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क्या फिर शुरू होगा किसान आंदोलन?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर विभिन्न मांगो को लेकर आंदोलन शुरू करने का एलान किया है। किसान संगठन ने कहा है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी और ऋण माफी सहित अपनी लंबित मांगों को लेकर आंदोलन फिर से शुरू किया जाएगा। साथ ही संगठन ने कहा है कि इन मांगो को रखते हुए प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने अपनी आम सभा की बैठक के एक दिन बाद यह घोषणा की। संगठन ने कहा, ‘आम सभा ने 9 दिसंबर, 2021 के समझौते को लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन फिर से शुरू करने का फैसला किया है, जो केंद्र सरकार ने एसकेएम के साथ किया है और जिस पर भारत सरकार के कृषि विभाग के सचिव ने हस्ताक्षर किए हैं। साथ ही किसानों की आजीविका प्रभावित करने वाली अन्य प्रमुख मांगें रखी जाएंगी।’

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने अपनी आम सभा की बैठक के एक दिन बाद यह घोषणा की। संगठन ने कहा, ‘आम सभा ने 9 दिसंबर, 2021 के समझौते को लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन फिर से शुरू करने का फैसला किया है, जो केंद्र सरकार ने एसकेएम के साथ किया है और जिस पर भारत सरकार के कृषि विभाग के सचिव ने हस्ताक्षर किए हैं। साथ ही किसानों की आजीविका प्रभावित करने वाली अन्य प्रमुख मांगें रखी जाएंगी।’

‘कॉर्पोरेट छोड़ो दिवस’ मनाएगा एसकेएम

संगठन ने अपने बयान में कहा है कि सभी सांसदों को मांगों का एक चार्टर सौंपा जाएगा। संगठन ने कहा कि 9 अगस्त को एसकेएम अपनी मांगों के समर्थन में देश भर में प्रदर्शन करके “भारत छोड़ो दिवस” ​​को “कॉर्पोरेट भारत छोड़ो दिवस” ​​के रूप में मनाएगा।

किसान अपनी मांगो को लेकर अभी भी सरकार के सामने डट कर खड़े हैं। साल 2020 में जो आंदोलन शुरू हुआ और 1 साल से अधिक समय तक दिल्ली के बॉर्डरों पर चला, वो एक बार फिर से शुरू हो सकता है। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक जनरल बॉडी मीटिंग में आंदोलन से जुड़ा एक फैसला लिया है। मीटिंग में कई राज्यों के किसान शामिल हुए और उस मीटिंग में आंदोलन और किसानों की मांग को लेकर कुछ फैसले लिए गए हैं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि किसानों की मांग और आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने क्या कुछ कहा है?

संयुक्त किसान मोर्चा ने की मीटिंग

कल यानी 10 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई जिसमें 17 राज्यों के किसान शामिल हुए। इस मीटिंग में किसानों की मांग को लेकर चर्चा हुई और यह फैसला लिया गया है कि, 16 से 18 जुलाई तक प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सभी सांसदों को किसानों की मांग का एक मेमोरेंडम सौंपा जाएगा। इस मेमोरेंडम में MSP कानून, कर्ज माफी, फसल की बीमा, किसानों के पेंशन, बिजली के निजीकरण को बंद करने के साथ ही साथ सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर शहीद किसानों का स्मारक बनाने की मांग रखी जाएगी। इतना ही नहीं किसानों की एक मांग यह भी है कि भारत पाकिस्तान रोड ट्रेड को फिर से खोला जाए।

मांग पूरी नहीं हुई तो…

किसान नेता हनन मुल्ला ने कहा कि,  मोदी सरकार ने हमारी सभी मांगें नहीं मानी थी। आंदोलन के दौरान जब हमारी उनसे बातचीत हुई तब उन्होंने हमारी मांगों को मानने की बात कही थी मगर अब तक उन्हें पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने आगे कहा, ‘हमने बहुत पत्र भी लिए लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। अब हम अगले 2 महीने में संयुक्त किसान मोर्चा को और मजबूत करेंगे और अगर हमारी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो पूरे देश में आदोंलन करने की योजना है।’

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अन्य लंबित मांगों को लेकर आंदोलन फिर से शुरू करेगा। एसकेएम ने यह भी कहा कि वह अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को एक ज्ञापन सौंपेगा। वर्ष 2020-21 के किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने अपनी आम सभा की बैठक के एक दिन बाद यह घोषणा की।

एसकेएम ने कहा, “आम सभा ने भारत सरकार के कृषि विभाग के सचिव द्वारा हस्ताक्षरित एसकेएम के साथ केंद्र सरकार के नौ दिसंबर 2021 के समझौते को लागू करने और किसानों की आजीविका को प्रभावित करने वाली अन्य प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन फिर से शुरू करने का फैसला किया है।”

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