खुलने से लेकर पहली घंटी कब बजेगी और छुट्टी कब होगा, का उल्लेख किया गया है। यह एक दिसंबर 23 से सभी स्कूलों में लागू हो जायेगा.

सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में सुधार होते ही बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है. इससे विभाग भी संतुष्ट है. गत माह बच्चों की उपस्थिति 92 फीसदी तक पहुंच गई थी. विभागीय समीक्षा में यह आंकड़ा सामने आने पर विभाग को उठाए गए कदमों से मिल रहे लाभों से संतुष्टि मिली थी.

इसके साथ ही विभाग व्यवस्था में सुधार की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया था और इसके लिए दिन-रात लगा हुआ भी है. विभाग प्रतिदिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्कूलों के हाल की समीक्षा करती है और इसमें सामने आए विभिन्न बातों/विषयों/समस्याओं के निदान की दिशा में कदम उठाती है. 27 नवंबर को समीक्षा के दौरान एक ऐसी बात सामने आई, जो चिंतित करने वाली है.

बच्चों की कम उपस्थिति सोचनीय

दरअसल, कुछ स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति एक बार फिर 50 फीसदी से नीचे होने पर विभाग चिंतित है. 27 नवंबर की शाम विभागीय समीक्षा में खुद अपर मुख्य सचिव केके पाठक भी शामिल थे. सामने आया था कि 50 फीसदी से कम बच्चों की उपस्थिति वाले विद्यालयों की संख्या काफी अधिक हो गई है. विभाग के अपर सचिव संजय कुमार ने कहा है कि यह स्थिति स्वीकार योग्य नही है, जबकि उपस्थिति बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है.

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