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क्या 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का समूल नाश हो जायेगा? - श्रीनारद मीडिया

क्या 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का समूल नाश हो जायेगा?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की कि केंद्र सरकार नक्सल मुक्त भारत की दिशा में दृढ़तापूर्वक कार्य कर रही है, तथा 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का समूल नाश करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसका उद्देश्य  नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

नक्सलवाद के उन्मूलन हेतु भारत की रणनीति क्या है?

  • विकास कार्यक्रम: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत पुलिस और लोक व्यवस्था पर राज्य सरकारों की अधिकारिता है।
    • हालाँकि, वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism- LWE) का उन्मूलन करने हेतु राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना, 2015 का अंगीकरण किया गया, जिसमें एक ऐसे बहुआयामी कार्यनीति का क्रियान्वन किया गया जिसमें सुरक्षा उपायों, विकास पहलों और सामुदायिक अधिकार संरक्षण को शामिल किया गया।
    • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना II के अंतर्गत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिये सड़क संपर्क परियोजना, दूरदराज़ के क्षेत्रों तक पहुँच में सुधार लाने और सुरक्षा कार्यों को सुविधाजनक बनाने के लिये सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ाती है।
    • रोशनी योजना वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में ग्रामीण युवाओं के लिये प्रशिक्षण और रोज़गार के अवसरों पर केंद्रित है।
      • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और कौशल विकास केंद्र स्थापित किये गए हैं।
    • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच में सुधार के लिये वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों के जनजातीय ब्लॉकों में लगभग 130 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) संचालित किये गए।
    • सार्व सेवा दायित्व निधि योजना (अब डिजिटल भारत निधि) के अंतर्गत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में संचार में सुधार के लिये मोबाइल टावर संस्थापित किये गए हैं।
    • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में जनजातीय युवाओं से संपर्क बढ़ाने के उद्देश्य से नेहरू युवा केंद्र संगठन के तहत जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
  • सुरक्षा अभियान: ऑपरेशन ग्रीन हंट जैसे बृहद स्तर के अभियानों में नक्सलवाद को समाप्त करने के लिये अर्द्धसैनिक बलों का परिनियोजन किया जाता है।
    • केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) और राज्य पुलिस के साथ-साथ कमांडो बटालियन फॉर रेज़ोल्यूट एक्शन (CoBRA) और ग्रेहाउंड्स (आंध्र प्रदेश) जैसे विशेष बलों के अधिक परिनियोजन से दीर्घकालिक सुरक्षा के लिये रेड कॉरिडोर में आतंकवाद का उन्मूलन करने में सहायता मिलेगी।
  • विधिक ढाँचा: विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA, 1967) जैसे अधिनियमों के अंतर्गत नक्सली संगठनों को प्रतिबंधित किया गया है।
    • इसके अतिरिक्त, वन अधिकार अधिनियम, 2006 में वन उपज पर जनजातीय समुदायों के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गई है, जबकि पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तारण) अधिनियम, (PESA) 1996 के अंतर्गत जनजातीय ग्राम सभाओं का शासन व्यवस्था और संसाधन प्रबंधन में सशक्तीकरण किया गया है।
  • आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास नीति: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा के समाज में वापस लौटने में सहायता के लिये वित्तीय सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण और सामाजिक पुनर्एकीकरण कार्यक्रम प्रदान किये जाते हैं ।
  • प्रगति: वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ज़िलों की संख्या 126 (वर्ष 2014) से घटकर मात्र 12 (वर्ष 2024) रह गई है।
    • नक्सल-संबंधी घटनाएंँ 16,463 (वर्ष 2004-2014) से घटकर 7,700 (वर्ष 2014-2024) हो गई हैं।
    • नक्सलवाद के कारण सुरक्षा बलों की हताहतों की संख्या में 73% की कमी आई है, जबकि नागरिक हताहतों की संख्या में 70% की कमी आई है।
    • फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन 66 (वर्ष 2014) से बढ़कर 612 (वर्ष 2024) हो गए हैं।

नक्सलवाद क्या है?

  • परिचय: नक्सलवाद, माओवादी विचारधारा से प्रेरित वामपंथी उग्रवाद का एक रूप है, जो सशस्त्र विद्रोह (हिंसा और गुरिल्ला युद्ध) के माध्यम से राज्य को समाप्त करने का प्रयास करता है।
    • नक्सलवाद शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई है, जहाँ वर्ष 1967 में शोषक ज़मींदारों के खिलाफ किसानों का विद्रोह हुआ था।
    • इसके बाद से यह एक जटिल उग्रवाद के रूप में विकसित हो गया है, जो भारत के कई राज्यों को प्रभावित कर रहा है।
  • नक्सलवाद के कारण: 
    • भूमिहीनता और शोषण: असमान भूमि वितरण और ज़मींदारों, साहूकारों एवं बिचौलियों द्वारा शोषणकारी प्रथाओं के कारण ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में असंतोष बढ़ा और नक्सलवाद को बढ़ावा मिला।
    • गरीबी और अल्प विकास: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोज़गार के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जिससे लोग उग्रवाद की ओर बढ़ रहे हैं।
    • जनजातीय अलगाव: उचित पुनर्वास के बिना औद्योगिक और खनन परियोजनाओं के कारण विस्थापन से राज्य के प्रति गुस्सा और अविश्वास बढ़ता है, जिसके कारण कई लोग नक्सलवादी आंदोलनों में शामिल हो जाते हैं।
    • राज्य की उपेक्षा और हिंसा: सरकारी तंत्र अनुपस्थिति, बुनियादी सेवाओं की कमी, तथा हिरासत में मृत्यु सहित पुलिस की ज्यादतियों के मामलों ने शिकायतों को और बढ़ा दिया है, जिससे नक्सली विद्रोह को मज़बूती मिली है।
  • भारतीय माओवादी: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) भारत का सबसे बड़ा और सबसे हिंसक माओवादी समूह है। इसका गठन दो प्रमुख माओवादी गुटों: CPI (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वार और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया के विलय से हुआ था।
    • CPI (माओवादी) और उसके संगठनों को UAPA, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था।
  • भौगोलिक विस्तार: नक्सल आंदोलन “रेड कॉरिडोर” में सबसे अधिक सक्रिय है, जो छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र और बिहार सहित कई भारतीय राज्यों के हिस्सों में फैला हुआ है।
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