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विश्व एड्स दिवस: समय से आवश्यक दवाओं का उपयोग रोक सकता है शारीरिक समस्याएं: डॉ सौरभ - श्रीनारद मीडिया

विश्व एड्स दिवस: समय से आवश्यक दवाओं का उपयोग रोक सकता है शारीरिक समस्याएं: डॉ सौरभ

विश्व एड्स दिवस: समय से आवश्यक दवाओं का उपयोग रोक सकता है शारीरिक समस्याएं: डॉ सौरभ

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छुआछूत से नहीं होती एड्स जैसी बीमारी:
सरकार द्वारा एड्स पीड़ित व्यक्तियों के पोषाहार के लिए दी जाती है सहायता राशि
1097 हेल्पलाइन व ‘हम साथी’ एप से लें एड्स सम्बन्धी जानकारी:
एड्स जागरूकता के लिए संचालित हैं विभिन्न संस्था:

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):

हर साल 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को एड्स जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना है। जिससे कि लोग इसके शिकार न हो सकें। अगर कोई व्यक्ति इस गंभीर बीमारी का शिकार हो गया है तो उसे इस लाइलाज बीमारी को नियंत्रित करने की जानकारी दी जा सके। एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम) एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी से छुटकारा का कोई इलाज संभव नहीं है लेकिन अगर संक्रमित व्यक्ति सही समय से आवश्यक दवाओं का उपयोग करता है तो वह इससे होने वाली समस्याओं को नियंत्रित कर सकता है। लोगों को एड्स जैसी बीमारी के लिए जागरूक करने तथा उसका आवश्यक इलाज के लिए जिला चिकित्सा महाविद्यालय तथा अस्पताल में एआरटी सेन्टर भी संचालित है। जहां लोग एड्स जैसी बीमारियों का इलाज करा सकते हैं।

समय से आवश्यक दवाओं का उपयोग रोक सकता है शारीरिक समस्याएं :
एड्स नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सौरभ कुमार ने कहा कि असुरक्षित यौन संबंध अथवा एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के खून सामान्य व्यक्ति के शरीर में शामिल होने से लोग एचआईवी पॉजिटिव का शिकार होते हैं। एचआईवी पॉजिटिव होने पर लोगों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और वह बहुत से अन्य बीमारियों जैसे टीबी, फंगस, बैक्टेरिया इंफेक्शन आदि का शिकार होने लगता है जो उसे एड्स का शिकार बनाता है। एड्स जैसी बीमारी के नियंत्रण के लिए जिले में एआरटी सेन्टर संचालित हैं। यहां आए सभी एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति की सीडी-4 नामक टेस्टिंग की जाती है जिससे उसमें बीमारी की गंभीरता का पता चलता है। उसके बाद उसे मुफ्त में आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं जिससे कि एड्स पीड़ित व्यक्ति के शरीर में एचआईवी वायरस को नियंत्रित रखा जा सके। एड्स एक लाइलाज बीमारी है और एक बार संक्रमित हो गए व्यक्ति को पूरे जीवन इसके नियंत्रण के लिए आवश्यक दवाओं का सेवन करना जरूरी है।

छुआछूत से नहीं होती एड्स जैसी बीमारी :
डॉ. सौरभ कुमार ने बताया कि एड्स जैसी बीमारी छुआछूत से नहीं फैलती है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति एड्स पीड़ित हैं तो उसे सामाजिक रूप से बहिष्कार करना कानूनन अपराध है। इसके लिए सरकार द्वारा एचआईवी ऐक्ट कानून पारित किया गया है जिसके तहत एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार करने पर सजा का प्रावधान है।

सरकार द्वारा एड्स पीड़ित व्यक्तियों के पोषाहार के लिए दी जाती है सहायता राशि :
डॉ. सौरभ कुमार ने बताया कि एड्स पीड़ित व्यक्तियों के बेहतर पोषाहार के लिए सरकार द्वारा बिहार शताब्दी योजना चलाई जाती है। इसके तहत संक्रमित व्यक्ति को हर माह 1500 रुपये की सहायता राशि सीधे उसके एकाउंट में दिया जाता है जिससे कि पीड़ित व्यक्ति बेहतर पोषाहार का सेवन करे।

1097 हेल्पलाइन व ‘हम साथी’ एप से लें एड्स सम्बन्धी जानकारी:
एआरटी सेन्टर पर कार्यरत काउंसेलर प्रीति कुमारी ने बताया कि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा एचआईवी एड्स हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। हेल्पलाइन नंबर 1097 से लोग एड्स संक्रमण होने के कारणों व बचाव से सम्बंधित जानकारी ले सकते हैं। इसके साथ ही यदि एड्स की जांच या एड्स संबंधी इलाज सुविधा की भी सूचना प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही ‘हम साथी’ मोबाइल एप डाउनलोड कर एड्स से संबंधित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह मोबाइल एप एड्स के प्रति जागरूकता लाने और बच्चों में मां के माध्यम से एड्स के संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न जानकारियां मुहैया कराता है।

एड्स जागरूकता के लिए संचालित हैं विभिन्न संस्था :
जिले में एड्स सम्बन्धी जागरूकता के लिए विभिन्न संस्थाएं कार्यरत हैं। इसमें केएनपी+ नामक एक संस्था एचआईवी पॉजिटिव लोगों में जागरूकता लाने और उनकी देखभाल करने का कार्य करती है। संस्था द्वारा लोगों को तय समय पर दवाइयां लेने, सम्बंधित जांच करवाने, एचआईवी पॉजिटिव परिवार के बच्चों को आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराने, बच्चों को परवरिश योजना के तहत प्रति माह 1000 रुपये सहायता दिलवाने में सहायता करती है जो एड्स पीड़ित परिजनों के बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।

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