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भारतीय चुनावों में VVPAT प्रणाली चर्चा में क्यों है ? - श्रीनारद मीडिया
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भारतीय चुनावों में VVPAT प्रणाली चर्चा में क्यों है ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सर्वोच्च न्यायालय ने घोषणा की कि वह 19 अप्रैल, 2024 को पहले चरण के मतदान से ठीक पहले वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के 100% सत्यापन के लिये याचिकाओं को संबोधित करेगा।

VVPAT मशीन क्या है?

  • परिचय:
    • VVPAT मशीन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की बैलेटिंग यूनिट/मतपत्र इकाई से जुड़ी होती है, और मतदाता की पसंद के साथ कागज़ की एक पर्ची प्रिंट करके मतदाता द्वारा डाले गए वोट का दृश्य सत्यापन प्रदान करती है।
    • मतदाता के विवरण के साथ कागज़ की पर्ची को काँच की खिड़की के पीछे सत्यापन के लिये संक्षेप में प्रदर्शित किया जाता है, जिससे मतदाता को नीचे एक डिब्बे में जाने से पहले 7 सेकंड का समय मिलता है।
    • मतदाताओं को VVPAT पर्ची घर ले जाने की अनुमति नहीं होती है क्योंकि इसका उपयोग पाँच यादृच्छिक रूप से चयनित मतदान केंद्रों में वोटों को सत्यापित करने के लिये किया जाता है।
    • इस अवधारणा का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाले गए वोटों के भौतिक सत्यापन को सक्षम करते हुए मतदाताओं एवं राजनीतिक दलों दोनों को उनके वोटों की सटीकता के बारे में आश्वस्त करके मतदान प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाना है।
  • परिचय का कारण:
    • VVPAT मशीन की अवधारणा सर्वप्रथम वर्ष 2010 में EVM आधारित मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिये भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India- ECI) एवं राजनीतिक दलों के बीच एक बैठक के दौरान प्रस्तावित की गई थी।
    • प्रोटोटाइप तैयार करने के बाद, जुलाई 2011 में लद्दाख, तिरुवनंतपुरम, चेरापूँजी, पूर्वी दिल्ली तथा जैसलमेर में फील्ड परीक्षण किये गए।
      • इसके परिणामस्वरूप फरवरी 2013 में  ECI की एक विशेषज्ञ समिति द्वारा VVPAT को मंज़ूरी दी गई।
  • कानूनी पहलू:
    • वर्ष 2013 में चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन करके एक ड्रॉप बॉक्स वाले प्रिंटर को EVM से जोड़ने की अनुमति दी गई थी।
      • VVPAT का उपयोग पहली बार वर्ष 2013 में नगालैंड के नॉकसेन विधानसभा क्षेत्र के सभी 21 मतदान केंद्रों में किया गया था, जिसके बाद ECI ने इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का निर्णय लिया, जिसे जून 2017 तक इसे 100% अपनाया गया
    • VVPAT पर सर्वोच्च न्यायालय:
      • सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारतीय चुनाव आयोग मामले, 2013 में, सर्वोच्च न्यायालय ने पारदर्शी चुनावों के लिये VVPAT को अनिवार्य कर दिया, जिससे उनके कार्यान्वयन के लिये सरकारी वित्तपोषण को बाध्य किया गया।
      • वर्ष 2019 में  सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें न्यूनतम 50% यादृच्छिक VVPAT पर्चियों की गिनती करने की मांग की गई थी।
        • हालाँकि भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 50% VVPAT पर्चियों की गिनती से उत्पन्न चुनौतियों के बारे में चिंता जताई है, जिसमें चुनाव परिणाम घोषित करने में 5-6 दिनों का संभावित विलंब और जनशक्ति की उपलब्धता जैसे बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ शामिल हैं।

VVPAT पर्चियों के बारे में सांख्यिकीय डेटा क्या कहता है?

  • प्रारंभ में निर्वाचन आयोग, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में EVM नियम के तहत 4,125 इलेक्ट्रॉनिक मतदाता मशीनों की VVPAT पेपर पर्चियों का मिलान करता था।
    • यह चुनाव आयोग द्वारा वर्ष 2018 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) को EVM परिणामों के साथ VVPAT पर्चियों के आंतरिक ऑडिट के लिये एक नमूना आकार निर्धारित करने के लिये किये गए अनुरोध के परिणाम पर आधारित था, जो गणितीय एवं सांख्यिकीय रूप से मज़बूत और व्यावहारिक रूप से तथ्यपूर्ण हो।
      • ISI की गणना के अनुसार देश भर में 479 यादृच्छिक रूप से चयनित VVPAT से पर्ची की गिनती भी 99% से अधिक सटीकता की गारंटी देगी।
  • हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2019 में फैसला सुनाया कि चुनाव प्रक्रिया में अधिकतम सटीकता और संतुष्टि के लिये केवल एक EVM के बजाय प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में पाँच इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की VVPAT पर्चियों को गिना जाना आवश्यक है।

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