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मथुरा में क्यों मचा है बवाल,क्या है ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि का पूरा मामला? - श्रीनारद मीडिया

मथुरा में क्यों मचा है बवाल,क्या है ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि का पूरा मामला?

मथुरा में क्यों मचा है बवाल,क्या है ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि का पूरा मामला?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मथुरा शहर में धारा-144 लागू है। 6 दिसंबर को देखते हुए शहर में प्रवेश के सभी रास्तों पर नाकाबंदी कर दी गई है। लोगों की चेकिंग की जा रही है। दरअसल पिछले महीने अखिल भारत हिन्दू महासभा के नेता राजश्री चौधरी ने कहा था कि वे 6 दिसंबर को शाही मस्जिद के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करेंगे और जलाभिषेक करेंगे।

वहीं उससे पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान से सनसनी बढ़ गई थी। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है। उनका ये ट्वीट आज भी उनके ट्विटर टाइमलाइन पर देखा जा सकता है। केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी पूछा कि क्या वे मथुरा में भगवान कृष्ण का मंदिर चाहते हैं या नहीं?

क्या है मंदिर- मस्जिद का विवाद 

हिन्दू संगठनों का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में श्रीकृष्ण मंदिर को तुड़वा दिया था और इसके एक हिस्से में ईदगाह का निर्माण कराया था। इसी ईदगाह को हटाने के लिए कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से केस दाखिल किया गया है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि जहां राजा कंस की जेल थी वहां भगवान श्री कृष्णा ने जेल में जन्म लिया। 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने इसी जेल के चबूतरे पर शाही ईदगाह बनवा दी थी।

हिन्दू महासभा इस स्थान से ईदगाह को हटाने की मांग कर रहा है। फिलहाल ये मामला मथुरा सिविल न्यायालय में चल रहा है। इसकी अगली सुनवाई 15 फरवरी को है। रिपोर्ट के अनुसार कृष्ण जन्मभूमि वाली 13.33 एकड़ जमीन राजा मल से अखिल भारत हिन्दू महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय ने खरीदी थी। हिन्दू संगठन ने मथुरा की अदालत में दायर याचिका में कहा है कि 2 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता गलत है।

इस संगठन ने अदालत से मांग की है कि इस समझौते को निरस्त किया जाए और मंदिर परिसर में स्थित ईदगाह को हटाकर वह भूमि हिन्दू पक्ष को सौंपी जाए। बता दें कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान) और शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन कमेटी के बीच जमीन को लेकर एक समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन पर है वो उसी तरह कायम रहेगी। हिंदू पक्ष का दावा है कि कृष्ण का जन्मस्थान वहीं है जहां पर प्राचीन केशवराय मंदिर था। इनका ये भी दावा है कि वर्ष 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन हुआ, जिसने मुस्लिम पक्ष से गलत समझौता कर लिया।

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