एनटीडी रोगों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से सदर अस्पताल में आज मनेगा एनटीडी दिवस
नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज दिवस: 2030 तक उन्मूलन करने के लिए प्रतिबद्ध है स्वास्थ्य विभाग:
तिरस्कार की नजर से देखेंगे तो वह अपना रोग छुपाने को होंगे मजबूर: सिविल सर्जन
समय पर जांच, उपचार के अलावा जागरूक होने से आवश्यकता: डॉ जेपी सिंह
श्रीनारद मीडिया, कटिहार, (बिहार):
नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए फाइलेरिया, कालाजर, कुष्ठ रोग सहित कई अन्य बीमारियों के उन्मूलन को लेकर विभाग प्रतिबद्ध है। इसी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आज 30 जनवरी को सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में एनटीडी दिवस मनाया जाएगा। एनटीडी रोगों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है।
सोशल मीडिया सहित कई तरह के माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जाएगा। एनटीडी की रोकथाम और नियंत्रण को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राथमिकता दी जा रही है। इन रोगों में हाथीपांव, कालाजार, कुष्ठरोग, रैबीज, मिट्टी संचारित कृमिरोग और डेंगू शामिल हैं। इन नियंत्रण कार्यक्रमों को वैश्विक रणनीतियों पर चलाया जाता है। इनके लिए एक तय सालाना बजट भी रहता है। देश में कालाजार और हाथीपांव के उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
तिरस्कार की नजर से देखेंगे तो वह अपना रोग छुपाने को होंगे मजबूर: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि कुष्ठ रोगियों के लिए आसान इलाज की उपलबध्ता के साथ ही रोग संबंधित मिथकों से समाज को मुक्ति दिलाना भी है। यदि हम कुष्ठ रोगियों को तिरस्कार की नजर से देखेंगे तो वह अपना रोग छुपाने को मजबूर होंगे। इससे हम कभी भी इसे पूरी तरह मिटा नहीं पाएंगे।
कुष्ठ पूरी तरह से ठीक होने वाले मायकोबैक्टीरियम लैप्री से पनपने वाली माइक्रो बैक्टीरिया जनित बीमारी है। इसके आरंभिक स्टेज पीबीटी या पोसिबेसलरी ट्रीटमेंट में जहां वयस्कों को प्रथम दिन राइफैम्पिसिन 300 एमजी की दो गोलियां और डैप्सोन 100 एमजी की एक गोली तथा 28 दिनों तक प्रति दिन एक डैप्सोन की गोली लेने की आवस्यकता है। वहीं, 2 से 14 साल के बच्चों को राइफैम्पिसिन की उसी मात्रा के साथ डैप्सोन की 50 एमजी की गोली लेने की सलाह दी जाती है। यह पूरा 6 महीने का कोर्स है।
लेकिन एमबीटी या मल्टिबेसलरी ट्रीटमेंट पूरे 12 महीने दवा खाने की जरूरत है। जिसमें राइफैम्पिसिनऔर डैप्सोन के अलावा प्रतिदिन क्लोफैज़िमाइन की गोली भी आवश्यक है। ये सभी डोज बीमारी के अलग अलग अवस्था के अनुसार अलग अलग ब्लिस्टरपैक में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी चिकित्सा केन्द्रों पर निःशुल्क उपलव्ध हैं।
समय पर जांच, उपचार के अलावा जागरूक होने से आवश्यकता: डॉ जेपी सिंह
वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जय प्रकाश सिंह ने बताया कि एनटीडी दिवस के अवसर पर उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज) जिसके तहत लेंफेटिक फाइलेरिया, कालाजार, मलेरिया, डेंगू, चिकेनगुनिया, लेप्रोसी, सर्पदंश, रैबिज जैसे रोग सहित अन्य कई प्रकार के रोग को शामिल किया गया हैं। इसके रोकथाम समय पर जांच एवं उपचार से संभव है। इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने एवं इससे ग्रसित लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने का संकल्प लिया जाएगा। क्योंकि यह रोग मुख्यतः गरीबों या साधारणतया परिवार में पाया जाता है। इसके शिकार व्यक्ति को ना केवल उनके स्वास्थ्य बल्कि उनके रोजगार, दैनिक कार्य यहां तक कि उनके परिवार या समुदाय द्वारा स्वीकार किये जाने की संभावना को कम कर देती है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो वर्ष 2030 से पहले विश्व को एनटीडी से मुक्त किया जा सकता है।
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