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चीन पर दबाव बनाने की कोशिशें क्यों करनी चाहिए?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बीते कुछ वर्षों से चीन अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति के सहारे एशिया समेत समूचे विश्व में अपना वर्चस्व बढ़ाने की आक्रामक नीतियां अपना रहा है. इस रवैये का सबसे अधिक असर उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर पड़ रहा है. इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए चीन की शीर्ष विधायिका की स्थायी समिति ने एक नया कानून पारित कर देश की सीमाओं को पवित्र घोषित कर दिया है.

एक संप्रभु देश होने के नाते उसे ऐसा करने का अधिकार है, लेकिन इससे अस्थायी सीमा क्षेत्रों और संबंधित विवादों का निपटारा कठिन हो सकता है. चीन की भू-सीमा 14 देशों से लगती है, लेकिन केवल भारत और भूटान के साथ उसके विवाद हैं. भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, लेकिन वह अस्थायी है और उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है.

इस क्षेत्र में शांति बहाल रखने के लिए दोनों देशों के बीच यथास्थिति बनाये रखने का समझौता है. चीन लगातार इसका उल्लंघन करता रहता है तथा लगभग डेढ़ साल से लद्दाख क्षेत्र में तनातनी बरकरार है. कुछ वर्ष पूर्व दोकलाम में दोनों देशों की सैनिक टुकड़ियां आमने-सामने आ गयी थीं. विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी एक जनवरी से लागू होनेवाले नये चीनी कानून से लद्दाख क्षेत्र में अप्रैल, 2020 की स्थिति को बहाल करना मुश्किल हो जायेगा.

सीमा क्षेत्रों में बस्तियां बसाने और निर्माण करने की चीनी पहलें लंबे समय से चिंता का कारण रही हैं. इस कानून में व्यापक तौर पर ऐसा करने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है. जाहिर है कि ऐसे कदमों से चीन सीमा से जुड़े अपने दावों को पुख्ता बनाने की कोशिश कर रहा है. इस कानून में रक्षा तैयारियों को प्रमुखता दी गयी है.

इसके आधार पर विश्लेषकों का कहना है कि इस कानून ने सीमा से संबंधित मसलों को पूरी तरह से चीन की सेना के हवाले कर दिया है. चीनी सेना के इतिहास और वर्तमान को देखते हुए सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यह रुख राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर विवादित मसलों को हल करने के प्रयासों में आड़े आ सकता है. इस कानून को तैयार करनेवाले लोगों को यह बखूबी पता था कि ऐसी आपत्तियां उठायी जा सकती हैं.

इसलिए उन्होंने यह निर्देश भी जोड़ दिया है कि विवादों का निपटारा बातचीत से होना चाहिए. लेकिन दुनिया देख रही है कि न केवल भारतीय सीमा पर चीन ने आक्रामकता दिखायी है, बल्कि कुछ दिनों से ताइवान को धमकाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं. ताइवानी समुद्री और हवाई सीमा में चीनी सैनिक जहाजों की घुसपैठ के कई मामले सामने आ चुके हैं.

लद्दाख के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश से सटी नियंत्रण रेखा पर भी चीन की ओर से आपत्तिजनक हरकतें हुई हैं. भारत को न केवल सैन्य स्तर पर सतर्क रहने की जरूरत है, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी चीन पर दबाव बनाने की कोशिशें करनी चाहिए.

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