काली फिल्म के पोस्टर को लेकर क्यों मचा है बवाल?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा के बयान के बाद देश में कई विरोध प्रदर्शन, धमकी और कई जगहों पर हिंसक घटनाएं भी हुई. अब एक और धार्मिक विवाद खड़ा हो रहा है. डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली के पोस्टर को लेकर सोसल मीडिया से लेकर राजनीति तक बवाल मचा है.

बवाल क्यों मचा है ? बवाल इसलिए कि फिल्म के पोस्ट में देवी काली को अपमान जनक तरीके से चित्रित किया गया है.

उत्तर प्रदेश में फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलई के खिलाफ शिकायत में दर्ज करा दी गयी है. यूपी पुलिस ने हिंदू देवताओं के अपमानजनक चित्रण के बारे में अपनी फिल्म ‘काली’ के लिए फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलई के खिलाफ आपराधिक साजिश, पूजा स्थल पर अपराध, जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से शांति भंग करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है. इधर दिल्ली पुलिस ने बताया कि IFSO इकाई ने ‘काली’ फिल्म से संबंधित एक विवादास्पद पोस्टर के संबंध में IPC की धारा 153A और 295A के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.

फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई ने सोमवार को कहा कि वह जब तब जिंदा हैं तब तक बेखौफ अपनी आवाज बुलंद करना जारी रखेंगी. जुबानी हमलों के जवाब में, टोरंटो निवासी फिल्म निर्देशिका ने यह कहते हुए पलटवार किया है कि वह (इसके लिए) अपनी जान देने को भी तैयार हैं. मणिमेकलाई ने इस विवाद को लेकर एक लेख के जवाब में एक ट्विटर पोस्ट में तमिल भाषा में लिखा, मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है. जब तक मैं जीवित हूं, मैं बेखौफ आवाज बनकर जीना चाहती हूं. अगर इसकी कीमत मेरी जिंदगी है, तो इसे भी दिया जा सकता है.

उनके इस बयान के बाद विवाद और बढ़ गया है. एक चैनल के कार्यक्रम में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने फिल्मकार लीना मणिमेकलाई का बचाव किया और कहा कि हर किसी को अपनी तरीके से देवी-देवताओं को देखने और पूजा करने का अधिकार है. भगवान को देखने का हर व्यक्ति का अपना अलग नजरिया होता है.” साथ ही कई आपत्ति जनक टिप्पणी भी कर दी जिसका तृणमूल कांग्रेस ने विरोध करते हुए कहा, पार्टी कहीं से भी इसका समर्थन नहीं करती है.

यह विवाद सिर्फ देश में नहीं है कनाडा में भारतीय उच्चायोग ने आपत्ति जताई है. उच्चायोग ने कहा कि उन्हें हिंदु समुदाय की तरफ से शिकायतें मिली हैं कि कनाडा में अंडर द टेंट प्रोजेक्ट के तहत एक पोस्टर प्रदर्शित किया गया है, जिसमें हिंदू देवी-देवताओं की बेअदबी की गई है। हमने कार्यक्रम के आयोजकों से अपनी चिंता जताई है और इसके जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है.

जिनकी वजह से यह पूरा विवाद शुरू हुआ है उन्हें भी जान लेना जरूरी है, उनकी पहली फिल्म सेंगडल को सीबीएफसी ने शुरू में मंजूरी नहीं दी थी, जिसे “अश्लीलता और अश्लील भाषा”, “नग्नता” और “भारत और श्रीलंका के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रभाव” का हवाला दिया गया था. उन्होंने हालिया Maadathy– An Unfairy Tale के साथ इसी तरह की सेंसरशिप के लिए आवाज उठानी पड़ी थी. तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में भाकपा से जुड़े एक कृषि प्रधान परिवार में पली-बढ़ी. उन्होंने अपने पिता पहली पीढ़ी के स्नातक और तमिल प्रोफेसर के साथ फिल्म समाजों में स्क्रीनिंग में हिस्सा लिया, जिनकी थीसिस अनुभवी तमिल निर्देशक पी भारतीराजा पर थी.

मणिमेकलाई को कला के बजाय इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने और अपने पिता की मृत्यु के बाद 18 साल की उम्र में शादी करने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने अपने करियर में डॉक्यूमेंट्री, फिक्शन और एक्सपेरिमेंटल पोयम फिल्म्स बनाई है. उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भागीदारी, उल्लेख और सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कारों से नवाजा गया है.

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