माघ पूर्णिमा और शिवरात्रि के दिन क्यों होगा अमृत स्नान?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महाकुंभ का तीसरा व अंतिम अमृत स्नान का आयोजन बसंत पंचमी के दिन किया गया. सरकारी डेटा के मुताबिक, सुबह 10 बजे तक 03 फरवरी 2025 को 71.24 लाख श्रद्धालु अमृत स्नान कर चुके हैं.वहीं, 13 जनवरी 2025 से आरंभ हुआ महाकुंभ 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा इस दौरान सिर्फ 3 दिन को ही अमृत स्नान का मान्यता दी गई है वहीं कुछ लोग इसे लेकर असमंजस हैं कि आगे भी 2 अमृत स्नान है, लेकिन माघ पूर्णिमा और शिवरात्रि के दिन को पवित्र स्नान तो है लेकिन अमृत स्नान का शुभ योग नहीं बन रहें है.

माघ के महीने में गंगा या नदी के जल में डुबकी लगाने से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता हैं। शास्त्रों में गंगा स्नान के दौरान डुबकी लगाने का विशेष महत्व बताया गया है। माघ पूर्णिमा के दिन गंगा में 5 डुबकी लगाने का विशेष महत्व है। इन 5 डुबकियों का संबंध पंच तत्वों से है। मान्यता है कि इन 5 डुबकियों के माध्यम से मनुष्य पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पंच तत्वों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता है।

1. पहली डुबकी लगाने से हमारे शरीर की शुद्धि होती है।
2. दूसरी डुबकी लगाने से हमारे मन की शुद्धि होती है।
3. तीसरी डुबकी लगाने से हमारे कर्मों की शुद्धि होती है।
4. चौथी डुबकी लगाने से हमारे विचारों की शुद्धि होती है।
5. पांचवीं डुबकी लगाने से हमारी आत्मा की शुद्धि होती है।
माघ पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
• गंगा नदी में स्नान करते समय ‘ॐ नमो गंगायै विष्णुपदे संस्थितायै नारायण्यै दशहारायै शुद्धायै नमः’ मंत्र का जाप करें।
• स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
• गंगा स्नान के बाद असहाय तथा गरीबों को दान और दक्षिणा दें।
माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान से लाभ :
1. गंगा नदी पाप मोचनी होने के कारण इसमें स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं।
2. माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. गंगा नदी के जल में स्नान करने से कई रोग दूर होकर स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
4. गंगा स्नान करने से मानसिक शांति तथा मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
5. माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से आर्थिक समृद्धि आती है।

महाकुंभ के अगले स्नान की तिथि

12 फरवरी 2025 (बुधवार)- स्नान, माघ पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 (बुधवार)- स्नान, महाशिवरात्रि

नहीं होगा इन दोनों तिथियों पर नागा साधुओं का अमृत स्नान

मुगलों के प्राचीनकाल से नागा साधुओं को खास सम्मान देने के लिए विशेष शाही स्नान का दर्जा दिया गया था.वहीं शंकराचार्य ने धर्म के रक्षक के तौर पर नागा साधुओं का एक संगठन तैयार किया गया साथ ही ऐसी धार्मिक मान्यता है कि उनके द्वारा ही नागा साधुओं को सबसे पहले स्नान करने का सम्मान भी दिया गया था. ऐसे में नागा साधु बसंत पंचमी के अमृत स्नान के बाद अपने-अपने धाम या संगठन को लौटने लग जाएंगे.

क्या अमृत स्नान के ग्रहों के अनुसार नक्षत्र योग बन रहें है या नहीं?

ज्योतिषी शास्त्र के मुताबिक महाकुंभ में आयोजित अमृत स्नान ग्रह नक्षत्रों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है.ज्योतिष गणना के हिसाब से जब सूर्य ग्रह मकर राशि में और गुरु ग्रह वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तब अमृत स्नान (शाही स्नान) मान्यता मानी जाती है.मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी की तिथियों पर गुरु ग्रह वृषभ राशि और सूर्य देव मकर राशि में विराजमान थे.

वहीं दूसरी तरफ माघ पूर्णिमा के दिन देवगुरु बृहस्पति तो वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे वहीं सूर्यदेव कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे.इसलिए माघी पूर्णिमा के दिन होने वाला स्नान अमृत स्नान की श्रेणी में नहीं आकर सामान्य स्नान के रूप मे माना जाता है. इसी प्रकार महाशिवरात्रि के दिन भी सूर्य ग्रह कुंभ राशि में विराजित रहेंगे तो इस दिन का स्नान भी अमृत स्नान नहीं माना जाएगा. साथ ही माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के स्नान का भी उतना ही अधिक विशेष महत्व है. वहीं 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ ही महाकुंभ का आयोजन का समापन होगा.

माघ पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और पवित्रता तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यतानुसार इस दिन भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं, जिससे स्नान करने वाले को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही माघ नदी स्नान बहुत पुण्य फलदायी माना गया है। अत: माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। तथा गंगा नदी के जल में स्नान करने से शरीर के कई रोग दूर होते हैं और स्वास्थ्य में सुधार तथा लाभ होता है। यदि आप नदी पर स्नान हेतु नहीं जा पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

 

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