क्या आंध्र प्रदेश और बिहार को मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा- कांग्रेस
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
देश में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने जा रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं। लेकिन इस बार की राह बीजेपी के लिए इतनी आसान नहीं है। कई बड़े राज्यों में भाजपा की सीटों में कमी आई है। इसी के चलते भाजपा को अकेले दम पर बुहमत नहीं मिल सका और वो अब एनडीए के बलबूते पर सरकार बनाने जा रही है। बता दें कि आंध्र प्रदेश और बिहार में 16 और 12 सीटें जीतने वाली चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडी (यू) अन्य गठबंधन सहयोगियों के समर्थन से एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा पाया है।
आंध्र प्रदेश और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा
अब कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने निशाना साधते हुए कहा, बार-बार दावा किया जा रहा है कि मोदी 3.0 सरकार बनेगी लेकिन सच्चाई यह है कि इस बार मोदी 1/3 सरकार बनेगी।
साथ ही इस दौरान जयराम रमेश ने आंध्र प्रदेश और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली बात भी उठाई। एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, रमेश ने कहा कि कांग्रेस के पास प्रधान मंत्री से चार प्रश्न हैं -दो आंध्र प्रदेश के लिए और दो बिहार के लिए। उन्होंने कहा, ’30 अप्रैल, 2014 को पवित्र शहर तिरूपति में आपने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था ताकि बड़े पैमाने पर निवेश आए। 10 साल हो गए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्या अब वह वादा पूरा होगा?’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीएम पर निशाना साधते हुए कहा, प्रधानमंत्री आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दें। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी विशाखापट्टनम में स्टील प्लांट का निजीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। सभी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं। क्या आप अब विशाखापट्टनम स्टील प्लांट का निजीकरण रोकेंगे?
नीतीश कुमार की दस साल पुरानी मांग होगी पूरी?
रमेश ने प्रधानमंत्री से यह भी पूछा कि क्या वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देकर अपने 2014 के चुनावी वादे और अपने सहयोगी और JDU प्रमुख नीतीश कुमार की दस साल पुरानी मांग को पूरा करेंगे।
बिहार द्वारा विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग नई नहीं है। सबसे पहले नीतीश कुमार ने इसे तब उठाया था, जब वह 2005 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उनका कहना था कि झारखंड के अलग हो जाने के बाद से बिहार एक पिछड़ा और गरीब राज्य रह गया है। उन्होंने यह मांग पिछले साल नवंबर में भी तब दोहराई थी जब उन्होंने जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए थे।
चंद्र बाबू नायडू भी विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बहुत पहले से अभियान चला रहे हैं। जब साल 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ और तेलंगाना एक अलग राज्य बन गया तो उसके राजस्व के एक बड़े हिस्से के नुकसान हुआ। इसके बाद नायडू ने साल 2017 में राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग उठाई थी। वह अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में पुनः स्थापित करने की अपनी स्थगित योजना को पुनर्जीवित करने की भी उम्मीद कर रहे हैं, जिसके लिए धन की आवश्यकता होगी।
लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा में विधानसभा के लिए भी मतदान हुआ है। इसमें हालांकि नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल को सफलता नहीं मिली। लेकिन ओडिशा के मुख्यमंत्री रहते हुए नवीन पटनायक ने राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देने की मांग की थी। लेकिन उनकी मांग को केंद्र सरकार ने तवज्जो नहीं दिया था। अब जबकि राज्य में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिला है, तो माना जाता है कि उस राज्य को भी विशेष श्रेणी का दर्जा मिल सकता है।
वर्ष 1969 में पांचवे वित्त आयोग (अध्यक्ष महावीर त्यागी) ने गाडगिल फोर्मुले (Gadgil Formula) के आधार पर 3 राज्यों (जम्मू & कश्मीर, असम और नागालैंड) को विशेष राज्य का दर्जा दिया था। इन तीनों ही राज्यों को विशेष दर्जा देने का कारण इन राज्यों का सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक पिछड़ापन था। इसके बाद कुछ और राज्य इस सूची में शामिल हुए।
राष्ट्रीय विकास परिषद् ने राज्यों को विशेष दर्जा देने के लिए कुछ मापदंड बनाए थे, जिनमें राज्य का संसाधन, प्रति व्यक्ति आय, राज्य की आमदनी के स्रोत, राज्य में जनजातीय आबादी, पहाड़ी और दुर्गम इलाका, जनसंख्या का घनत्व, प्रतिकूल स्थान और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित होना है। जो भी राज्य इस मानक को पूरा करता था, उसे यह दर्जा दिया गया।
अभी तक कुल 11 राज्यों को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया गया है। उनमें
1. मणिपुर
2. मेघालय
3. मिजोरम
4. अरुणाचल प्रदेश
5. त्रिपुरा
6. सिक्किम
7. उत्तराखंड
8. हिमाचल प्रदेश
9. असम
10. जम्मू & कश्मीर
11. नागालैंड
शामिल हैं।
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