पोषण पंचायत की मदद से कुपोषण दूर करने की कवायद, लगाये जायेंगे पोषणयुक्त पौधे
• 16 से 31 मार्च तक मनेगा पोषण पखवाड़ा
• पोषण माह के दौरान विभिन्न गतिविधियां आयोजित करने के दिए गए निर्देश
• जनआंदोलन डैशबोर्ड पर प्रतिदिन प्रतिवेदन को किया जाना है अपलोड
• आइसीडीएस के निदेशक ने पत्र जारी कर दिये आवश्यक निर्देश
श्रीनारद मीडिया, कटिहार, (बिहार )
राज्य में 16 से 31 मार्च तक पोषण पखवाड़ा मनाया जाएगा. इस दौरान सामुदायिक स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन भी होगा. इसको लेकर आईसीडीएस के निदेशक आलोक कुमार ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को पत्र लिखकर इन गतिविधियों के ससमय आयोजन का निर्देश दिया है. इसके लिए जिला, परियोजना एवं आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर आयोजित होने वाली गतिविधियों का कैलेंडर भी सभी जिले को उपलब्ध कराया गया है. गतिविधि कैलेंडर के अनुसार गतिविधियों का सफलतापूर्वक आयोजन कराते हुए जनआंदोलन डैशबोर्ड पर प्रतिदिन प्रतिवेदन को पोषण अभियान के पोर्टल पर अपलोड भी किया जाना है.
दुबलापन एवं एनीमिया सबसे बड़ी चुनौती:
आईसीडीएस के निदेशक आलोक कुमार ने बताया कि पोषण पखवाड़े को प्रभावी एवं सार्थक बनाने के लिए सभी जिले को निर्देश दिए गए हैं. बच्चों में दुबलापन तथा महिलाओं एवं बच्चों में एनीमिया हमारे लिए चुनौती है. इसमें सुधार लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. पोषण पखवाड़ा एक बेहतर अवसर है जब हम सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को पोषण पर जागरूक कर सकते हैं.
औषधीय पौधों को मिलेगा बढ़ावा:
आईसीडीएस की सहायक निदेशक श्वेता सहाय ने बताया कि 16 मार्च से 20 मार्च तक आकांक्षी जिले के लिए खाद्य वानिकी पोषण युक्त पौधों के माध्यम से पोषण संबंधी चुनौतियों के समाधान करने पर विशेष बल दिया जाएगा. इसके लिए पोषण पंचायत के माध्यम से आकांक्षी जिले में स्थानीय, ग्राम पंचायत स्तर पर राष्ट्रीय औषधीय पौध बोर्ड, आयुष मंत्रालय के सहयेग से पोषणयुक्त औषधीय पौधे लगाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा. इस दौरान प्रत्येक केंद्र पर बेल, जामुन, आंवला, पपीता, खजूर, अमरूद, सहजन, अनार आदि में से कम से कम 4 पौधों को लगाया जाना है.
पोषण पंचायत का करना है आयोजन:
जारी पत्र के अनुसार 16 मार्च से 21 मार्च तक की अवधि में आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण पंचायत का आयोजन कर पंचायती राज के प्रतिनिधियों के सहयोग से बच्चों में व्याप्त कुपोषण से बचाव व कुपोषण से होने वाली बीमारियों की रोकथाम के बारे में जागरूक करने , कुपोषित एंव अतिकुपोषित बच्चों की पहचान करने और कुपोषण वाटिका के तहत पोषणयुक्त पौधे लगाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा.
इस दौरान माताओं व पालनकर्ता को नई पहल पाठ्यक्रम एवं कोविड 19 के दौरान भेजे गये कैलेंडर के सहयोग से 3 से 6 साल के बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए बच्चों के सीखने के आधारभूत भाषाई कौशल एवं संख्यात्मक योग्यता को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियों का केंद्र पर प्रदर्शन भी किया जाएगा.
विद्यालयों में बच्चों का कराना है नामांकन:
प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के सहयोग से आंगनबाड़ी केंद्र में नामांकित वैसे बच्चे जिन्होंने 6 साल पूरे कर लिये और जिनका नामांकन प्राथमिक विद्यालय में होना है एवं पोषक क्षेत्र के अन्य 6 साल पूर्ण कर लिए बच्चे के अभिभावकों के साथ बैठकर पोषण के महत्व, बच्चों के सर्वांगीण विकास में पोषण की भूमिका, बच्चों के विद्यालय में नामांकन कराने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही उससे संबधित जानकारी प्रदान कर विद्यालय में नामांकन कराने में सहयोग प्रदान करने की बात कही गयी है. 16 से 31 मार्च के मध्य आंगनबाड़ी केंद्र एवं पोषक क्षेत्र में प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र जहां पौधे लगाने के लिए स्थान की उपलब्धता हो एवं जहां जगह हो वहां कुछ प्रमुख पौधे जैसे सहजन, पपीता, अमरूद, नींबू का पौधरोपण किया जाना है. वहीं अंतिम सप्ताह में स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए सामान्य योगा अभ्यास को लेकर जागरूक कराया जाना है.
गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान:
पखवाड़े के दौरान ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस के आयोजन पर ध्यान दिया जाएगा .इसके लिए गर्भवती महिलाओं का वजन कर रिकॉर्ड किए जाएंगे व जिन गर्भवती महिलाओं के वजन में अपेक्षित इजाफा न हो रहा हो, उन्हें इस दिवस में आवश्यक सेवाओं और परामर्श के लिए आने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
इस दौरान गृह भेंट कर पोषण के पांच सूत्र प्रथम 1000 दिन, एनीमिया व डायरिया से बचाव, स्वच्छता, हाथों की सफाई व पौष्टिक आहार आदि के बारे में गर्भवती महिलाओं धात्री महिलाओं को जागरूक करना व उचित सलाह देने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही प्रसव पूर्व व प्रसव पश्चात देखभाल, जन्म से 3 वर्ष तक के बच्चों के उपरी आहार एवं स्तनपान एवं परामर्श, व्यक्तिगत स्वच्छता, हाथों की सफाई, खानपान, आहार विविधता, विभिन्न खाद्य समूहों पर परामर्श देने की बात कही गयी है.
टीबी के प्रति जागरूकता के लिए चौपाल:
पखवाड़े के दौरान प्रत्येक लाभार्थी का वजन लेकर आवश्यक परामर्श देने, समुदाय आधारित गतिविधि के तहत बच्चो में टीबी पर जनजागरूकता के लिए चौपाल लगाने, होली के दौरान पोषण मिलन का समारोह का आयोजन सहित किशोर एवं किशोरियों के साथ बैठक कर पोषण पर चर्चा करने को भी शामिल किया गया है.
पोषण परामर्श केंद्र की करनी है स्थापना:
जिला व परियोजना स्तर पर पोषण परामर्श केंद्र की स्थापना एवं संचालन के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या परियोजना, प्रखंड कार्यालय परिसर, सभी जिला अस्पताल व जिला समहरणालय कार्यालय परिसर में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी की देखरेख में पोषण परामर्श केंद्रों की स्थापना और पोषण परामर्श का संचालन किया जाना है.
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