क्या RJD में जगदानंद सिंह भी पद छोड़ेंगे ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में क्या पुत्र सुधाकर सिंह के मंत्री पद से त्यागपत्र से आहत राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह भी पद छोड़ सकते हैं? राजनीतिक गलियारे में इसकी चर्चा है। जगदानंद सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कृषि नीति पर हमलावर रहने के बाद पद से इस्तीफा देने वाले कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के पिता हैं। वे लगातार दूसरी बार आरजेडी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष बने हैं।
नौ अक्टूबर को इस्तीफा दे सकते हैं जगदानंद सिंह
सूत्र बताते हैं कि जगदानंद अपने इस्तीफे की पेशकश के लिए दिल्ली जा चुके हैं। वहां नौ अक्टूबर को पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक है। उसी दौरान वे सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को इस्तीफा सौंपेंगे।
सुधाकर को महंगा पड़ा नीतीश सरकार पर हमला
महागठबंधन की सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए सुधाकर सिंह ने अपनी ही नीतीश सरकार पर जमकर हमला किया। सुधाकर सिंह मंडी व्यवस्था को बिहार में फिर से प्रभावी बनाने के पक्षधर हैं। उन्होंने अब तक के तीन कृषि रोड मैप को विफल बताते हुए चौथे कृषि रोड मैप की पहल को किसानों के लिए व्यर्थ का उपक्रम बताया है। नीतीश सरकार पर हमला सुधाकर सिंह को महंगा पड़ा। उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
बेटे के इस्तीफे की जानकारी नहीं देने से नाराजगी
जगदानंद सिंह को आरजेडी में सिद्धांत की राजनीति का पैरोकार माना जाता है। सुधाकर सिंह जब पार्टी से विद्रोह कर आरजेडी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में कूदे थे, तब जगदानंद सिंह उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करते दिखे थे। ऐसे में सवाल यह है कि अपनी सरकार पर हमलावर रहे बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे से क्यों आहत हैं? सूत्र बताते हैं कि जगदानंद सिंह की नाराजगी की वजह सुधाकर सिंह के इस्तीफे की जानकारी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उन्हें नहीं देना है। जबकि, वे आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इन दिनों वे पार्टी के प्रदेश कार्यालय नहीं जा रहे हैं।
दबाव की राजनीति या जेडीयू के बयानों से नाराजगी?
जगदानंद सिंह को लालू प्रसाद यादव का करीबी एवं पार्टी में नंबर दो की हैसियत वाला माना जाता है। वे लालू-राबड़ी की सरकार में मंत्री भी थे। उनकी छवि साफ-सुथरी व अनुशासित रही है। उनके बेटे सुधाकर सिंह पहली बार आरजेडी के टिकट पर विधायक बनकर मंत्री बने थे। इससे पहले वे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव हार गए थे।
चर्चा है कि सुधाकर सिंह के बाद अब जगदानंद सिंह अपने इस्तीफा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव की राजनीति कर रहे हैं। हालांकि, इसकी अभी पार्टी स्तर से इसकी पुष्टि नहीं हुई है। महागठबंधन में रहने के बावजूद आरजेडी के सहयोगी जेडीयू के कुछ नेताओं ने उन्हें बुजुर्ग व मानसिक रूप से कमजोर बताया, जिससे भी वे नाराज हैं।
इस्तीफा से बाहर आ सकता है पार्टी का अंतर्कलह
एक खास बात और। सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद जगदानंद सिंह ने बलिदान देने की बात कही थी, जिसका अर्थ उनका पार्टी से मोहभंग माना जा रहा है। सवाल यह है कि अगर जगदानंद इस्तीफा देते हैं तो क्या होगा? ऐसे में पार्टी का अंतर्कलह बाहर आ सकता है।
सुधाकर ने कहा कि जब मैं कृषि मंत्री था तो मैंने बिहार के किसानों के लिए एक कृषि रोड मैप तैयार करने की मांग की थी। वे बीज और उर्वरक पर सब्सिडी नहीं चाहते हैं लेकिन वे अपनी फसलों के अधिकतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जैसे लाभकारी मूल्य चाहते हैं। यही किसानों की असली लड़ाई है। सुधाकर ने पूछा कि कौन कह रहा है कि नेता सरकार में रहकर सवाल नहीं उठा सकते? मैं उन्हें चुनौती देना चाहता हूं। देश के संविधान ने हमें सरकार में रहकर लोगों की अनियमितताओं को उठाने का अधिकार दिया है। सुधाकर ने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने मुझे कैबिनेट में शामिल होने का निर्देश दिया फिर राजद सुप्रीमो के ही कहने पर मैंने पद छोड़ा।
अपने विभाग के अफसरों से नाराज थे सुधाकर
गौरतलब है कि सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर नीतीश कैबिनेट में कृषि मंत्री का दायित्व संभाल रहे थे। मंत्री बनने के बाद से ही वह अपने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से नाराज थे। सार्वजनिक मंच से उन्होंने अपने विभाग के अफसरों को चोर बताते हुए खुद को चोरों का सरदार कह दिया था।
मैं लालू प्रसाद यादव के कहने पर मंत्री बना था उन्हीं के कहने पर इस्तीफा दे दिया। अगर मैं इस्तीफा नहीं भी देता तो राज्य के सीएम को यह अधिकार है कि वह किसी भी मंत्री को अपनी कलम की ताकत से बर्खास्त कर सकता है।
इस्तीफ़े से किसान घबराएं नहीं, मैं हर वक्त खड़ा हूं
आगे उन्होंने कहा कि मैंने तो बस इतना ही कहा था कि जो रोड मैप बना है उसके बारे में पहले किसानों से बातचीत हो जाए। सभी जिले से किसानों को पटना में बुलाकर इस बिंदु पर चर्चा हो जाए। सत्ता में रहकर या विपक्ष में रहकर सरकार की नाकामियों के विरुद्ध आवाज उठाने का संविधान ने अधिकार दिया है। मैं 2025 तक विधायक हूं और विधायक रहूंगा। इस दौरान किसानों की हर समस्या के समाधान को हमेशा प्रयास करता रहूंगा। मेरे इस्तीफ़े से किसान घबराएं नहीं, मैं किसानों के साथ हर वक्त खड़ा हूं।
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