देश में कोरोना की चौथी लहर आएगी या नहीं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना के मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। वहीं शीर्ष वैज्ञानिक का मानना ​​​​है कि देश में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के बाद भी चौथी लहर नहीं आएगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डा. आर गंगाखेड़कर ने कहा कि भारत में पाया जाना वाला कोरेाना वैरिएंट ओमिक्रान की उप वंशावली है, लेकिन देश में अब तक कोई नया वैरि‍एंट नहीं पाया गया है। अभी के रूप में देखा जा सकता है कि देश में चौथी लहर की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह किसी भी तरह से चौथी लहर की संभावना है। हमें एक बात समझनी होगी कि पूरी दुनिया में बीए.2 वैरिएंट जारी है, जो हर दिन लोगों को संक्रमित कर रहा है।

उन्होंने बताया कि दूसरा मुद्दा यह है कि हमने स्कूलों को खोलने की अनुमति दे दी है और साथ ही कॉलेज के छात्र अब आगे बढ़ रहे हैं। परिणाम अब यह है कि वे खुले में हैं, वे संक्रमित हो रहे हैं और उन संक्रमणों के समूह मुख्य रूप से सामाजिक नेटवर्क के कारण बड़े हो सकते हैं।

डा. आर गंगाखेड़कर के अनुसार, मास्क के उपयोग को बंद करने से भी मामलों में वृद्धि हो रही है। यह भी सच है कि हम में से कुछ लोगों ने अभी भी मास्क के अनिवार्य उपयोग को गलत समझा है, जिसे वापस ले लिया गया है। ऐसा हम में से कुछ हो सकते हैं। यह मानते हुए कि कोई संक्रमण होने का कोई डर नहीं है, इसलिए मैं स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सकता हूं। ऐसे में लोगों ने मास्क का उपयोग करना बंद कर दिया है। इसलिए वे लोग भी संक्रमित हो जाते हैं यदि वे किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आते हैं जो अभी संक्रमित है।

उन्होंने मास्क हटाने के प्रति आगाह करते हुए कहा कि इसलिए अनिवार्य रूप से इस तरह की प्रतिक्रिया जब आप लाकडाउन में ढील देते हैं तो कोरोना के आने की संभावना अधिक होती है और हम कोरोना के छोटे से उछाल को देख सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ओमिक्रान से संक्रमण छह से नौ महीने तक बना रहेगा। रीकाम्बिनेंट वैरिएंट एक दुर्घटना है, जिससे चौथी लहर नहीं आएगी।

उन्‍होंने कहा कि आखिरी बात जो हमें याद रखनी है, वह यह है कि जब हम इन नए वैरिएंट के संदर्भ में बात करते हैं, जो कि दक्षिण अफ्रीका से BA.4, BA.5 आ रहे हैं। जो रीकॉम्बिनेंट वैरिएंट आ रहे हैं, उसके दो कारक साबित होंगे ये सभी ओमिक्रान परिवार से संबंधित हैं। इसलिए प्राकृतिक संक्रमण ने हमें जो भी सुरक्षा दी है, वह लंबी अवधि तक बनी रहने की संभावना है। यह लगभग छह से नौ महीने का समय हो सकता है।

यह भी याद रखना महत्वपूर्ण है कि रीकॉम्बिनेंट विभिन्न प्रकार, कुल मिलाकर संक्रमण फैलाने के लिए अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं क्योंकि रीकॉम्बिनेंट की घटनाएं एक दुर्घटना हैं। यह वायरस का प्राकृतिक विकास नहीं है, इसलिए हमें चौथी लहर को लेकर ज्‍यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

अप्रैल की शुरुआत के बाद से देश में लगातार कोरोना के मामलों में प्रतिदिन वृद्धि दर्ज कर रहा है। हालांकि, सोमवार को देश में 2,183 मामलों के साथ करीब 90 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया।

