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क्या जेल से सरकार चलाएंगे केजरीवाल? - श्रीनारद मीडिया

क्या जेल से सरकार चलाएंगे केजरीवाल?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल को उनकी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत अवधि पूरी होने के बाद सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत में पेश किया गया. जहां से कोर्ट ने उन्हें 15 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. ईडी ने अदालत से केजरीवाल को 15 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने पूछताछ के दौरान ‘बिल्कुल सहयोग’ नहीं किया.

जेल से सरकार चलाने में क्या होगी दिक्कत, क्या केजरीवाल को देना होगा इस्तीफा?

तिहाड़ जेल में शिफ्ट होने के बाद दिल्ली की सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. अरविंद केजरीवाल अबतक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिए हैं. वैसे में तिहाड़ जेल से वो कैसे सरकार चलाएंगे, ये बड़ा सवाल है. जेल से सरकार चलाने की प्रक्रिया पर तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता ने कहा, यह बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. सीएम के साथ एक निजी स्टाफ होना चाहिए. 16 जेल हैं, इनमें से किसी में भी ऐसी कोई सुविधा नहीं है जहां से मुख्यमंत्री सरकार चला सकेंगे. इसके लिए सारे नियम तोड़ने पड़ते हैं. कोई भी इतने सारे नियमों को तोड़ने की इजाजत नहीं देगा.

सरकार चलाने का मतलब सिर्फ फाइलों पर हस्ताक्षर करना नहीं

तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता ने कहा, सरकार चलाने का मतलब सिर्फ फाइलों पर हस्ताक्षर करना नहीं है. सरकार चलाने के लिए कैबिनेट की बैठकें बुलाई जाती हैं, मंत्रियों से सलाह ली जाती है और बहुत सारे कर्मचारी होते हैं, एलजी के साथ बैठकें या टेलीफोन पर बातचीत होती है. जेल में टेलीफोन की सुविधा नहीं है. इसके अलावा बहुत सारी जनता मुख्यमंत्री से मिलने आती है अपनी शिकायतें लेकर. लोगों से मिलना मुख्यमंत्री की ड्यूटी का सबसे अहम पार्ट होता है. ये सारी चीजें बहुत मुश्किल हैं, जेल में रहते हुए.

जेल में सीएम कार्यालय बनाना असंभव

तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा, जेल में सीएम कार्यालय बनाना असंभव है. जेल प्रशासन किसी भी जगह को स्पेशल जेल डिक्लेयर कर सकता है. अगर वो चाहें, तो घर को भी जेल डिक्लेयर कर सकते हैं. ऑफिस को भी जेल डिक्लेयर कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो मुख्यमंत्री केवल फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. लेकिन इसमें भी बड़ी परेशानी हो सकती है, क्योंकि जिस जगह को स्पेशल जेल बनाया जाएगा, वहां भी स्टाफ रखना होगा. हर किसी को मुख्यमंत्री से मिलने की इज्जाजत नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट से पूछने के बाद ही स्टाफ किसी को मिलने की अनुमति देगा. उन्होंने बताया जेल में कैदी हर दिन 5 मिनट के लिए अपने परिवार से बात कर सकते हैं और यह सब रिकॉर्ड किया जाता है.

कैदी को अतिरिक्त सुविधा मिलने पर हो सकती है कार्रवाई

तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता ने बताया, जेल नियम के अनुसार किसी भी कैदी को अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जा सकती है. कैदी जेल प्रशासन की स्पेशल निगरानी में रहता है. उसके जेल मैनुअल में जो दिया गया, उसी के अनुसार सुविधाएं मिल सकती हैं, अगर कोई भी अतिरिक्त सुविधाएं दी जाती हैं, तो जेल प्रशासक या कोर्ट एक्शन ले सकता है. उन्होंने सत्येंद्र जैन का उदाहरण दिया. दिल्ली सरकार में जेल मंत्री रहते सत्येंद्र जैन तिहाड़ जेल पहुंचे थे. उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं देने पर एक्शन हो रहा है. तो वैसी स्थिति में कोई भी अतिरिक्त सुविधा देने से बचता है.

केजरीवाल देश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं, तो पद पर रहते हुए जेल गए

अरविंद केजरीवाल देश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं, जिन्हें पद पर बने रहते गिरफ्तार किया गया. साथ ही पद पर रहते हुए जेल भी गए. इससे पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया था, तो गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था. एक और मामला बिहार से भी है. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को जब गिरफ्तार किया गया था, तो उन्होंने गिरफ्तारी से पहले पद से इस्तीफा दे दिया था और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था.

ईडी ने अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को किया था गिरफ्तार

गौरतलब है कि ईडी ने शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. अगले दिन विशेष न्यायाधीश बवेजा ने उन्हें 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया था. बाद में कोर्ट ने 1 अप्रैल तक ईडी की हिरासत में भेज दिया था. ईडी ने ‘आप’ नेता पर “दिल्ली शराब घोटाले की पूरी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है जिसमें नीति बनाना, लागू करना, फायदा पहुंचाना, रिश्वत लेना और अपराध से अर्जित पैसे का इस्तेमाल गोवा विधानसभा चुनाव में करना शामिल है.

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