Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
क्या बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में सुधार होगा? - श्रीनारद मीडिया

क्या बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में सुधार होगा?

क्या बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में सुधार होगा?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत-पाकिस्तान के संबंधों में तनाव के बीच एक ऐसी खबर आई है जिससे तमाम लोगों को लगने लगा है कि शायद तनाव अब कुछ कम हो सकेगा। दरअसल, पाकिस्तान ने घोषणा की है कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी अगले महीने भारत में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे। पहले माना जा रहा था कि एससीओ बैठक से पाकिस्तान दूर रह सकता है या ऑनलाइन माध्यम से बैठक में जुड़ सकता है

लेकिन अब पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जेहरा बलूच ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में ऐलान कर दिया हे कि बिलावल भुट्टो जरदारी भारत के गोवा में 4-5 मई, 2023 को होने वाली एससीओ विदेश मंत्री परिषद की बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। इसके साथ ही हफ्तों से चली आ रही इन अटकलों पर विराम लग गया कि बिलावल भुट्टो व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में हिस्सा लेंगे या नहीं।

मुमताज जेहरा बलूच ने बिलावल के भारत दौरे की पुष्टि के साथ ही यह भी कहा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के निमंत्रण पर सम्मेलन में शामिल होंगे। बलूच ने कहा, “बैठक में हमारी भागीदारी एससीओ चार्टर और प्रक्रियाओं के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता और पाकिस्तान की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में क्षेत्र को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाती है।”

हम आपको बता दें कि यह हाल के वर्षों में किसी भी पाकिस्तानी नेता का भारत का पहला उच्चस्तरीय दौरा होगा। दरअसल, फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर दिया था, जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे।
इसके अलावा, अगस्त 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में और कड़वाहट पैदा हो गई। भारत कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी की तरह संबंध रखना चाहता है। हालांकि दूसरी ओर वह इस बात पर जोर देता है कि ऐसे संबंध कायम करने के लिए आतंकवाद और तनावमुक्त माहौल बनाना पाकिस्तान की जिम्मेदारी है।

हम आपको यह भी याद दिला दें कि पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने 2011 में भारत का दौरा किया था। इसके अलावा, मई 2014 में, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत आए थे। इसके बाद, दिसंबर 2015 में, तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान का दौरा किया था और कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री मोदी अफगानिस्तान से लौटते समय थोड़ी देर के लिए पाकिस्तान में रुके थे।

जहां तक एससीओ की बात है तो आपको बता दें कि इसकी स्थापना 2001 में शंघाई में हुए रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों के शिखर सम्मेलन में की गई थी। बाद के वर्षों में यह सबसे बड़े क्षेत्रीय संगठनों में से एक बनकर उभरा। भारत और पाकिस्तान 2017 में चीन में स्थित एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे।

इस बीच, माना जा रहा है कि बिलावल की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में आई कड़वाहट के कम होने की उम्मीद है। लेकिन हालात देखकर ऐसा लगता नहीं है क्योंकि मूल प्रश्न अब भी वही है कि वार्ता और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। इसके अलावा, एससीओ बैठक के दौरान एक तो दोनों देशों के बीच कोई द्विपक्षीय मुलाकात नहीं होगी।

दूसरा, बिलावल पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में अपना कद बढ़ाने के चक्कर में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे पर बेवजह की बयानबाजी करते रहते हैं। कई बार तो हाथ के हाथ भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से उन्हें तगड़ा जवाब भी मिला है। इसके अलावा जिस दिन बिलावल भुट्टो के भारत आने की घोषणा की जा रही थी उसी दिन जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भारतीय सेना के काफिले पर आतंकी हमला हो गया जिसमें हमारे पांच जवान शहीद हो गये।

माना जा रहा है कि बिलावल भारत यात्रा के दौरान कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे उनकी छवि भारत समर्थक की बने क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जब भारत की विदेश नीति की तारीफ करते हैं तो बिलावल उन पर हमला बोलते हैं। इसके अलावा, बिलावल आजकल अपने ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को भी हिलाने में लगे हुए हैं। उनकी नजर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद पर है इसलिए भारत यात्रा के दौरान उनका ध्यान सिर्फ एससीओ से संबंधित मुद्दों पर ही रहने के आसार हैं।

इसके अलावा, बिलावल की यह यात्रा पाकिस्तान के पहले के विदेश मंत्रियों की यात्रा से अलग होने जा रही है क्योंकि पहले जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री या अन्य नेता भारत यात्रा पर आते थे तो कश्मीर के अलगाववादियों को डिनर पर बुलाते थे लेकिन अब ऐसे किसी आयोजन की संभावना नहीं है। इसके अलावा अलगाववादियों के मन में भी इतना डर बैठ गया है कि वह खुद ही पाकिस्तानी चाय नाश्ते से दूर रहने में ही अपनी भलाई समझेंगे।

जहां तक एससीओ बैठक में बिलावल भुट्टो के शामिल होने की खबर पर भारत की प्रतिक्रिया की बात है तो आपको बता दें कि हमारे विदेश मंत्रालय ने कहा है कि एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के लिए सभी सदस्य देशों को न्यौता भेजा गया है इसलिए किसी एक देश की भागीदारी पर ध्यान देना उतना उचित नहीं होगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा, ”हम इस बैठक के काफी सफल होने की अपेक्षा करते हैं। लेकिन किसी एक देश की भागीदारी पर ध्यान देना उतना उचित नहीं होगा।’’ एससीओ बैठक से इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर की द्विपक्षीय बैठकों के बारे में एक सवाल के जवाब में भी प्रवक्ता ने कहा है कि इस बारे में कुछ कहना अभी समय से पूर्व की बात होगी।

बहरहाल, देखना होगा कि बिलावल की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में कोई सुधार आता है या तनाव और बढ़ जाता है। यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है क्योंकि अक्सर देखने में आया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद के जब भी प्रयास हुए हैं तब तब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कश्मीर में हमले बढ़ाये हैं।

अभी एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पुंछ में जो हमला हुआ उसके बाद से ही यह मांग की जा रही है कि भारत को पाकिस्तानी विदेश मंत्री का स्वागत नहीं करना चाहिए। गोवा की बैठक से पहले यदि पाकिस्तानी आतंकियों ने कोई और साजिश रची तो यकीनन दोनों देशों के संबंधों में नया तनाव पैदा हो सकता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!