बंगाल को विकास की नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएंगेः पीएम मोदी.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
West Bengal Assembly Election 2021: बंगाल में विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड ग्राउंड में अपनी पहली चुनावी महारैली कर बंगाल फतह करने की जंग का बिगुल फूंक दिया। यहां उमड़े लाखों लोगों के जनसैलाब के बीच पीएम ने हुंकार भरते हुए ममता बनर्जी पर चुन-चुन कर करारा हमला बोला। पीएम ने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल की जनता का भरोसा तोड़ा और धोखा दिया है। पिछले दस साल से राज्य में मां, माटी और मानुष की क्या स्थिति है, ये सबको पता है। उन्होंने इस नारे को भ्रष्टाचार, तोलाबाजी व तुष्टीकरण में बदल दिया। पीएम ने कहा कि ममता बनर्जी की स्कूटी का इस बार नंदीग्राम में गिरना तय है।
लोगों से उन्होंने कहा कि 2019 केलोकसभा चुनाव में आपने- चुप-चाप कमल छाप से कमाल किया। इस बार आपको जोर से छाप, टीएमसी साफ के इरादे से आगे बढऩा है। पीएम ने नया नारा दिया कि लोकसभा में टीएमसी हाफ और इस बार पूरी साफ। उन्होंने कहा कि टीएमसी का खेला अब शेष है। पीएम ने साथ ही रैली के दौरान बंगाल में आसोल परिवर्तन का नारा बार-बार दोहराया। उन्होंने कहा कि दो मई के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार नहीं रहेगी और बंगाल में असली परिवर्तन होकर रहेगा।
बंगाल को विकास की नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएंगे
65 मिनट के अपने भाषण में पीएम ने ममता सहित कांग्रेस व वामपंथी दलों को आड़े हाथों लेते हुए राष्ट्रवाद से लेकर विकास तक की बात कीं। इसके जरिए उन्होंने बंगाल के साथ भाजपा को कनेक्ट करने की कोशिश कीं। साथ ही विकास का रोड मैप भी पेश किया और कहा कि सबका साथ, सबका विकास ही भाजपा का मूल मंत्र है। पीएम ने वादा किया कि भाजपा की सरकार बनने पर बंगाल को विकास की नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएंगे। साथ ही, राज्य के हर व्यक्ति के साथ न्याय की प्रतिबद्धता जताईं।
Mithun Chakraborty: ‘आमी बांगाली, आमी गर्बितो आमी बांगाली…’ (मैं बंगाली हूं। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं बंगाली हूं…)। एक दशक पहले प्रदर्शित हुई मशहूर बांग्ला फिल्म ‘आमी सुभाष बोलची’ (मैं सुभाष बोल रहा हूं) में देवब्रत बोस नामक सामान्य मध्यमवर्गीय बंगाली का किरदार निभाने वाले डिस्को डांसर मिथुन चक्रवर्ती का यह डायलॉग आज भी हरेक बंगाली की जुबां पर है। बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक महेश मांजरेकर द्वारा निर्देशित इस फिल्म के जरिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदर्शों से दूर हो रहे बंगालियों को इससे दोबारा जोड़ने की कोशिश की गई थी। इस किरदार के साथ न्याय करने के लिए मिथुन से बेहतर कौन हो सकता था, जो पिछले साढ़े चार दशकों से देश-दुनिया में बंगालियों का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।
बंगाल की राजनीति में इस समय ‘अंदरूनी बनाम बाहरी’ बड़ा मुद्दा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर तृणमूल कांग्रेस के तमाम नेता भाजपा को गुजरात की पार्टी करार दे रहे हैं। ममता तो पीएम मोदी तक को बाहरी बताने से गुरेज नहीं कर रहीं। ऐसे में भाजपा को बंगाल फतह करने के लिए खुद पर लगे बाहरी के ठप्पे को मिटाना जरूरी है। इसके लिए भगवा पार्टी को ऐसे ‘लार्जर दैन लाइफ’ बंगाली चेहरे की जरूरत थी, जिससे वह बंगाली जनमानस से खुद को तुरंत कनेक्ट कर सके। इसके लिए डिस्को डांसर मिथुन से अच्छा कौन हो सकता था। रविवार को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में 70 साल के मिथुन के भाजपा में शामिल होते ही उसे बंगालियों में पैठ जमाने के लिए एक बड़ा जरिया हाथ लग गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि बंगाल के लोगों की मिथुन से गहरी भावनाएं जुड़ी हैं। अब देखना यह है कि भाजपा इसे भुनाने में सफल हो पाती है या नहीं।
पूरी रणनीति के साथ मिथुन को पेश किया गया मोदी के मंच पर
भाजपा के विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि मिथुन को पूरी रणनीति के साथ पीएम मोदी के मंच पर पेश किया गया। मिथुन पारंपरिक बांग्ला धोती-कुर्ता पहनकर रैली में पहुंचे। पीएम मोदी के आने से पहले उन्हें पार्टी में शामिल कराया गया, फिर उनके हाथों प्रधानमंत्री का अभिनंदन कराया गया। पीएम मोदी का मिथुन को ‘बांग्लार छेले’ कहकर संबोधित करना भी बंगाल के लोगों की भावनाओं से जुडऩे की रणनीति का हिस्सा था। मिथुन ने भी अपने संबोधन में ‘बाहरी’ के मसले को खत्म करने के लिए कहा-‘मैं मानता हूं कि बंगाल में रहने वाला हरेक व्यक्ति बंगाली है क्योंकि वे यहां बड़े हुए हैं। यहां की हर चीज पर उनका अधिकार है और उनके हक को जो छीनने की कोशिश करेगा तो इसके खिलाफ मेरे जैसे लोग खड़े होंगे।’
तो क्या जोड़ासांको सीट से चुनाव लड़ेंगे मिथुन दा?
भाजपा में शामिल होने के बाद मिथुन दा ने विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन बातों-बातों में इसके संकेत जरूर दिए। उन्होंने अपने संबोधन में जिस तरह से कोलकाता के जोड़ाबगान थाना इलाके की उस गली का जिक्र किया, जहां उनका बचपन बीता था, इससे उनके वहीं की जोड़ासांको सीट से चुनाव लडऩे की संभावना जताई जा रही है। मिथुन वहां के ‘लोकल ब्वाय’ भी हैं।
पहले वाममोर्चा, फिर तृणमूल, अब भाजपा
मिथुन शुरू में वामपंथी विचारधारा के समर्थक रहे। दिवंगत माकपा नेता सुभाष चक्रवर्ती के साथ उनके गहरे संबंध थे। बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु के साथ भी मिथुन कई कार्यक्रमों में नजर आए थे। 2014 में वे तृणमूल कांग्रेस से जुड़े और पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सदस्य मनोनीत हुए। रोजवैली चिटफंड घोटाले से नाम जुड़ने के बाद तृणमूल से मिथुन का मोहभंग हुआ और 2016 को उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कुछ समय तक वे लाइमलाइट से दूर हो गए। उनके बीमार होने की भी खबरें आई थीं। पिछले दिन पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत के मुंबई स्थित मिथुन के घर जाकर उनके मुलाकात करने के बाद से ही उनके भाजपा में शामिल होने के कयास लगने लगे थे, जो रविवार को सच साबित हुआ।