देश में तीन महीने में पहली बार आर वैल्यू एक के ऊपर पहुंच गई है। आर वैल्यू के एक से ऊपर होने का मतलब है कि संक्रमण का प्रसार तेजी से हो रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इससे डरने की नहीं, सतर्क रहने की जरूरत है। चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान (आइएमएस) के शोधकर्ता सीताभ्र सिन्हा देश के मुताबिक पिछले कुछ हफ्तों से देश में आर वैल्यू में लगातार वृद्धि हो रही है।

बीते हफ्ते यानी 12-18 अप्रैल के बीच यह 1.07 प्रतिशत थी। इससे पहले के हफ्ते में यह 0.93 थी। जनवरी में आर वैल्यू एक से ज्यादा दर्ज की गई थी। 16-22 जनवरी के हफ्ते में यह 1.28 थी। ईमेल के जरिये प्रेट्र के साथ बातचीत में सिन्हा ने कहा कि आर वैल्यू में वृद्धि सिर्फ दिल्ली की वजह से नहीं हो रही है, बल्कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बढ़ते मामले भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।

बता दें कि महामारी की शुरुआत से ही सिन्हा आर वैल्यू पर नजर रख रहे हैं। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में आर वैल्यू दो से अधिक सिन्हा ने बताया कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश के साथ ही कर्नाटक में केस बढ़ रहे हैं। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में आर वैल्यू दो से अधिक है। महानगरों की बात करें तो मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु में भी आर वैल्यू एक से अधिक है।

कोलकाता के आंकड़े नहीं मिल सके हैं। 18 अप्रैल को खत्म हुए हफ्ते में अनुमानित आर वैल्यू दिल्ली के लिए 2.12, उत्तर प्रदेश के लिए 2.12, कर्नाटक के लिए 1.04, हरियाणा के लिए 1.70, मुंबई के लिए 1.13, चेन्नई के लिए 1.18 और बेंगलुरु के लिए 1.04 थी। दूसरी और तीसरे लहर से पहले भी एक से अधिक थी आर वैल्यू पिछले साल के आखिर में ओमिक्रोन के चलते जब तीसरी लहर ने दस्तक दी थी तब आर वैल्यू 2.98 (30 दिसंबर, 2021 से 10 जनवरी, 2022) दर्ज की गई थी। दूसरी लहर से ठीक पहले भी आर वैल्यू 1.08 दर्ज की गई थी।

क्या है आर वैल्यू?

आर वैल्यू संक्रमण की स्थिति को दर्शाती है। आर वैल्यू के एक से अधिक होने का मतलब है कि एक संक्रमित व्यक्ति एक से अधिक लोगों को और संक्रमित कर रहा है। एक से अधिक आर वैल्यू होने पर सक्रिय मामले बढ़ते हैं। आर वैल्यू के एक या उससे कम रहने का मतलब है कि संक्रमण का प्रसार रुक गया है जो महामारी के खत्म होने का संकेत भी है।

फिलहाल चौथी लहर की संभावना नहीं

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पूर्व मुख्य विज्ञानी डा. आर गंगाखेड़कर ने कहा कि आर वैल्यू के एक से ऊपर होने से चिंता करने की जरूरत नहीं है, सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश में ओमिक्रोन के किसी नए संक्रामक वैरिएंट का पता नहीं चला है। इसलिए फिलहाल चौथी लहर की आशंका नजर नहीं आ रही है।

कोरोना के मामलों में लगातार वृद्धि

पिछले कुछ दिनों से बढ़ रहे कोरोना के मामले देश में पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। बुधवार को भी नए मामलों में भारी उछाल देखने को मिला है। बीते 24 घंटे में 2,067 नए केस मिले हैं और 40 मौतें हुई हैं, जिसमें 34 मौतें अकेले केरल से हैं। एक दिन पहले 1,250 केस मिले थे और सिर्फ एक मौत हुई थी। इस दौरान सक्रिय मामले 480 बढ़े हैं और इनकी संख्या 12,340 हो गई है। कोविन पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक अब तक कोरोना रोधी वैक्सीन की कुल 186.93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं।

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