Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121 मणिपुर में राष्ट्रपति शासन क्यों लागू किया गया? - श्रीनारद मीडिया
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। इससे पहले राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा ने पार्टी विधायकों के साथ कई दौर की चर्चा की है, लेकिन अब भी गतिरोध बरकरार है। पिछले दो दिन में संबित राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से दो बार मिल चुके हैं।
भाजपा नहीं तय कर पाई नया सीएम फेस
भाजपा नए सीएम का चेहरा अब तक तय नहीं कर पाई है। कांग्रेस विधायक थोकचोम लोकेश्वर ने संबित के राज्य दौरे के उद्देश्य पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायकों से चर्चा कर संबित को नए सीएम की नियुक्ति में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। 12वीं मणिपुर विधानसभा का पिछला सत्र 12 अगस्त 2024 को संपन्न हुआ था, जबकि 10 फरवरी से शुरू होने वाले सातवें सत्र को राज्यपाल निरस्त कर चुके हैं।
प्रतिबंधित संगठन के छह सदस्य गिरफ्तार मणिपुर में तीन प्रतिबंधित संगठनों के छह लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इंफाल पश्चिम में बुधवार को कांग्लेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी (पीडब्ल्यूजी) के चार कैडरों को गिरफ्तार किया गया। बुधवार को ही इंफाल पश्चिम के ओकराम लेकाई से प्रेपाक के एक सदस्य और काकचिंग के एरुंपाल क्षेत्र से केसीपी (सिटी मैतेई) के एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया। इस बीच, मणिपुर पुलिस ने जाली दस्तावेज के आधार एक्टिवेटेड सिम कार्ड बेचने के आरोप में एफआइआर दर्ज की है।
पीएम नरेंद्र मोदी के 11 साल के शासनकाल में पहली बार ऐसा हुआ है, जब बीजेपी शासित पूर्ण बहुमत की सरकार वाले राज्य में केंद्र ने अनुच्छेद 356 लागू किया है। राष्ट्रपति शासन लागू करने से पहले सीएम ने इस्तीफा दे दिया था और नए नेतृत्व की संभावना जताई जा रही थी। तीन दिनों की रस्साकशी के बाद भी नए सीएम का चुनाव नहीं हो सका। मणिपुर में एन.बीरेन सिंह ने 2022 में दूसरी बार सरकार बनाई थी और तीन साल का कार्यकाल अभी बचा हुआ है। अभी विधानसभा को भंग नहीं किया गया है, मगर मणिपुर के राज्यपाल ही अब कामकाज संभालेंगे।
पीएम के अमेरिका दौरे से कनेक्शन क्या है?
मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद 3 मई 2023 को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ। कुकी और मैतेई के बीच हुई झड़पों में 237 लोग मारे गए, करीब 1500 घायल हुए। 60 हजार से अधिक लोगों ने मणिपुर से पलायन किया। पिछले डेढ़ साल से जारी मणिपुर हिंसा के कारण पीएम नरेंद्र मोदी की लगातार आलोचना हुई, मगर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सीएम एन. वीरेन सिंह के साथ बना रहा।
9 फरवरी को पीएम नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले उनसे इस्तीफा लिया गया। 10 फरवरी से शुरू होने वाला विधानसभा के सत्र को भी अचानक स्थगित कर दिया गया। इस्तीफे के चार दिन बाद 13 फरवरी को केंद्र ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, अमेरिकी दौरे में मणिपुर के मुद्दे को उठने की संभावना के कारण पीएम की यात्रा से पहले सीएम ने इस्तीफा दे दिया।
मणिपुर हिंसा के बाद सीएम एन.बीरेन सिंह पर पक्षपात के आरोप लगे। कुकी संगठनों का आरोप है कि संवैधानिक पद पर बैठे सीएम ने खुले तौर पर मैतेई गुटों का पक्ष लिया। इससे जुड़े एक वीडियो पर काफी विवाद भी हुआ। इसके बाद भी बीजेपी ने मणिपुर में नेतृत्व बदलने पर विचार नहीं किया। बताया जा रहा है कि कुकी संगठनों ने शांति वार्ता के लिए बीरेन सिंह के इस्तीफे की शर्त रखी थी।
इस बीच सीएम बीरेन सिंह के खिलाफ बीजेपी के विधायक ही लामबंद होते रहे। सूत्रों के मुताबिक, राज्य के करीब 19 विधायक बीरेन सिंह से नाराज थे। अक्टूबर 2024 उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर सीएम बदलने की मांग की थी। इसके बाद अमित शाह ने मणिपुर को संभालने की कोशिश की, मगर पार्टी में असंतोष बढ़ता गया।
हालात संभालने के लिए नॉर्थ ईस्ट प्रभारी सांसद संबित पात्रा ने इंफाल में कैंप किया। सीएम की रेस में स्पीकर थोकचोम सत्यब्रत सिंह, वाई.खेमचंद सिंह, टी बिस्वजीत और गोविंददास कोंथौजम के नाम सामने आए, मगर सहमति नहीं बन पाई। सूत्रों के अनुसार एन.बीरेन सिंह के समर्थन में करीब 15 विधायक हैं, जो अन्य नामों पर राजी नहीं हुए।
6 महीने ही स्थगित रह सकती है विधानसभा वरना..
2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार बहुमत का आंकड़ा पार किया था। 60 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी ने 32, कांग्रेस ने 5 और अन्य ने 23 सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में जेडी यू के पांच विधायकों ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया था और बीजेपी के 37 सदस्य हो गए। इसके अलावा उसे 11 अन्य विधायकों का समर्थन भी हासिल है, फिर भी विधायकों के विद्रोह और आपसी गुटबाजी के कारण नए नेता का चुनाव नहीं सकी।
अब बीजेपी के पास दोबारा सरकार बनाने के लिए सिर्फ 6 महीने का वक्त है, मगर उससे पहले केंद्र को राज्य में कुकी और मैतेई गुटों को शांति वार्ता के लिए एक टेबल पर लाना जरूरी है। संवैधानिक नियमों के तहत दो विधानसभा सत्र के बीच 6 महीने का गैप ही हो सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो विधानसभा भंग करनी होगी।