केरल में विदेश सचिव को क्यों नियुक्ति किया गया?
श्रीनारद मीडिया सेट्रल डेस्क
केरल में विदेश प्रभारी की नियुक्ति पर विवाद बढ़ता जा रहा है। अब भाजपा सांसद ने केरल सरकार पर निशाना साथा। उन्होंने कहा कि केरल सरकार द्वारा एक आईएएस अधिकारी को “विदेश सचिव” के रूप में नियुक्त करना असंवैधानिक है। यह केंद्र की जिम्मेदारियों पर अतिक्रमण है।
भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारी के वासुकी को “विदेश सचिव” के रूप में नियुक्त करने वाला केरल सरकार का 15 जुलाई का आदेश खुलेआम केंद्र की जिम्मेदारी पर अतिक्रमण है।
क्या खुद को अलग राष्ट्र मान रही केरल सरकार?
पीपी चौधरी ने पूछा कि क्या केरल सरकार खुद को एक अलग राष्ट्र मान रही है?” केरल सरकार ने 15 जुलाई को श्रम एवं कौशल विभाग की सचिव के. वासुकी को बाह्य सहयोग से जुड़े मामलों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था। चौधरी ने कहा कि बाह्य सहयोग का अर्थ यह है कि विभिन्न देशों और वहां स्थित भारतीय दूतावासों और मिशनों के साथ कार्य करना।
केरल सरकार का आदेश असंवैधानिक
पीपी चौधरी राजस्थान के पाली से भाजपा सांसद हैं। उन्होंने कहा कि कार्य आवंटन नियमों के अनुसार ये कार्य केवल विदेश मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार ही कर सकती है। केरल सरकार द्वारा इस तरह का आदेश जारी करना और एक आईएएस अधिकारी को विदेश सचिव नियुक्त करना असंवैधानिक और संघ सूची पर अतिक्रमण है।
केरल में एक IAS अधिकारी के वासुकी की नियुक्ति को लेकर हंगामा मचा हुआ है. BJP इसको लेकर CPI-M की नेतृत्व वाली LDF गठबंधन की सरकार पर हमलावर है. उनका आरोप है कि केरल सरकार ने के वासुकी की नियुक्ति विदेश सचिव के रूप में की है. जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इस मामले में केरल सरकार की सफाई सामने आई है. केरल की मुख्य सचिव डॉ वी वेणु ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य में विदेश सचिव जैसा कोई पद नहीं है. इस मामले पर उन्होंने मीडिया रिपोर्ट को फर्जी बताया जिसमें दावा किया गया था कि सरकार ने राज्य में एक IAS अधिकारी को विदेश सचिव नियुक्त किया है.
मुख्य सचिव से सवाल किया गया कि क्या राज्य सरकार ने विदेश सचिव की नियुक्ति का आदेश जारी किया है? तो उनका जवाब था – नहीं. उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे लोग इस बेसिक फैक्ट से अनजान नहीं हैं कि विदेशी मामले केंद्र सरकार का विषय हैं.
मुख्य सचिव डॉ वी वेणु ने बताया कि राज्य सरकार ने कुछ समय पहले वाणिज्यिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग के लिए विदेशी एजेंसियों, बहुपक्षीय संस्थानों और दूतावासों के साथ कॉर्डिनेशन के लिए विदेशी सहयोग(External Cooperation) का एक डिवीजन बनाया था.
उन्होंने कहा कि केरल सरकार ने केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया हैं. बल्कि जो भी कदम उठाए गए हैं, राज्य के विकास के लिए नए संबंध स्थापित करने के प्रयास के तहत हैं.
उन्होंने बताया कि प्रधान सचिव सुमन बिल्ला जो कि हाल तक राज्य सेवा में थे. इसके प्रभारी थे. जब वे केंद्रीय सेवा में चले गए तो उनका प्रभार के वासुकी को दे दिया गया. डॉ वी वेणु ने आगे बताया कि राज्य सरकार के आदेश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि उनकी क्या भूमिका रहेगी.
15 जुलाई को केरल सरकार ने सीनियर IAS अधिकारी के वासुकी को विदेशी सहयोग से संबंधित मामलों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने इस कदम को संविधान की संघ सूची का उल्लंघन बताया था. उन्होंने एक्स पर लिखा कि LDF सरकार के पास विदेशी मामलों में कोई अधिकार नहीं है. और यह असंवैधानिक कदम एक खतरनाक मिसाल कायम करता है. क्या मुख्यमंत्री पिनरई विजयन केरल को एक अलग देश के रूप में स्थापित करना चाहते हैं.
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