इस बार दो दर्जन से अधिक झांकियां निकाली गई हैं, जिसमें 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां शामिल थीं। इस साल अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और मणिपुर समेत कई राज्यों की झांकियां निकाली गई हैं।

उत्तर प्रदेश की झांकी में अयोध्या और विकसित भारत की झलक देखने को मिली है। दरअसल, इस झांकी में आगे रामलला का स्वरूप और पीछे रैपिड रेल की झलक दिखाई गई। इसमें भगवान राम के जन्मस्थान के जरिए ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को प्रदर्शित किया गया और साहिबाबाद स्टेशन से निकली नमो भारत ट्रेन को दिखाया गया है।

तेलंगाना की झांकी में आजादी आंदोलन के योद्धा और उनकी परंपराओं की प्रदर्शन किया गया है। तेलंगाना की झांकी में कोमाराम भीम, रामजी गोंड और चित्याललम्मा (चकलिल्लम्मा) जैसे नेताओं के वीरतापूर्ण प्रयासों की झलक दिखाई गई, जिनका अदम्य साहस इस क्षेत्र की लोक कथाओं का अभिन्न हिस्सा बन गया है।

कर्तव्य पथ पर मध्य प्रदेश की झांकी भी देखने को मिली है। झांकी में राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण, आत्मनिर्भर महिलाओं, चंदेरी कला को दर्शाया गया है। इसमें ‘भारत की बाजरा महिला’ की टैगलाइन के साथ मध्य प्रदेश की आदिवासी महिला लहरी बाई की प्रतिकृति भी शामिल थी।

2024 के गणतंत्र दिवस परेड में राजस्थान की झांकी ने परंपरा, कलात्मकता और महिला सशक्तिकरण की जीवंत झलक दिखाई। इस दौरान राजस्थानी महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक सुंदर घूमर नृत्य, प्रसिद्ध घूमर नृत्य के गतिशील चित्रण के साथ झांकी केंद्र स्तर पर आ गई। झांकी के पिछले हिस्से में प्रसिद्ध कवयित्री और भक्त मीरा बाई की एक विशाल प्रतिमा थी, जो भक्ति और शक्ति का प्रतीक थी

इस साल आंध्र प्रदेश की झांकी भी निकाली गई थी। आंध्र प्रदेश की झांकी “आंध्र प्रदेश में स्कूली शिक्षा में बदलाव, छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना” विषय पर थी, जिसमें सरकार द्वारा उठाए गए शैक्षिक सुधारों पर प्रकाश डाला गया था।

गणतंत्र दिवस परेड के दौरान गुजरात की झांकी में राज्य की थीम ‘धोर्डो: गुजरात के पर्यटन विकास का वैश्विक प्रतीक’ को दर्शाया गया। भारत के पश्चिमी सिरे पर गुजरात के कच्छ जिले में स्थित एक छोटा-सा गांव धोर्डो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का पर्याय बन गया है। यह अपने पारंपरिक हस्तशिल्प, लोक संगीत और वार्षिक रण उत्सव का जश्न मनाता है।

गणतंत्र दिवस परेड के लिए छत्तीसगढ़ की झांकी ने भारत में लोकतंत्र की उत्पत्ति और विकास की कहानी प्रस्तुत की। झांकी में आदिवासी समुदायों में प्राचीन काल से मौजूद लोकतांत्रिक चेतना और पारंपरिक लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाया गया। झांकी के अगले भाग में बस्तर के आदिवासी समुदायों की महिला प्रधान प्रकृति को दर्शाता गया है।

मणिपुर की झांकी में दुनिया के एकमात्र ऐसे बाजार की झलक दिखाई गई, जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जाता है। मणिपुर के इंफाल में महिलाओं द्वारा संचालित बाजार “नारी शक्ति” का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका देश के आर्थिक विकास को संचालित करती है।

इस साल महाराष्ट्र की झांकी छत्रपति शिवाजी महाराज के 350वें राज्याभिषेक वर्ष समारोह पर आधारित है। राजमाता जिजाऊ के मार्गदर्शन और उनके विचारों से प्रेरित होकर, हिंदू ‘स्वराज्य’ का सपना साकार हुआ। छत्रपति शिवाजी महाराज ने रैयतों की भागीदारी से स्वतंत्र स्वराज्य की स्थापना की।

मेघालय की झांकी राज्य के चेरी ब्लॉसम का एक मनमोहक प्रदर्शन लेकर आई थी। धीरे-धीरे लहराते फूलों से सजे चेरी ब्लॉसम के पेड़, एक स्वप्निल वसंत ऋतु के स्वर्ग के समान एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य बनाते हैं।

‘विकसित भारत’ के तहत बुगुन सामुदायिक रिजर्व कर्तव्य पथ पर अरुणाचल प्रदेश की गणतंत्र दिवस की झांकी का विषय है। अरुणाचल की झांकी सिंगचुंग बुगुन ग्राम सामुदायिक रिजर्व (SBVCR) के बारे में बता रही थी, जो अरुणाचल प्रदेश में 17 वर्ग किलोमीटर का जैव विविधता हॉटस्पॉट है।

शुक्रवार को 75वें गणतंत्र दिवस परेड में हरियाणा की रंग-बिरंगी झांकी में ‘मेरा परिवार-मेरी पहचान’ की थीम को दर्शाया गया। यह हरियाणा सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जो ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने में सार्थक भूमिका निभा रहा है।

यह भी पढ़ें: Republic Day 2024: 10 सालों में PM Modi की पगड़ी का बदलता स्टाइल, हर साल खास संदेश देते हैं प्रधानमंत्री; देखें तस्वीरें

कर्तव्य पथ पर निकाली गई विभिन्न राज्यों की झांकियों में तमिलनाडु की झांकी भी शामिल थी, जिसमें 10वीं शताब्दी के चोल युग के दौरान उभरी और लोकतंत्र की दिशा में एक प्रारंभिक कदम मानी जाने वाली कुडावोलाई चुनाव प्रणाली के महत्व को रेखांकित किया गया है।

ओडिशा की झांकी में राज्य में महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ इसके समृद्ध हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र को प्रदर्शित किया। झांकी के मध्य भाग में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पर प्रकाश डाला गया है।

झारखंड की झांकी का थीम ‘झारखंड का तसर सिल्क’ था। इसमें सिल्क की समृद्धता को दर्शाया गया है। विश्व के कई देशों में झारखंड का तसर सिल्क भेजा जाता है। प्रदेश में जनजातीय समुदाय के लगभग डेढ़ लाख लोग तसर उत्पादन से रोजगार पा रहे हैं।

लद्दाख की झांकी में महिला सशक्तिकरण को दर्शाया गया है। लड़कियों को बर्फ में आइस हॉकी खेलते हुए दिखाया गया, जो केंद्र शासित प्रदेश में महिला सशक्तीकरण की यात्रा को दर्शाता है। भारतीय महिला आइस हॉकी टीम में सभी खिलाड़ी लद्दाख से है.