विश्व फिजियोथेरेपी दिवस क्यों मनाया जाता है ?
विश्व फिजियोथेरेपी दिवस पर विशेष
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विश्व फिजियोथेरेपी दिवस प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर को मनाया जाता है, लोग समझते हैं कि दवा की गोली खा लेने से दर्द छू मंतर हो जाएगा। पर ऐसा होता नहीं है। कुछ देर की राहत के बाद फिर दवा पर निर्भरता की स्थिति बन जाती है, जोकि हमारे शरीर के लिए सही नहीं है। दरअसल हमारे शरीर की क्षमता में ही शरीर का इलाज छुपा है। इसे फिजियोथेरेपी पद्धति ने पहचाना और लोगों का इलाज बिना दवा-गोली के होना शुरू हुआ। यह पद्धति आज काफी लोकप्रिय है। इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 8 सितंबर को विश्व फिजियोथेरेपी दिवस मनाया जाता है।
विश्व भौतिक चिकित्सा दिवस की स्थापना वर्ष 1996 में फिजियोथेरेपी के लिए वैश्विक प्रतिनिधियों का समर्थन करने के लिए की गई थी, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 6,25,000 से अधिक फिजियोथेरेपिस्ट शामिल थे. 8 सितंबर 1951 में फिजियोथेरेपिस्ट के काम और प्रयास को मनाने और उजागर करने के लिए World Confederation for Physical Therapy (WCPT) का गठन किया गया था. WCPT ने 1962 से विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संबंध स्थापित किए हैं. विश्व भौतिक चिकित्सा दिवस 2021 का विषय कोरोनावायरस रोगियों के उपचार में फिजियोथेरेपिस्ट के महत्वपूर्ण योगदान है.
क्यों दी जाती है फिजियोथेरेपी?
किसी भी जन्म दोष या दुर्घटना के कारण स्थिर होने के बाद रोगी की क्षमता को प्रोत्साहित करने के लिए फिजियोथेरेपी या भौतिक चिकित्सा अक्सर की जाती है. कुछ प्रमुख संदर्भ जिनमें फिजियोथेरेपी की सिफारिश या सलाह दी जाती है, नीचे दिए गए हैं:
रोगी मूवमेंट को बढ़ावा देना
दर्द कम करना.
हृदय रोग, डायबिटीज आदि जैसी पुरानी बीमारियों का सामना करना.
कृत्रिम अंगों के उपयोग के लिए समायोजित करना.
सहायक उपकरण के उपयोग में मदद करना.
सर्जरी, चोट, स्ट्रोक आदि के बाद रिकवरी के लिए
वर्ल्ड फिजिकल थेरेपी डे का महत्व
वर्ल्ड फिजिकल थेरेपी डे का उद्देश्य फिजिकल थेरेपी के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है. इस दिन फिजियोथेरेपिस्टों द्वारा किए गए प्रयासों और समाज में उनके योगदान के लिए उनकी सराहना की जाती है, क्योंकि वे लोगों को पुराने दर्द या जटिल चोटों से होने वाली दिक्कतों से छुटकारा दिलाते हैं. इसके साथ ही इस दिवस का मकसद फिजियोथेरेपी चिकित्सकों के काम को पहचानना भी है जो रोगियों के जीवन को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
फिजियोथेरेपिस्ट लोगों की शारीरिक गतिविधियों, कार्य क्षमता को विकसित करने, उसे बनाए रखने वाली सेवाएं प्रदान करते हैं. फिजियोथेरेपिस्ट किसी तरह की चोट व शारीरिक अक्षमता में सुधार लाने में मदद करते हैं, वे तीव्र दर्द, चोट और पुरानी बीमारी से निजात दिलाकर शारीरिक गतिविधि में सुधार लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
फिजियोथैरेपी यानी शरीर की मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों-नसों के दर्द या तकलीफ वाले हिस्से की वैज्ञानिक तरीके से आधुनिक मशीनों, एक्सरसाइज, मोबिलाइजेशन और टेपिंग के माध्यम से मरीज को आराम पहुंचाना। फिजियोथैरेपिस्ट बताते हैं की आज की जीवनशैली में हम लंबे समय तक अपनी शारीरिक प्रणालियों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और जब शरीर की सहनशीलता नहीं रहती है तो वह तरह-तरह की बीमारियों व दर्द की चपेट में आ जाता है।
फिजियोथैरेपी को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर दवाइयों पर निर्भरता कम करके स्वस्थ रह सकते हैं। हिप्पोक्रेट्स और उसके बाद गेलेनस जैसे चिकित्सक शुरुआती शारीरिक चिकित्सकों में गिने जाते हैं, इन्होनें 460 ई.पूर्व में ही मालिश, हाथों से किये जाने वाले उपचार एवं जलचिकित्सा का समर्थन किया। मैकेनिकल एवं ऑर्थोपेडिक डिसऑर्डर से लेकर जीनशैली संबंधी बीमारियों में यह चिकित्सा पद्धति वरदान के रूप में है।
फिजियोथेरेपी में लोगो की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए बढ़ी संख्या में विद्यार्थी इस कोर्स को करने के लिए अपना रुझान दिखा रहे है। फिजियोथेरेपिस्टों के लिए सरकारी नौकरी, प्राइवेट प्रैक्टिस, रिसर्च के क्षेत्र में एवं गैर सरकारी संगठनों में नौकरी व स्वरोजगार में काफी मांग बढ़ी है। फिजियोथैरेपी चिकित्सा के द्वारा मरीजों को अत्यधिक लाभ मिल रहा है।
इस चिकित्सा पद्धतिं के द्वारा मरीजों को किसी प्रकार का साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। मरीजों की दैनिक दिनचर्या को सुचारू रूप से चलने में सहायक है। विश्व फिजियोथेरेपी-डे ऐसे फिजियोथेरेपिस्टों के लिए एक सम्मान का दिन है। इन्हीं के द्वारा फिजियोथेरेपी चिकित्सा के माध्यम से समाज में मरीजों को ठीक करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
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