धर्म पूछकर उन्हें गोली क्यों मारी गई?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हंसते खेलते माहौल में एकाएक मातम छा जाने से हर भारतीय का दिल भर आया है। 28 पर्यटकों के मारे जाने की घटना बड़ी दुखद है लेकिन यह देखना भी दुखद है कि इस हमले की कुछ लोग सही से निंदा भी नहीं कर पा रहे हैं। जिस घटना में लोगों का धर्म पूछ पूछ कर मारा गया हो उसे आतंकवादी घटना कहा जा रहा है जबकि यह सीधा सीधा जिहाद का मामला लगता है क्योंकि पर्यटकों का धर्म पूछ कर उन्हें गोली मारी गयी।
यही नहीं, हर मोर्चे पर विफल संयुक्त राष्ट्र को देखिये उसके महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने पहलगाम के घटनाक्रम को ‘‘सशस्त्र हमला” बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। सवाल यह है कि क्या संयुक्त राष्ट्र को नहीं पता कि सशस्त्र हमले और आतंकवादी या जिहादी हमले में क्या फर्क होता है?
इसके अलावा, कश्मीर को लेकर अपना प्रोपेगेंडा चलाने वाला अंतरराष्ट्रीय मीडिया 26 भारतीयों की मौत पर भी अपना खेल जारी रखे हुए है। यकीन ना हो तो बीबीसी की खबर देखिये जिसकी हेडलाइन है- Shock and anger after gunmen kill 26 tourists in Indian-administered Kashmir, क्या गनमैन और आतंकवादी या जिहादी के बीच का फर्क बीबीसी को नहीं पता है? अल जजीरा की खबर को देखिये उसकी हेडलाइन है- Kashmir attack live: India searches for gunmen after 26 killed in Pahalgam, सवाल उठता है कि क्या इन मीडिया संस्थानों को यह समझाना पड़ेगा कि गनमैन या आतंकवादी अथवा जिहादी के बीच क्या फर्क होता है?
इसके अलावा, जो लोग कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि आतंकवादियों के नाम एक खास धर्म से संबंधित क्यों होते हैं? जो लोग कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता उनसे पूछा जाना चाहिए कि पहलगाम में मासूम पर्यटकों को उनका धर्म पूछने के बाद क्यों मारा गया? क्यों उनसे कलमा पढ़ने को कहा गया और कलमा नहीं पढ़ पाने पर उन्हें गोली मार दी गयी? सवाल उठता है कि क्यों किसी पर्यटक की पैंट उतार कर यह जांचा गया कि उसका खतना हुआ है या नहीं? क्यों खतना नहीं पाये जाने पर उसे गोली मार दी गयी?
देखा जाये तो आतंकवाद का कोई धर्म होता हो या नहीं लेकिन अपने आसपास के घटनाक्रमों पर ही गौर कर लें तो साफ प्रतीत होता है कि आतंकवाद से सर्वाधिक पीड़ित धर्म हिंदू है। भारत में बहुसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं को गोली मार दी जाती है? अपने घर से पलायन करने पर उन्हें मजबूर कर दिया जाता है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की तो बात ही छोड़ दीजिये वहां तो अब उनके अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है।
बहरहाल, पहलगाम मामले में एनआईए ने जांच का काम संभाल लिया है। लेकिन जरूरी है कि इस समूचे घटनाक्रम के पीछे मौजूद उद्देश्य को समझ कर सही कार्रवाई की जाये। हमारी एजेंसियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आतंकवादी धर्म के आधार पर लोगों को मार कर गये हैं। हमारी एजेंसियों को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए कि पीड़ित परिवारों ने बताया है कि आतंकवादियों ने उन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन करने का आरोप लगाया है। देखा जाये तो यह सीधे सीधे भारत की चुनी हुई सरकार को चुनौती देने का मामला बनता है।
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