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ULFA के साथ शांति समझौता क्यों आवश्यक हो गया था? - श्रीनारद मीडिया
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ULFA के साथ शांति समझौता क्यों आवश्यक हो गया था?

ULFA के साथ शांति समझौता क्यों आवश्यक हो गया था?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के वार्ता समर्थक गुट ने हाल ही में केंद्र और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये।

ULFA के साथ शांति समझौते के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?

  • प्रसंग और इतिहास:
    • पृष्ठभूमि: 19वीं शताब्दी से, असम की समृद्ध संस्कृति को इसके समृद्ध चाय, कोयला और तेल उद्योगों द्वारा आए प्रवासियों की आमद के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
      • विभाजन और फिर पूर्वी पाकिस्तान/बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के कारण हुई इस आमद ने स्थानीय आबादी के बीच असुरक्षा को बढ़ा दिया।
      • संसाधन प्रतिस्पर्द्धा छह वर्ष के जन आंदोलन का कारण बनी है, जिसकी परिणति वर्ष 1985 के असम समझौते में हुई, जिसका उद्देश्य राज्य में विदेशियों के मुद्दे को संबोधित करना था।
    • ULFA की उत्पत्ति: ULFA का गठन वर्ष 1979 में भारत के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से एक स्वतंत्र असम का समर्थन करते हुए किया गया था।
      • एक दशक से अधिक समय में, ULFA ने म्याँमार, चीन एवं पाकिस्तान में सदस्यों की भर्ती की और उन्हें प्रशिक्षित किया, एक संप्रभु असम की स्थापना के लिये अपहरण व हत्याओं का सहारा लिया।
      • वर्ष 1990 में सरकार के ऑपरेशन बजरंग के परिणामस्वरूप व्यापक संख्या में ULFA विद्रोही पकड़े गये। इस दौरान असम को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया गया, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा और सशस्त्र बल विशेष शक्तियाँ अधिनियम (Armed Forces Special Powers Act- AFSPA) लागू करना पड़ा।
    • दीर्घकालिक शांति वार्ता: ULFA, भारत सरकार और असम राज्य सरकार के बीच वार्ता वर्ष 2011 में शुरू हुई।
  •   हालिया शांति समझौता:
    • महत्त्वपूर्ण पद:
      • ULFA द्वारा: 
        • हिंसा समाप्त कर उनके संगठन को भंग कर देना।
        • लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जुड़ना।
        • हथियार और शिविर समर्पण करना।
      • सरकार द्वारा:
        • असमिया पहचान, संस्कृति और भूमि अधिकारों के संबंध में ULFA की चिंताओं का समाधान करना।
        • असम के समग्र विकास के लिये ₹1.5 लाख करोड़ का निवेश करना।
        • असम में भविष्य के परिसीमन अभ्यास के लिये वर्ष 2023 परिसीमन अभ्यास के लागू सिद्धांतों का पालन करना।
      • विधायी सुरक्षा उपाय: समझौते का उद्देश्य असम विधानसभा में गैर-स्वदेशी समुदायों के प्रतिनिधित्व को प्रतिबंधित करना है और नागरिकता अधिनियम 1955 की विशिष्ट धाराओं से छूट की मांग करना है।

हालिया शांति समझौते को बढ़ाने के लिये अतिरिक्त विचार क्या होने चाहिये?

  • पारदर्शिता और दायित्व: समझौते के प्रावधानों के पारदर्शी कार्यान्वयन के लिये तंत्र स्थापित करना और ज़िम्मेदार पक्षों को उनकी प्रतिबद्धताओं के लिये जवाबदेह बनाना।
  • वार्ता-विरोधी गुट के साथ जुड़ाव: एकीकृत समाधान और शांति समझौते की व्यापक स्वीकृति की दिशा में कार्य करने के लिये ULFA के वार्ता-विरोधी गुट के साथ रणनीतिक रूप से जुड़ना।
  • कानूनी सुरक्षा उपाय: यह सुनिश्चित करना कि विधायी परिवर्तन या सुधार संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप हों तथा सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाए तथा जातीयता अथवा मूल के आधार पर कोई भेदभाव न हो।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सीमा पार विद्रोह को रोकने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिये पड़ोसी देशों के साथ सहयोग सुनिश्चित करना।
  • दीर्घकालिक विकास योजनाएँ: क्षेत्र में समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिये तत्काल निवेश से परे स्थायी और विस्तृत विकासात्मक रणनीतियाँ तैयार करना।

ULFA के साथ हालिया शांति समझौता, असम में शांति और विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। लेकिन केवल अंतर्निहित शिकायतों को दूर करके, आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर और सामाजिक एकीकरण सुनिश्चित करके ही क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित की जा सकती है।

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