क्या जागेगी सरकार मनोज भावुक के इस जनगीत से?
मनोज भावुक मूल रूप से सीवान जिले के रघुनाथपुर प्रखंड में कौसड़ गांव के रहने वाले है
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पलायन का दर्द बयान करता मनोज भावुक का जन-जागरण गीत ” जागे यूपी बिहार” छठ के बाद भी ख़ूब देखा-सुना जा रहा है, क्योंकि छठ गीतों के नाम पर परोसे जा रहे एक ही तरह के स्वाद, रस और गंध वाले गीतों से भिन्न है भावुक का यह हृदयस्पर्शी और मनमोहक गीत। दूसरी बात यह है कि यह गीत यूपी और बिहार की जनजागृति हेतु सचमुच एक अद्भुत और भावुक गीत है, जो यहां की सरकार से सवाल करता है, लोगों को झकझोरता है, उनकी चेतना को जगाता है।
मात्र एक सप्ताह में इस गीत को एक लाख लोगों ने देख लिया। हालाँकि मिलियन-मिलियन व्यूज वाले इस समय में एक लाख कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन बड़ी बात यह है कि इस गीत में गीत है, कंटेंट है, एक सोच है, एक विजन है, यूपी बिहार के लोगों का दर्द है, उन्हें ललकारने-झकझोरने का मादा है। यही वजह है कि छठ बीतने के बाद भी लगातार लोग इस गीत से कनेक्ट होते जा रहे हैं।
माइग्रेशन के दर्द पर अधारित इस सुन्दर रचना के पीछे मनोज भावुक का कहना है कि गीतकार का धर्म है चोट करते रहना। किसी न किसी दिन तो बर्फ पिघलेगा ही। यूपी बिहार जगेगा ही।जागे यूपी बिहार गीत को स्वर दिया है गायक मनोहर सिंह ने। संगीत है पीयूष मिश्रा का। निर्देशक हैं उज्ज्वल पांडेय। हर्षित पांडेय और श्रेया पांडेय ने अभिनय किया है।स्वर कोकिला शारदा सिन्हा को समर्पित और यूपी बिहार की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करता यह गीत है. गायक मनोहर सिंह ने इसे गाया है, संगीत पीयूष मिश्रा ने दिया है और निर्देशन उज्ज्वल पांडेय ने किया है. इसमें हर्षित पांडेय और श्रेया पांडेय ने शानदार अभिनय किया है ।
यह गीत स्वर कोकिला शारदा सिन्हा को समर्पित है
छठ गीत
©मनोज भावुक
छुट्टी खातिर कहिया ले अर्जी लगइबs
कहिया ले जोड़बs तू हाथ
कहिया ले रेलिया रहि इहाँ बैरन
कहिया मिली सुख के साथ
छठी मइया दिहीं ना असीसिया
जागे यूपी-बिहार
भटके ना बने-बने लोगवा
मिले गाँवे रोजगाररोटी के टुकड़ा के जिनगी रखैल
रहि-रहि के हँकरत बा कोल्हू के बैल
दुनिया के स्वर्ग बनवलें बिहारी
काहे अपने धरती प भइलें भिखारी
चमकल मॉरीशस, दिल्ली, बंबे
चमके अपनों दुआर,
चमके गऊँआ-जवार,
चमके यूपी-बिहार
छठी मइया दिहीं ना असीसिया
जागे यूपी-बिहार
भटके ना बने-बने लोगवा
मिले गाँवे
अँगना में माई उचारेली कउवा
कब अइहें बबुआ पुकारेली नउवा
नोकरी के चक्कर में का-का बिलाता
बंजर भइल जाता सब रिश्ता-नाता
माई संगे ठेकुआ बनाईं
माई हमके धरे अँकवार
छठी मइया दिहीं ना असीसिया
जागे यूपी-बिहार
भटके ना बने-बने लोगवा
मिले गाँवे रोजगार
गँउआ के धरती पड़ल बाटे परती
ओही जी उगाईं सोना आ चानी
ओही जी बनाईं अब महल-अटारी
जहवॉ बाटे टुटही पलानी
केतना सिखवलस कोरोनवा
सुनीं गाँव के पुकार
छठी मइया दिहीं ना असीसिया
जागे यूपी-बिहार
भटके ना बने-बने लोगवा
मिले गाँवे रोजगार
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