क्या 2029 में एक साथ होंगे लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विधि आयोग एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) के फार्मूल पर काम कर रहा है ताकि 2029 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ सभी राज्यों के चुनाव कराए जा सकें। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। बता दें कि सरकार ने पहले ही लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने के लिए एक उच्चस्तरीय पैनल का गठन किया है।

तैयार नहीं हुई आयोग की रिपोर्ट

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, विधि आयोग लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक मतदाता सूची सुनिश्चित करने वाला तंत्र भी तैयार कर रहा है ताकि लागत को कम किया जा सके। हालांकि, एक साथ चुनाव को लेकर विधि आयोग की रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हुई है, क्योंकि कई मुद्दों का निपटारा होना अभी बाकी है।विधि आयोग विभिन्न विधानसभाओं के कार्यकाल को कम या फिर बढ़ाने का सुझाव दे सकता है, ताकि एक साथ चुनाव के लिए एक मंच तैयार किया जा सके।

फिलहाल आयोग का काम विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के तरीके का सुझाव देने है, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति को यह सिफारिश करने का काम सौंपा गया कि लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कि एक साथ चुनाव कैसे आयोजित किए जा सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि रामनाथ कोविंद के पैनल की शर्तों को ध्यान में रखत हुए लोकसभा और राज्य चुनावों के साथ स्थानीय निकाय चुनाव को शामिल कराने के लिए विधि आयोग का दायरा बढ़ाया जा सकता है।वहीं, लॉ पैनल एक सुझाव दे सकता है कि एक साल में दो चरणों में त्रिस्तरीय चुनाव कराए जाएं। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं।

एक तिहाई रह जाएगा चुनाव पर खर्च

देश में पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव एक साथ कराने से ही चुनाव खर्च कम नहीं हो जाएगा, इसके लिए जरूरी है कि सारे चुनाव एक सप्ताह के अंदर कराए जाएं। अगर ऐसा होता है तो चुनाव पर आने वाले खर्च को घटा कर एक तिहाई किया जा सकता।

एक अध्ययन के अनुसार, स्थानीय चुनाव से लेकर लोकसभा तक सारे चुनाव एक साथ कराने पर 10 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, लेकिन अगर सभी चुनाव एक हफ्ते के अंदर कराए जाएं तो ये खर्च घट कर तीन से पांच लाख करोड़ रुपये तक आ सकता है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर ₹10 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 पर ₹1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है।

विधानसभा सीटों पर खर्च

देश में 4,500 विधानसभा सीटें है अगर सभी विधानसभा चुनाव साथ कराए जाए तो इस पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।

स्थानीय निकाय चुनाव पर खर्च

देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायते हैं। 650 जिला परिषद, 7,000 मंडल, 2 लाख 50 हजार ग्राम पंचायत सीटों के चुनाव पर 4.30 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते है।

देश में हैं 500 नगरपालिका हैं। सभी सीटो पर चुनाव एक साथ कराने पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।

विज्ञापन और यात्राओं के खर्च में होगी कटौती

चुनाव अभियान चलाने के राजनीतिक दलों के मौजूदा तौर-तरीके, पोल पैनल कितना असरदार है और राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आचार संहिता का कड़ाई से पालन, ये सभी चीजें खर्च घटाने में अहम भूमिका निभाएंगी।

अध्ययन के मुताबिक, अगर चुनाव को कई चरणों मे न कराया जाए तो इससे चुनाव पर खर्च कम हो सकता है, क्योकि विज्ञापन और यात्राओं पर कम खर्च होगा।”कानूनी प्रक्रियाओं, संविधान और आरपी अधिनियम के अनुसार, हमें चुनाव कराने का अधिकार है और हम इसके लिए तैयार हैं।”

हमारा कर्तव्य संवैधानिक प्रावधानों और आरपी अधिनियम के अनुसार समय से पहले चुनाव कराना है। अनुच्छेद 83 (2) कहता है कि संसद का कार्यकाल 5 वर्ष होगा और आरपी अधिनियम की धारा 14 कहती है कि 6 महीने पहले हम चुनावों की घोषणा कर सकते हैं। ऐसी ही स्थिति राज्य विधानसभाओं के लिए भी है। कानूनी प्रावधानों के अनुसार, हम चुनाव कराने के लिए हमेशा तैयार हैं।”

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