राजस्थान में विधायक को घसीटकर बाहर क्यों फेंका?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राजस्थान के कांग्रेस विधायक राजेंद्र गुढ़ा को मार्शल के ज़रिए घसीटकर सदन से बाहर फेंक दिया गया। इसका कारण वह लाल डायरी है जिसके बारे में कहा जाता है कि उसमें कई कांग्रेस नेताओं के राज छिपे हुए हैं। गुढ़ा का दावा है कि इस डायरी में करोड़ों रुपयों के लेन-देन का ज़िक्र है।

हालाँकि, देश की राजनीति में इसके पहले ऐसी कई लाल डायरी फ़ुस्सी बम निकल चुकी हैं और कई ने सत्ता में बैठे लोगों को ख़ासा परेशान भी किया है। गुढ़ा का दावा है कि यह डायरी उन्होंने मुख्यमंत्री के विश्वस्त माने जाने वाले एक कांग्रेस नेता के घर से तब उठा ली थी जब उस नेता के घर ईडी का छापा पड़ा था। गुढ़ा ने यह दावा भी किया है कि उनसे बार- बार यह पूछा जाता रहा कि उस डायरी को जलाया या नहीं? अगर इस डायरी में कुछ ख़ास नहीं होता तो जलाने की बात क्यों की जाती?

दरअसल गुढ़ा पहले बसपा में थे। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को जब विधायकों का संख्याबल बढ़ाना था, तब गुढ़ा के नेतृत्व में ही छह बसपा विधायकों ने सरकार का साथ दिया था और बाद में ये सब के सब कांग्रेसी भी हो गए थे। इनका मलाल यह है कि सरकार को बचाने का इन्हें उचित इनाम नहीं मिल पाया। गुढ़ा भी राज्यमंत्री के ओहदे तक ही सीमित रहे, जबकि उनकी मंशा कैबिनेट मिनिस्टर बनने की थी। गुढ़ा राजनीति के बड़े चतुर खिलाड़ी हैं, लेकिन इस बार उनके हाथ में कुछ नहीं है।

पिछले दिनों राज्यमंत्री रहते हुए विधानसभा सत्र के दौरान वे अपनी ही सरकार पर बुरी तरह बरस पड़े थे। हो सकता है इसके बाद उन्हें समझाया गया हो, लेकिन वे नहीं माने। सरकार का विरोध करते रहे। आख़िरकार मंत्री पद से बर्खास्त कर दिए गए। बर्ख़ास्तगी से सरकार को कोई परेशानी नहीं हुई क्योंकि गुढ़ा अब बाक़ायदा कांग्रेस के विधायक हैं, बसपा के नहीं। ऐसे में वे कांग्रेस छोड़ते भी हैं तो उनकी सदस्यता चली जाएगी। पाँच साथियों के साथ पार्टी छोड़ेंगे तब भी सदस्यता बचना मुश्किल है।

मान लीजिए चुनाव को कुछ ही समय बचा है और ऐसे में वे सदस्यता की परवाह नहीं करने पर उतारू हो गए तो भी सरकार पर कोई संकट नहीं आने वाला क्योंकि कई निर्दलीय विधायक हैं जो सरकार के साथ खड़े हैं। यही वजह है कि बसपा से कांग्रेस में आने पर जिस सत्ता पक्ष ने गुढ़ा और उनके साथियों को रसगुल्ले खिलाए थे, उसी सत्ता पक्ष ने सोमवार के दिन गुढ़ा को दूध की मक्खी की तरह उठाकर बाहर फिंकवा दिया। जैसा कि सुना है – सदन में लाल डायरी लहराकर सबको भौचक्का कर देने वाले गुढ़ा मार्शल के ज़रिए पिटे भी, घसीटे भी गए और बाहर भी कर दिए गए। अब पूरे सत्र के दौरान वे सदन में नहीं जा सकेंगे।

राजस्थान विधानसभा में हुए हंगामे के बाद संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के प्रस्ताव के बाद राजेंद्र गुढ़ा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर को निलंबित कर दिया गया. दोनों ही विधायक बचे हुए सत्र में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. साथ ही उन्हें वो सुविधाएं भी नहीं मिलेंगी. स्पीकर सीपी जोशी ने बीजेपी विधायक मदन दिलावर को कागज फेंकने और हंगामा करने को लेकर सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया. इसके बाद बीजेपी विधायकों ने वेल में आकर धरना दिया.

वहीं आज अशोक गहलोत कैबिनेट में मंत्री पद से हटाए जाने के बाद सोमवार को कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह गुढ़ा को राजस्थान विधानसभा के बाहर रोका गया. कांग्रेस के ही मंत्रियों ने उन्हें विधानसभा में प्रवेश नहीं करने दिया. राजस्थान के पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने आरोप लगाया है कि उन्हें सदन में बोलने की अनुमति नहीं दी गई और कांग्रेस के मंत्रियों ने उन्हें घसीट कर सदन से बाहर निकाल दिया.

राजेंद्र सिंह गुढ़ा का कहना है कि लगभग 50 लोगों ने उनपर हमला किया, उन्हें मुक्का मारा, लात मारी और कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा से बाहर खींच लिया. आरोप है कि राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष ने उन्हें बोलने की अनुमति भी नहीं दी. उनके खिलाफ आरोप लगाए गए कि वह बीजेपी के साथ हैं. ऐसे में राजेंद्र गुढ़ा ने सवाल किया है कि वह जानना चाहते हैं कि उनकी गलती क्या है?

राजस्थान के पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने रोते हुए मीडिया के सामने अपनी बातों को रखा. उन्होंने कहा कि मैं 40 साल से कांग्रेस में कम कर रहा हूं. पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के समय से पार्टी को देख रहा हूं. अभी कांग्रेस उदयपुर को देख ही नहीं रही, जबकि केंद्र स्तर के दो नेता यहां से हैं. ऐसे में कैसे चुनाव जीत पाएंगे? जिन्होंने टिकट नहीं मांगा उन्हें दे दिया गया, जबकि पार्टी को सोचना था. अगर सोचती तो कांग्रेस का यहां से विधायक जरूर होता.

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