जापानी बुखार को लेकर कार्यशाला का किया गया आयोजन, तैयारियों व प्रबंधन की हुई समीक्षा
आयुक्त ने कार्यशाला का किया उद्घाटन, राज्य तथा जिला स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारी रहे शामिल:
स्वास्थ्य अधिकारियों ने जापानी बुखार के मामलों की समीक्षा पर की चर्चा:
श्रीनारद मीडिया, गया (बिहार):
एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्राम—जैपनीज इंसेफलाइटिस को लेकर गुरुवार को राज्य तथा जिला स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों की समीक्षा तथा योजना संबंधी कार्यशाला का आयोजन किया गया. समीक्षा सह योजना कार्यशाला का उद्घाटन मगध प्रमंडल के आयुक्त मयंक बड़बड़े तथा अन्य गणमान्य अतिथियों ने किया. बोधगया के होटल में आयोजित इस कार्यशाला में डॉ अंजनी कुमार, अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम, डॉ नरेंद्र कुमार सिन्हा, अपर निदेशक सह राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी, राज्य स्वास्थ्य समिति, संजय कुमार वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सह राज्य आइसी एईस,डॉ रविंद्र कुमार एसोसिएट प्रोफेसर, शिशु रोग विभाग, मगध मेडिकल कॉलेज, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक पीयूष रंजन, यूनिसेफ से कार्यक्रम प्रबंधक डॉ शिवेंद्र पांडया, हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ एसएस रेड्डी, डॉ नलिनीकांत त्रिपाठी, डॉ तारीक सहित प्रमंडल के अंतर्गत सभी जिलों के सिविल सर्जन, डीपीएम तथा स्वास्थ्य विभाग के अन्य वरीय अधिकारी मौजूद रहे.
कार्यशाला के दौरान मुख्य रूप से प्रमंडल के सभी जिलों में बीते सालों में जापानी बुखार के मामले सामने आने, मृत्यु होने तथा तैयारियों की समीक्षा की गयी. साथ ही एईएस—जेई प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक प्रबंधन, मरीजों के रेफर किये जाने, चिकित्सा पदाधिकारियों, एएनएम तथा आशा द्वारा जागरूकता लाने एवं पीकू वार्ड बनाने तथा आवश्यक दवाईयों की मौजूदगी सुनिश्चित करने पर चर्चा की गयी.
जिलों से आये वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारियों द्वारा अपने अपने जिलों की स्थिति बतायी गयी. गया जिला के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी द्वारा जानकारी दी गयी कि जिला में जिला में 2017 में जापानी बुखार के 38 मामले सामने आये थे ओर इस साल 5 मौत हुई थी. साल 2018 में संक्रमण के 2 मामले सामने आये लेकिन इस साल किसी प्रकार की मृत्यु नहीं हुई. इसके बाद वर्ष 2019 में 54 मामले जापानी बुखार के आये थे.और इस वर्ष जापानी बुखार से 13 मौत हुई थी. वर्ष 2020 में संक्रमण के 6 मामले आये थे और एक मौत हुई थी. वर्ष 2021 में संक्रमण के 6 मामले आये थे जिसमें एक मौत हुई. इस वर्ष बेलागंज से 2 मामले, फतेहपुर से 1, गुरुआ से 1 और कोंच से 1 और शेरघाटी प्रखंड से एक मामला सामने आया. जबकि कोंच में जापानी बुखार से एक मृत्यु का मामला दर्ज किया गया. उन्होंने बताया अप्रैल माह से अगस्त माह तक जापानी बुखार के सबसे अधिक मामले आते हैं इसलिए ऐसे समय में काफी सर्तक रहने की जरूरत है. जापानी बुखार को लेकर कार्यशाला का किया गया आयोजन, तैयारियों व प्रबंधन की हुई समीक्षा
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