2025 तक TB मुक्त भारत के लिए हो रहा काम- मनसुख मांडविया

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। विश्व TB दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि लोगों को टीबी के बारे में बताने के साथ यह जानकारी भी दी जाए कि टीबी का उनके स्वास्थ्य, समाज पर क्या असर पड़ रहा है।

बता दें कि फेफड़े की टीबी (एक्सटेंसिव प्लमोनरी टीबी) मरीजों के लिए जानेलवा साबित हो रही है। इससे हर साल 5 से 7 प्रतिशत मरीजों की जान जा रही है। चिंता की बात यह है कि इसके मरीज दोनों फेफड़े खराब होने के बाद बीआरडी में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया  ने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज विश्व टीबी दिवस  है और जब भी हम इस बारे में बात करते हैं तो हम हमेशा इस बीमारी पर जीत के बारे में सोचते हैं। जन-भागीदारी की भावना के साथ, पीएम 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले, 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

क्या है World TB Day?

विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को ट्यूबरकुलोसिस के हानिकारक प्रभाव, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक टीबी महामारी को समाप्त करने के लिए मनाया जाता है। बता दें कि 24 मार्च 1882 को डॉ रॉबर्ट कोच ने टीबी का कारण बनने वाले जीवाणु की खोज की थी। जो इस बीमारी के निदान और इलाज की दिशा में एक नया कदम था।

क्या होता है Tuberculosis?

टीबी एक गंभीर संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से लोगों के फेफड़ों को प्रभावित करता है। ट्यूबरकुलोसिस का कारण बनने वाले जीवाणु खांसी और छींक के माध्यम से हवा में छोड़ी गई छोटी बूंदों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं।

दुनिया भर में हर साल 24 मार्च को वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे मनाया जाता है. टीबी की बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना इस दिन का उद्देश्य है. टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया की वजह से होता है. यह एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो फेफड़ों पर असर डालता है. यह दिमाग और रीढ़ जैसे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है.

कोरबा जिले में एक वर्ष में 1700 टीबी के मरीज मिले हैं. भारत सरकार द्वारा 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है. आज वर्ल्ड टीबी डे के मौके पर हमने क्षय रोग उन्मूलन अधिकारी डॉक्टर जीएस जात्रा से बातचीत की . आइए जानते है कि ट्यूबरक्लोसिस होने के क्या लक्षण हैं और किस तरह इससे बचा जा सकता है.
क्या है टीबी के लक्षण
डॉक्टर ने बताया कि दो तरह के टीबी होते है. जिसमे लेटेंट टीबी का कोई लक्षण नहीं होता . स्किन या ब्लड टेस्ट के जरिए इसे पता लगाया जाता है. वहीं एक्टिव टीबी में 3 हफ्ते से ज्यादा कफ बना रह सकता है. छाती में दर्द, खांसी में खून आना, थकान, रात में पसीना आना, ठंड लगना, बुखार, भूख ना लगना और वजन कम हो जाना इसके मुख्य लक्षण हैं.

टीबी के कारण
डॉक्टर ने बताया कि फ्लू की तरह हवा के जरिए फैलने वाले बैक्टीरिया से टीबी होता है. ये एक संक्रामक बीमारी है और किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से ही फैलता है. हेल्दी इम्यून सिस्टम के जरिए टीबी बैक्टीरिया से लड़ा जा सकता है. टीबी की बीमारी संक्रामक है. अगर आप किसी एक्टिव टीबी मरीज के साथ रहते है तो आपको टीबी होने की संभावना है.

टीबी नहीं है लाइलाज बीमारी
डॉक्टर  ने बताया कि टीबी के इलाज के शुरुआती दौर में भी जरूरी एहतियात बरतना चाहिए. मरीज इलाज के दौरान खूब पौष्टिक खाना खाएं. एक्सरसाइज करें, योग करें और सामान्य जिंदगी बिताए . समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेते रहे. 6 से 9 महीने तक कई दवाओं का सेवन करके टीबी का इलाज हो सकता है.टीबी बीमारी से ग्रसित होने के बाद अक्सर लोग अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं.

बीमारी की जानकारी होने के बाद लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. इसका इलाज संभव है. जिले के सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपचार किया जाता है. साथ ही उपचार के दौरान दवाइयां भी बिल्कुल मुफ्त दी जाती है. जिसके सेवन से मरीज बिल्कुल स्वस्थ हो सकता है.अब टीबी की दवाओं के साथ अब एहतियात के तौर पर भी दवाई भीउपलब्ध है. टीवी से ग्रसित मरीजों के साथ संपर्क में आने वाले ऐसे लोगों को एक तय समय तक दवाई दी जाती है जिसे उसे टीबी से ग्रसित होने की संभावना खत्म हो जाती है.

 

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