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श्री राम कर्मभूमि के लिए अयोध्या की तरह कार्य करना चाहिए-जगदगुरू रामभद्राचार्य जी - श्रीनारद मीडिया

श्री राम कर्मभूमि के लिए अयोध्या की तरह कार्य करना चाहिए-जगदगुरू रामभद्राचार्य जी

रामभद्राचार्य जी महाराज

श्री राम कर्मभूमि के लिए अयोध्या की तरह कार्य करना चाहिए-जगदगुरू रामभद्राचार्य जी

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अध्ययन ही मेरा जीवन है और मैं अक्षराब्रह्म का उपासक हूं- रामभद्राचार्य जी।

यह मेरी 1397 कथा है जिसे मैं बक्सर वासियों को सौंप रहा हूं- रामभद्राचार्य जी।

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

रामभद्राचार्य जी महाराज

सनातन संस्कृति समागम, अहिरौली, बक्सर,बिहार में चल रहे अध्यात्मिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक समारोह के दूसरे दिन राम कथावाचक जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने अपने सारगर्भित प्रवचन में कहा कि मैं भारत के विचार क्रांति में विश्वास करता हूं। राम सापेक्ष राष्ट्रवाद से ही हम 21वीं सदी में विकास कर सकते हैं।

श्री राम जन्म भूमि न्यास की स्थापना होने से ऐसा लगता है कि अब बक्सर में कुछ अवश्य होगा। उन्होंने बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे जी सलाह देते हुए कहा कि आपका बक्सर पर ऋण है इसे आप अपने बच्चों के साथ निभाए। बक्सर में आपको प्रेम दिया है इसलिए आप इसके लिए कुछ करें।यहां के लोग लगातार मुझसे पूछते हैं कि चौबे जी ने बक्सर के लिए क्या किया? मैं यही कहता हूं कि चौबे जी के द्वारा बक्सर में सांस्कृतिक क्रांति लायी जायेगी।

सनातन संस्‍कृति समागम अहिरौली बक्‍सर

मेरा वक्तव्य भारत विरोधियों को गुस्सा दिलाने के लिए है, क्योंकि मैं कहता हूं “तेरा वैभव अमर रहे मां
मैं चार दिन रहूं या ना रहूं”।
संत के चरणों में बैठकर संकटों का समाधान होता है।संत सदैव क्षमा करते है, क्षमा को हमारी असमर्थता समझा जा रहा हो तो वहां सीधे दंड देना चाहिए। जब व्यक्ति परिवार में व्यस्त हो जाता है तो राष्ट्र के लिए कार्य नहीं कर सकता है,अंत: कुछ किया जाये।अगर तनाव हो तो भगवान के चरणों में एकाग्रता स्थापित करनी चाहिए।

भारत का सौभाग्य है कि यहां रामचरितमानस की रचना हुई लेकिन दुर्भाग्य है कि रामचरितमानस को जितना समझना चाहिए उतना जनता ने नहीं समझा, इसलिए संसद में प्रस्ताव लाकर बहुमत से पारित कराकर रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए और इसकी पुकार बक्सर से हो रही है, क्योंकि बक्सर श्री राम की विजय यात्रा को प्रशस्त किया है।

इस मौके पर हजारों की संख्या में साधु-संत, श्रद्धालु भक्तगण जगतगुरु का प्रवचन ध्यानपूर्वक सुनते वह समझते रहे।

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